Chaitra Navratri 2025 Crowds of devotees at Maihar Sharda Shakti Peeth in Satna ann

Chaitra Navratri 2025: आज से चैत्र की नवरात्री शुरू हो गई है और देशभर के शक्तिपीठों में माता के दरबार मे भक्तों का जन सैलाब उमड़ने लगा है. मध्य प्रदेश के मैहर जिले में 51 शक्ति पीठ में से एक है मैहर की मां शारदा शक्ति पीठ, जहां माता के गले का हार गिरा था जो सरस्वती स्वरूपा है और आज मैहर की शारदा देवी के रूप में विख्यात है, जहां मान्यता है कि अमरता का वरदान प्राप्त आल्हा और ऊदल आज भी सबसे पहले माता की पूजा करने आते है.

यहां हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी चैत्र नवरात्रि के पहले ही दिन लाखो की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे है जहां सुबह 4 बजे से मां शारदा शक्ति पीठ में श्रृंगार एवं आरती हुई है. हजारों की संख्या में लोग दर्शन के लिए रात से कतार में लगे थे .कानून और सुरक्षा व्यवस्था के लिहाज से 6 कार्यपालिक मजिस्ट्रेड नियुक्त किये गए और 12 सौ पुलिस जवान तैनात हैं. भारी चाक चौबंद व्यवस्था के बीच 50 हजार से अधिक की संख्या में भक्तों ने दर्शन के लिए सीढ़ियों व रोपवे से भक्त मां के दरबार पर पहुंचे. जिला प्रशासन के मुताबिक पहले दिन ही लाखों की संख्या में भक्तों के आने की उम्मीद है जिसको लेकर भारी चाक चौबंद इंतजाम किए गए है .

मध्य प्रदेश के सतना जिले का प्रसिद्ध मैहर की मां शारदा शक्ति पीठ किसी परिचय की मोहताज नहीं. लोक मान्यता है कि माता सती के गले का हार इसी त्रिकूट पर्वत पर गिरा था जो माई हार के नाम से जाना जाता था जो अपभ्रंस होकर मैहर हो गया. यहां देश ही नहीं विदेशों से भी श्रद्धालु भक्त मुराद मांगने मां के दरबार में हाजिरी लगाने आते है, कहते है मां किसी भी भक्त को खाली हांथ नही लौटती है, यही कारण रहा है कि दरबार मे श्रद्धालु भक्तो का तांता लगा रहता है.

क्या राजा क्या रंक सभी शारदा देवी की डेहरी में माथा टेकते दिखते है. नेता अभिनेता और कलाकरों ने भी मां डेहरी से ही विश्व प्रसिद्धि पायी है, नवरात्रि में  यहां रोजाना कई लाख श्रद्धालु आते है, शासन प्रशासन और मंदिर प्रबंधन द्वारा सुरक्षा के भारी इंतजाम किए जाते है. किवदंती है कि मां शारदा से अमरता का वरदान प्राप्त भक्त आल्हा प्राचीन काल से लेकर आज भी रोज़ाना मां की प्रथम पूजा करते है. आज भी ब्रम्ह मुहूर्त में पुजारी द्वारा पठ खोंलने पर मां का श्रृंगार और मां के चरणों मे पूजा के फूल चढ़े हुए मिलते है.

प्रधान पुजारी बताते है कि मैहर वाली मां शारदा की प्रतिमा दसवीं शताब्दी की है, ग्रंथ बताते है कि आकाश मार्ग से भगवान शंकर जब माता सती की अध-जली हालात में पार्थिव शरीर लेकर भटक रहे थे तब मैहर के इसी त्रिकूट पर्वत की चोटी में मां के गले का हार गिरा था, मां का हार गिरने से कस्बे का नाम ‘माई हार’ पढ़ गया, और बोलचाल की भाषा मे धीरे धीरे कस्बे का नाम मैहर हो गया.

नवरात्रि मे प्रतिदिन कई लाख श्रद्धालु यहां आते है और दरबार मे मन मे मुराद पाने के लिये लिये जन सैलाब उमड़ा रहता है,  अधिकांश श्रद्धालु 1063 सीढ़ियां पैदल चढ़कर गर्भ गृह में विराजी मां शारदा देवी के दर्शन कर रहे तो वही रोप और वैन के माध्यम से मंदिर तक पहुंचने की सुविधा प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराई गई है.

ये भी पढ़ें: गुरुग्राम में शीतला माता मंदिर में नवरात्रि की धूम, यहां धागा बांधने से पूरी होते है मनोरथ!
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

Read More at www.abplive.com