भारत सरकार के भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) ने एमेजॉन और फ्लिपकार्ट के दिल्ली स्थित गोदामों पर गुरुवार 27 मार्च को छापे मारे हैं। इस दौरान ई-कॉमर्स सेक्टर की इन दोनों दिग्गज कंपनियों के कई उत्पादों को जब्त किया गया, जो क्वालिटी से जुड़े अनिवार्य मानकों पर खरे नहीं उतरे। BIS ने एक बयान में बताया कि एमेजॉन की एक सहायक कंपनी के गोदाम से लगभग 7 करोड़ रुपये (81,561 डॉलर) के गीजर और फूड मिक्सर जब्त किए गए। अधिकारियों के मुताबिक, जब्त किए गए उत्पादों पर या तो ‘स्टैंडर्ड क्वालिटी कंट्रोल मार्क’ नहीं था या फिर उन्हें नकली सर्टिफिकेशन लेबल के साथ बेचा जा रहा था।
इसी तरह की एक कार्रवाई फ्लिपकार्ट की यूनिट पर भी की गई, जहां BIS ने लगभग 6 लाख रुपये (7,000 डॉलर) के स्पोर्ट्स शूज जब्त किए। ये स्पोर्ट्स शूज बाजार में भेजे जाने के लिए तैयार थे लेकिन जरूरी प्रोडक्ट सर्टिफिकेशन नहीं था।
BIS ने इससे पहले पिछले हफ्ते तमिलनाडु में भी ऐसी ही छापेमारी की कार्रवाई की थी और पाया था कि बिना अनिवार्य लेबल के सामान बेचे और स्टोर किए जा रहे थे।
ई-कॉमर्स कंपनियों पर बढ़ता नियामकीय दबाव
एमेजॉन और फ्लिपकार्ट दोनों भारत के ई-कॉमर्स सेक्टर की दिग्गज कंपनियां हैं। कंसल्टिंग फर्म बेन एंड कंपनी (Bain & Co.) के मुताबिक, 2023 में भारत का ई-कॉमर्स बाजार का साइज 57 अरब डॉलर से 60 अरब डॉलर के बीच था, और 2028 तक इसके बढ़कर 160 अरब डॉलर से अधिक तक पहुंचने का अनुमान है।
हालांकि, एमेजॉन और फ्लिपकार्ट दोनों भारत में कई तरह की नियमाकीय चुनौतियों का सामना कर रही हैं। सितंबर 2023 में कॉम्पिटीशन कमीशन ऑफ इंडिया (CCI) की एक जांच में पाया गया कि एमेजॉन और फ्लिपकार्ट अपने प्लेटफॉर्म पर कुछ चुनिंदा सेलर्स को प्राथमिकता देकर फेयर कॉम्पिटीशन से जुड़े नियमों का उल्लंघन कर रहे थे।
एमेजॉन पर पहले भी गंभीर आरोप लग चुके हैं। 2021 में रायटर्स की एक जांच रिपोर्ट में दावा किया गया था कि कंपनी कुछ चुनिंदा सेलर्स को अपने प्लेटफॉर्म पर विशेष लाभ देती थी और भारतीय नियमों को दरकिनार कर रही थी। हालांकि, एमेजॉन ने इन आरोपों से इनकार किया है।
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