NATO big blow to Volodymyr Zelensky withdraws decision to send troops to Ukraine

Nato Zelensky Ukraine Security Policy: यूक्रेन युद्ध के दौरान पश्चिमी देशों ने हमेशा अपनी सैन्य और राजनयिक सहायता से राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की का समर्थन किया है, लेकिन हाल ही में नाटो (NATO) के कुछ प्रमुख देशों ने यूक्रेन में सैनिक भेजने की अपनी रणनीति पर पुनर्विचार किया है.

रॉयटर्स के अनुसार, इस बदलाव का सीधा असर न केवल यूक्रेन की सुरक्षा पर पड़ेगा, बल्कि यूरोपीय राजनीति और रूस के साथ संबंधों पर भी इसका प्रभाव पड़ सकता है. यूरोपीय अधिकारी यूक्रेन की सुरक्षा को मजबूत करने के लिए कई विकल्पों पर विचार कर रहे थे, जिनमें जमीनी सैनिक भेजना भी शामिल था. लेकिन अब वे इस विचार से पीछे हट रहे हैं. इसकी कई वजहें हैं:

यूरोपीय देशों का राजनीतिक असहमति
कई यूरोपीय देशों को डर है कि अगर वे यूक्रेन में सैनिक भेजते हैं, तो यह फैसला रूस के साथ सीधे टकराव को जन्म दे सकता है. कई देशों के पास पहले से ही सीमित सैन्य बजट है और वे युद्ध के लिए अतिरिक्त संसाधन नहीं जुटा सकते. अमेरिका इस समय अपनी विदेश नीति में बदलाव कर रहा है, जिससे यूरोप को अपनी रणनीति बदलनी पड़ रही है. एक यूरोपीय राजनयिक के अनुसार, “जब यूक्रेन की स्थिति मजबूत थी, तब सैनिक भेजने का विचार आकर्षक था, लेकिन अब परिस्थितियां बदल गई हैं.”

यूक्रेन को सुरक्षा गारंटी: नाटो का अगला कदम क्या होगा?
यूक्रेन के लिए भविष्य की सुरक्षा गारंटी के रूप में नाटो अब वैकल्पिक उपायों पर ध्यान दे रहा है. जैसे: युद्धविराम के बाद, समुद्री और हवाई निगरानी को बढ़ाया जाएगा ताकि रूस की गतिविधियों पर नजर रखी जा सके. नाटो सैनिक सीधे युद्ध में शामिल नहीं होंगे, लेकिन वे यूक्रेनी सैनिकों को ट्रेनिंग देकर उनकी सैन्य क्षमताएं बढ़ाने का काम करेंगे. यूरोपीय सैनिक सीमावर्ती क्षेत्रों में तैनात रह सकते हैं, ताकि किसी भी संभावित हमले को रोका जा सके.

बता दें कि फ्रांस और ब्रिटेन के सैन्य अधिकारी इस रणनीति पर काम कर रहे हैं. हाल ही में, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने कहा, “हम यूक्रेन में आसमान, समुद्र और सीमाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं.”

रूस की प्रतिक्रिया: क्या बढ़ेगा तनाव?
रूस पहले ही यह स्पष्ट कर चुका है कि वह नाटो सैनिकों की तैनाती को स्वीकार नहीं करेगा. अगर नाटो अपने निर्णय से पीछे हटता है, तो रूस इसे अपनी कूटनीतिक जीत मान सकता है. रूसी सरकार का मानना है कि यूरोपीय देशों के इस निर्णय का मुख्य कारण उनकी आंतरिक राजनीतिक और आर्थिक समस्याएँ हैं. वहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी यूक्रेन में नाटो सैनिकों की तैनाती को लेकर अलग-अलग बयान दिए हैं, जिससे स्थिति और जटिल हो गई है.

क्या यूक्रेन को अकेला छोड़ देगा नाटो?
नाटो ने भले ही सैनिक भेजने की योजना बदल दी हो, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वह यूक्रेन का समर्थन करना बंद कर देगा. हथियारों और ड्रोन टेक्नोलॉजी की सप्लाई जारी रहेगी. रूस पर नए आर्थिक प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं, पश्चिमी देश यूक्रेन को अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर समर्थन देते रहेंगे. यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने इस नए घटनाक्रम पर कोई टिप्पणी नहीं दी है, लेकिन उनके प्रशासन के अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि यूक्रेन को एक स्थायी सुरक्षा गारंटी की आवश्यकता है.

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