Bangladesh Army: बांग्लादेश सरकार ने गुरुवार (13 मार्च, 2025) को कहा कि कुछ भारतीय मीडिया संस्थानों की खबरों में दावा किया जा रहा है कि बांग्लादेशी सेना में अस्थिरता है. इस तरह की खबरें बिना आधार के और बेहद गैर जिम्मेदाराना तरीके से रिपोर्ट की गई हैं. इसको लेकर बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मुहम्मद यूनुस ने प्रतिक्रिया दी है.
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर उन्होंने लिखा, ‘हाल ही में कुछ भारतीय मीडिया संस्थानों में बांग्लादेशी सेना के भीतर तख्तापलट या अस्थिरता का आरोप लगाने वाली निराधार कहानियां बड़े पैमाने पर दिखाई गई हैं जो न केवल निराधार हैं, बल्कि बेहद गैर-जिम्मेदाराना भी है.’
यूनुस ने आगे कहा, ‘इस तरह के दुष्प्रचार अभियान हस्तक्षेप के सिद्धांतों को कमजोर करते हैं और सम्मान को गंभीर रूप से कम करते हैं, साथ ही इसमें शामिल मीडिया आउटलेट्स की विश्वसनीयता भी खत्म होती है.’
The recent spate of unfounded stories in certain Indian media outlets, such as The Economic Times, India Today, and others, alleging coups or instability within the Bangladesh Army, is not only baseless but also deeply irresponsible. pic.twitter.com/xIWyAH3HsT
— Chief Adviser of the Government of Bangladesh (@ChiefAdviserGoB) March 13, 2025
बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने क्यों जताई आपत्ति?
वहीं, भारत के विदेश मंत्रालय की टिप्पणियों को लेकर भी आपत्ति जताई गई. बांग्लादेश ने कहा कि ढाका के संबंध में की गई हालिया टिप्पणी ‘‘अनुचित’’ और दूसरे देश के घरेलू मामलों में ‘‘हस्तक्षेप’’ के समान है. पिछले सप्ताह भारत ने बांग्लादेश की ओर से ‘‘हिंसक चरमपंथियों’’ को रिहा किए जाने पर चिंता व्यक्त की थी और इस बात को रेखांकित किया था कि हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के साथ-साथ उनके धार्मिक संस्थानों की सुरक्षा करना ढाका की अंतरिम सरकार की जिम्मेदारी है.
बांग्लादेशी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मोहम्मद रफीकुल आलम ने कहा कि ढाका ने बांग्लादेश के चुनाव, कानून व्यवस्था की स्थिति और अल्पसंख्यकों से संबंधित मामलों पर भारतीय विदेश मंत्रालय की टिप्पणियों पर ध्यान दिया है. उन्होंने कहा, ‘‘बांग्लादेश का दृढ़ विश्वास है कि ये मुद्दे पूरी तरह से उसके आंतरिक मामले हैं और इस तरह की टिप्पणियां अनुचित हैं और दूसरे देश के घरेलू मामलों में हस्तक्षेप के समान हैं.’’
भारत ने क्या कहा था?
आलम ने कहा कि नई दिल्ली की टिप्पणियां भ्रामक हैं और वे जमीनी हकीकत को नहीं दर्शाती हैं. भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा था कि भारत एक ‘‘स्थिर, शांतिपूर्ण, समावेशी और प्रगतिशील बांग्लादेश’’ का समर्थन करता है, जिसमें सभी मुद्दों का समाधान लोकतांत्रिक तरीकों से और समावेशी एवं भागीदारीपूर्ण चुनावों के माध्यम से किया जाए.
उन्होंने कहा, ‘‘हम कानून-व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति (बांग्लादेश में) को लेकर चिंतित हैं, जो गंभीर अपराधों के लिए सजा पाए हिंसक चरमपंथियों की रिहाई से और भी बदतर हो गई है.’’
भारत ने बार-बार इस बात पर जोर दिया है कि हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के साथ-साथ उनकी संपत्तियों और धार्मिक संस्थाओं की सुरक्षा करना बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की जिम्मेदारी है. पिछले साल अगस्त में बड़े पैमाने पर सरकार विरोधी प्रदर्शनों के कारण अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के बांग्लादेश छोड़ देने के बाद भारत-बांग्लादेश संबंधों में कड़वाहट आई है.
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