Mahashivratri 2025 two shivling appeared from neem root and bottom of pond in Firozabad ann

Maha Shivratri 2025: देशभर में आज 26 फरवरी 2025 को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जा रहा है. इस शुभ अवसर पर श्रद्धालु शिवालयों में शिवजी के दर्शन पूजन के लिए जाते हैं. देशभर के कई स्थानों में महादेव पिंडी रूप में विराजमान हैं. अधिकतर शिवालयों में केवल एक शिवलिंग भी विराजमान हैं, जिसमें पूजा होती है.

आगरा के सिकंदरा क्षेत्र के कैलाश गांव में प्राचीन कैलाश महादेव मंदिर में ऐसा मंदिर है, जहां एक साथ दो शिवलिंग विराजमान हैं, जोकि काफी प्रसिद्ध है. लेकिन सिर्फ आगरा ही नहीं बल्कि फिरोजाबाद के प्राचीन टेढेश्वर महादेव पर भी दो शिवलिंग स्थापित है और यहां शिवलिंग की जोड़ी के रूप में पूजा होती है. यहां शिवलिंग स्वयं भू चमत्कारी शिवलिंग हैं. ग्रामीणों में ऐसी मान्यता है कि टेढ़ेश्वर महादेव से सच्चे मन से जो मांगा जाता है उसे वह मिलता है. 

नीम की जड़ और तालाब के तल से प्रकट हुए महादेव

फिरोजाबाद जनपद के नारखी विकासखंड के गांव ओखरा में स्वयंभू महादेव की दो शिवलिंग है. ग्रामीणों के मुताबिक यह दोनों शिवलिंग स्वयंभू है और सैकड़ों वर्ष पुरानी है. दरअसल गांव के बाहर एक पुराने नीम की जड़ में यह शिवलिंग प्रकट हुई थी और दूसरी शिवलिंग इससे थोड़ी दूर पर स्थित ओखा रानी के तालाब से प्रकट हुई. नीम से प्रकट हुई हुई शिवलिंग लगभग डेढ़ फुट ऊंची है और तालाब से मिली शिवलिंग भी लगभग इतनी ही लंबी है.

एक ही स्थान पर दो शिवलिंग का रहस्य

  • इन दोनों शिवलिंग का रहस्य किसी भी ग्रामीण को नहीं पता कि आखिर पेड़ से भगवान भोलेनाथ का प्राकट्य कब और कैसे हुआ. ग्रामीणों के मुताबिक के उनके पूर्वजों के जन्म से भी पहले से ही यहां महादेव विराजमान हैं.  बुजुर्ग ग्रामीणों के मुताबिक स्वयंभू महादेव की आराधना उदासी बाबा नामक संत किया करते थे. उन्होंने महादेव के पास एक धूनी रमाए रखी थी, वह संत कहां से आए किसी को नहीं पता था. 
  • गांव के बुजुर्ग रामकिशोर कश्यप बताते हैं कि, उदासी बाबा जटाधारी थे और उनकी जटाएं 6 फुट से ज्यादा लंबी और घनी थी. पीपल और बरगद के पेड़ के नीचे उनकी कुटिया बनी हुई थी और मध्य में बाद हवन कुंड था जिसमें हर समय धूनी सुलगती रहती थी.
  • स्वयंभू महादेव के चमत्कार ऐसे हैं कि जिसने जो सच्चे मन से मांगा भगवान भोलेनाथ है उसकी मन्नत पूरी कर उसे आशीर्वाद दिया है. यहां विराजमान भोलेनाथ महामृत्युंजय के रूप में हैं. हजारों ग्रामीणों का अनुभव है कि अगर किसी को किसी प्रकार का शारीरिक कष्ट और जान का संकट आया और भगवान से मन ही मन प्रार्थना कर दी तो महादेव ने उसे जीवन दान दिया है. 

महाशिवरात्रि के मौके पर श्रद्धालु गंगा घाट से कावड़ लाकर भगवान भोलेनाथ को जलाभिषेक करते हैं और अपनी मन्नत मांगते हैं. मान्यता है कि यहां मांगी गई मनोकामना निश्चित तौर पर पूरी होती है.

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