भारत, यूरोप और अमेरिका से इजरायल को जोड़ने का क्या है ट्रंप का प्लान; जयशंकर और सार ने की अहम वार्ता

डॉ. एस जयशंकर और इजरायल के समकक्ष गिदोन सार

Image Source : X @DRSJAISHANKAR
डॉ. एस जयशंकर और इजरायल के समकक्ष गिदोन सार

येरूशलम: इजरायल को भारत, यूरोप और अमेरिका से जोड़ने का अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का आखिर क्या प्लान है, जिस पर म्यूनिख के शिखर सम्मेलन से इतर भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इजरायल के विदेश मंत्री गिदोन सार से गहन वार्ता की है। दोनों नेताओं की जर्मनी के म्यूनिख में मुलाकात हुई। पश्चिम एशिया के हालात तथा इजरायल के माध्यम से एशिया, यूरोप और अमेरिका को जोड़ने के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दृष्टिकोण सहित कई महत्वपूर्ण मामलों पर चर्चा की।

जयशंकर और सार ने शनिवार को म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन से इतर मुलाकात की, जो सुरक्षा-कूटनीतिक मामलों पर चर्चा करने के लिए एक प्रमुख वैश्विक मंच है। विदेश मंत्री ने ‘एक्स’ पर अपने पोस्ट में कहा, ‘‘एमएससी 2025 के मौके पर इजराइल के विदेश मंत्री गिदोन सार से मिलकर खुशी हुई। पश्चिम एशिया के मौजूदा हालात पर विचार-विमर्श किया। हमारी द्विपक्षीय साझेदारी की मजबूती और महत्व को रेखांकित किया।’’ इजरायली विदेश मंत्री के कार्यालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि सार ने इस बात पर जोर दिया कि इजरायल भारत के साथ अपने संबंधों को रणनीतिक महत्व देता है।

ट्रंप का इजरायल को लेकर क्या है बड़ा प्लान

इजरायली विदेश मंत्रालय के बययान में कहा गया कि उन्होंने इजरायल के माध्यम से एशिया, यूरोप और अमेरिका को जोड़ने के ट्रंप के दृष्टिकोण पर चर्चा की। दरअसल, ट्रंप ने वाशिंगटन में बृहस्पतिवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि अमेरिका और भारत ‘‘इतिहास के सबसे अच्छे व्यापार मार्गों में से एक’’ के निर्माण में मदद करने के लिए मिलकर काम करने पर सहमत हुए हैं। उन्होंने कहा था, ‘‘यह मार्ग भारत से इजरायल, इटली और फिर अमेरिका तक जाएगा तथा हमारे साझेदारों को बंदरगाहों, रेलमार्गों और समुद्र के नीचे बिछाई गई केबलों से जोड़ेगा।

यह एक बड़ा घटनाक्रम है।’’ पश्चिम एशिया के जरिए भारत को यूरोप तक जोड़ने के लिए एक परियोजना मौजूद है। इस परियोजना की घोषणा नयी दिल्ली में 2023 जी20 शिखर सम्मेलन में की गई थी। इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने तब इसे ‘‘इतिहास की सबसे बड़ी सहयोग परियोजना’’ बताया था और कहा था कि यह ‘‘पश्चिम एशिया, इजराइल की सूरत बदल देगी तथा पूरे विश्व को प्रभावित करेगी।’’ (भाषा)

 

Latest World News

Read More at www.indiatv.in