Mahakumbh 2025 amrit snan Significance for naga sadhu saint at prayagraj Triveni sangam

प्रयागराज में महाकुंभ का विशाल धर्म समागम चल रहा है. इस दौरान विशेष तिथियों में शाही स्नान और अमृत स्नान किए जा रहे हैं. संगम नगरी में किए जाने वाले अमृत स्नान का विशेष महत्व होता है. इसलिए अन्य दिनों की तुलना में इस दिन अधिक भीड़ होती है.

प्रयागराज में महाकुंभ का विशाल धर्म समागम चल रहा है. इस दौरान विशेष तिथियों में शाही स्नान और अमृत स्नान किए जा रहे हैं. संगम नगरी में किए जाने वाले अमृत स्नान का विशेष महत्व होता है. इसलिए अन्य दिनों की तुलना में इस दिन अधिक भीड़ होती है.

महाकुंभ के संगम तट के पास नागा साधु और साधु-संत के अखाड़े अपना शिविर लगाते हैं और त्रिवेणी संगम पर आस्था की डुबकी लगाते हैं. लेकिन महाकुंभ में साधु-संतों के लिए अमृत स्नान और शाही स्नान मुख्य आकर्षण का केंद्र रहता है.

महाकुंभ के संगम तट के पास नागा साधु और साधु-संत के अखाड़े अपना शिविर लगाते हैं और त्रिवेणी संगम पर आस्था की डुबकी लगाते हैं. लेकिन महाकुंभ में साधु-संतों के लिए अमृत स्नान और शाही स्नान मुख्य आकर्षण का केंद्र रहता है.

अमृत स्नान को लेकर धार्मिक मान्यता है कि इससे मोक्ष प्राप्ति होती है और तन-मन की अशुद्धियां दूर होती हैं. अमृत स्नान से हजार अश्वमेध यज्ञ के समान फल मिलता है. विशेषकर साधु-संतों के लिए इस स्नान का खास महत्व है.

अमृत स्नान को लेकर धार्मिक मान्यता है कि इससे मोक्ष प्राप्ति होती है और तन-मन की अशुद्धियां दूर होती हैं. अमृत स्नान से हजार अश्वमेध यज्ञ के समान फल मिलता है. विशेषकर साधु-संतों के लिए इस स्नान का खास महत्व है.

साधु-संत अमृत स्नान के लिए सालों इंतजार इसलिए करते हैं, क्योंकि यह स्नान पुण्य और पवित्रता प्राप्त करने का विशेष अवसर होता है. अमृत स्नान के बाद साधु-संत ध्यान लगाते हैं और धर्म ज्ञान पर चर्चा करते हैं.

साधु-संत अमृत स्नान के लिए सालों इंतजार इसलिए करते हैं, क्योंकि यह स्नान पुण्य और पवित्रता प्राप्त करने का विशेष अवसर होता है. अमृत स्नान के बाद साधु-संत ध्यान लगाते हैं और धर्म ज्ञान पर चर्चा करते हैं.

महाकुंभ में सबसे पहले नागा साधु पवित्र संगम पर स्नान करते हैं. इसके बाद साधु-संत स्नान करते हैं. इसका कारण यह है कि नागाओं के स्नान को धर्म और आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र माना गया है.

महाकुंभ में सबसे पहले नागा साधु पवित्र संगम पर स्नान करते हैं. इसके बाद साधु-संत स्नान करते हैं. इसका कारण यह है कि नागाओं के स्नान को धर्म और आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र माना गया है.

सनातन धर्म की रक्षा के लिए जब शंकराचार्य ने नागाओं की टोली तैयार की थी तब, साधु-संतों ने नागाओं को पहले स्नान करने के लिए आमंत्रित किया था. तब से यह परंपरा चली आ रही है.

सनातन धर्म की रक्षा के लिए जब शंकराचार्य ने नागाओं की टोली तैयार की थी तब, साधु-संतों ने नागाओं को पहले स्नान करने के लिए आमंत्रित किया था. तब से यह परंपरा चली आ रही है.

बता दें कि आज 3 फरवरी 2025 को प्रयाग के संगम में बसंत पंचमी का अमृत स्नान किया गया. इसके बाद अब 12 फरवरी माघ पूर्णिमा और 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के दिन शाही स्नान किया जाएगा.

बता दें कि आज 3 फरवरी 2025 को प्रयाग के संगम में बसंत पंचमी का अमृत स्नान किया गया. इसके बाद अब 12 फरवरी माघ पूर्णिमा और 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के दिन शाही स्नान किया जाएगा.

Published at : 03 Feb 2025 01:26 PM (IST)

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