प्रयागराज । श्रीगोवर्धनमठ पुरी पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती (Jagadguru Shankaracharya Swami Nischalananda Saraswati of Sri Govardhana Math Puri Peeth) ने कहा कि अंग्रेजों और मुसलमानों ने लंबे समय तक भारत पर शासन किया, लेकिन आतंकवादी को शंकराचार्य नहीं बनाया। अब तो जगद्गुरुओं और नकली शंकराचार्यों की भरमार है। उन्होंने कहा कि मॉरीशस सहित कई देशों में एक आतंकवादी को पुरी का नकली शंकराचार्य बनाकर घुमाया गया। आरएसएस (RSS)के कार्यालय में ठहराया गया। स्वामी निश्चलानंद सरस्वती (Swami Nischalanand Saraswati) ने कहा कि मैं किसी को डराता नहीं हूं। व्यास पीठ का कोई भी आचार्य हो, शासन तंत्र का अनुगामी बने, नहीं तो हम रहने नहीं देंगे।
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उन्होंने कहा कि परंपरा प्राप्त शंकराचार्य होने चाहिए, जिनका कोई व्यक्ति अनुगमन करे तो धर्म लाभ प्राप्त कर सके। मुझे एक करोड़ आतंकवादी और अराजकतत्व घेरेंगे, तब भी डर नहीं है। बता दें कि पिछले दिनों गृहमंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah) मेरे पास आए थे। जब मैंने इस विषय पर बात की तो उन्होंने कहा कि आपके पास ही तो आता हूं। मैंने कहा कि नकली को खड़ा करते हो और कहते हो कि मेरे पास ही आते हो। यह कूटनीति है।
ये वीडियो बीते 27 जनवरी का बताया जा रहा है। जब अमित शाह महाकुंभ आए हुए थे। इसी कड़ी में वे पुरी पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी के पास उनका मार्गदर्शन लेने पहुंचे। शंकराचार्य ने उन्हें आशीर्वाद दिया। इसी बीच नकली शंकराचार्य को लेकर स्वामी अमित शाह को फटकारते दिखे।वीडियो में वे शाह को लाड के साथ समझाते हुए नजर आ रहे हैं। शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती के मुताबिक एक नकली शंकराचार्य (अधोक्षानंद देवतीर्थ) को देश में घुमाया जा रहा है। जिन्हें गनर भी दिए हैं। स्वामी निश्चलानंद लगातार ये कहते रहे हैं कि ‘आतंकवादी को नकली शंकराचार्य बनाकर घुमाया जा रहा है’। यही बात वे अमित शाह (Amit Shah) के सामने रखते वीडियो में नजर आ रहे हैं।
‘ये हंस मजाक नहीं है…’
वीडियो में आचार्य नकली शंकराचार्य को लेकर अमित शाह (Amit Shah) से कह रहे हैं कि ‘ये हंसी मजाक नहीं है। इस पर शाह कह रहे हैं कि ‘महराज जी कोई नकली शंकराचार्य के पास नहीं जाते सब आपके पास आते हैं। हम भी आपके पास आते हैं’। इस पर निश्चलानंद जी ने कहा कि ‘यही तो कूटीति है’। इस पर शाह ने तुरंत कहा कि ‘कूटनीति नहीं है’।
क्या है नकली शंकराचार्य का विवाद?
बता दें कि जगद्गुरु भगवान आदि शंकराचार्य जी (Jagadguru Bhagwan Adi Shankaracharya Ji) के द्वारा चार मठ स्थापित किए गए थे। जो ज्योतिष्पीठ, गोवर्धनपीठ, शारदापीठ और शृंगेरीपीठ के नाम से जाने जाते हैं। यहां पर विद्यमान आचार्य शंकराचार्य कहलाते हैं। ये पूरा विवाद गोवर्धन मठ को लेकर है। जहां वर्तमान में स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी इस पीठ के 145वें शंकराचार्य हैं। आदि शंकराचार्य द्वारा रचित मठाम्नाय महानुशासन (जिसमें चारों पीठों के लिए नियम निर्धारित हैं) के अनुसार देश के चार कोनों में चार मठ स्थापित हैं। जो उत्तराखंड के जोशीमठ (ज्योतिष्पीठ), ओडिशा के पुरी (गोवर्धनपीठ), गुजरात के द्वारका (शारदापीठ) और कर्नाटक के चिकमंगलूर (शृंगेरीपीठ) में स्थित है।
महाकुंभ धर्म संसद में आप क्यों नहीं गए?
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श्रीगोवर्धनमठ पुरी पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती (Jagadguru Shankaracharya Swami Nischalananda Saraswati of Sri Govardhana Math Puri Peeth) ने कहा कि हमें बुलाया ही नहीं गया था। मनुस्मृति के संविधान को यमराज भी मानते हैं। संविधान ऐसा होना चाहिए, जो लोक और परिलोक में क्रियान्वित हो। परंपरानुसार शंकराचार्य होने चाहिए। यदि ये मुद्दे धर्म संसद में उठे हैं तो हमने खंडन भी नहीं किया।
सनातन बोर्ड के सवाल पर शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती (Shankaracharya Swami Nischalananda Saraswati) ने कहा कि सभी लोग अपने दायित्वों का निर्वहन करें तो इसकी आवश्यकता क्या है? ऐसी कौन सी समस्या है, जिसका समाधान हम लोगों के यहां नहीं हो सकता है। विश्व बैंक और संयुक्त राष्ट्र संघ के साथ मिलकर मैंने कई समस्याएं सुलझाई हैं। लेकिन, अलग से लकीर खींचने का चलन हो गया है। हमारी उपेक्षा की गई। फिर भी मैं मुस्कुराता रहता हूं। वहीं, नकली शंकराचार्य अपनी थाती के लिए पैसा बनाते हैं या खुद को पूजवाने की भावना ज्यादा रखते हैं।
गंगा को लेकर सवाल पूछे जाने पर स्वामी निश्चलानंद सरस्वती (Swami Nischalananda Saraswati) ने कहा कि गंगा के उद्गम स्थान को विलुप्त कर दिया गया है। मैंने हेलिकॉप्टर से जाकर देखा तो नालों का पानी भी इसी में गिर रहा है। पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने गंगा को राष्ट्रीय नदी तो घोषित कर दिया, लेकिन गंदे नाले का गिरना बंद नहीं हुआ। बेगूसराय में शहर के पानी से गंगा के तट पर खाद तैयार किया जाता है और वहां पर पौधे लगाए जाते हैं। उसे गंगा में नहीं डाला जाता। गंगा स्नान की विधा का पालन नहीं किया जा रहा है।
संगम क्षेत्र में हादसे पर कहा कि अमृत स्नान के लिए आने वाले श्रद्धालु सतर्क और संयमित रहें। व्यवस्था की विफलता के कारण यह हादसा हुआ। केवल घोषणा से आदमी नियंत्रित हो जाएगा, ऐसा सोचा गया था। सीएम योगी ने दुख व्यक्त किया, रोने लग गए। भावुकता के वशीभूत होकर अध्यात्म में मनोरंजन का अतिक्रमण न करें। दुर्घटना न हो, इसके लिए सावधान होने की आवश्यकता है। मैं शंकराचार्य हूं।
मैंने मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) पर संगम में स्नान किया, ताकि मेरे कार्य की वजह से कोई घटना न हो। अमृत स्नान में संतों ने विवेकपूर्ण तरीके से स्वयं को रोककर रखा, ताकि उपद्रव न हो। घटना की सूचना के बावजूद जनता ने धैर्य का परिचय देते हुए स्नान किया। यह हिंदुओं की स्थिति है कि श्रद्धा में कमी नहीं आई। ईश्वर पीड़ित परिजनों को दुख सहन करने की शक्ति प्रदान करे।
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