बजट दस्तावेज की मानें तो पब्लिक सेक्टर कंपनियों के शेयरधारकों को कुछ अतिरिक्त डिविडेंड मिल सकता है। दस्तावेज के मुताबिक, सरकार ने इस बार पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले ज्यादा डिविडेंड देने का अनुमान पेश किया है। बजट दस्तावेज के मुताबिक, सरकार ने पब्लिक सेक्टर कंपनियों के लिए अगले वित्त वर्ष में 69,000 करोड़ रुपये डिविडेंड देने का अनुमान पेश किया है, जबकि मौजूदा साल में इन कंपनियों का अनुमानित डिविडेंड 55,000 करोड़ रुपये था।
डिपार्टमेंट ऑफ डिसइनवेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंट (DIPAM) के सचिव अरुणीश चावला ने सीएनबीसी-टीवी18 को बताया कि सरकार मौजूदा फाइनेंशियल ईयर के लिए अपने डिविडेंड लक्ष्य में मामूली बढ़ोतरी करेगी और वित्त वर्ष 2026 के टारगेट को पूरा करने की कोशिश करेगी, क्योंकि यह थोड़ा ज्यादा है।
वित्त वर्ष 2024 में देश की सरकारी कंपनियों ने 1.5 लाख करोड़ रुपये का डिविडेंड बांटा था। सरकार ने पिछले साल दिसंबर में 2016 के बाद पहली बार सेंट्रल पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग्स (PSUs) के लिए कैपिटल रीस्ट्रक्चरिंग नॉर्म में संशोधन किया था, ताकि इसे बाजार की स्थितियों के मुताबिक ढाला जा सके। CPSEs को अब डिविडेंड के तौर पर अपने नेट वर्थ का 4 पर्सेंट भुगतान करना पड़ता है, जबकि पहले यह आंकड़ा 5 पर्सेंट था।
पीएसयू नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों (NBFCs) के लिए नेट वर्थ की शर्त खत्म कर दी गई थी, लेकिन न्यूनतम सालाना डिविडेंड के लिए 30 पर्सेंट का नेट प्रॉफिट नॉर्म बरकरार था। 1 फरवरी को केंद्रीय बजट पेश किए जाने के बाद निफ्टी PSE इंडेक्स 1 पर्सेंट की गिरावट के साथ बंद हुआ। रेलवे और डिफेंस शेयरों में बिकवाली की वजह से इसमें गिरावट देखने को मिली।
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