स्मॉलकैप शेयरों में हाहाकार, कोराना काल के बाद सबसे बड़ी गिरावट, 12% टूटा निफ्टी का स्मॉलकैप-100 इंडेक्स – nifty smallcap index down over 12 percent so far this month worst since covid induced march 2020 details

शेयर बाजार की गिरावट अब कोरोना काल की याद दिलाने लगी है। खासतौर से स्मॉलकैप शेयरों में कोराना काल के बाद से इतनी बड़ी गिरावट अबतक देखने को नहीं मिली थी। निफ्टी का स्मॉलकैप 100 इंडेक्स इस महीने अबतक 12 पर्सेंट से अधिक गिर चुका है। इससे पहले इसमें ऐसी गिरावट मार्च 2020 में देखने को मिली थी, जब भारत में लॉकडाउन लगना स्टार्ट हुआ था। आज 27 जनवरी को निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स करीब 3.84 फीसदी टूटकर बंद हुआ। गिरावट का आलम ये था इस स्मॉलकैप 100 इंडेक्स में जो कुल सौ शेयर शामिल हैं, उसमें से 94 शेयर लाल निशान में बंद हुए हैं। इसमें से भी 27 शेयरों में 5 फीसदी या इससे भी अधिक की गिरावट दर्ज की गई है।

आंकड़ों से पता चला है स्मॉलकैप इंडेक्स में पिछली बार इतनी भारी गिरावट मार्च 2020 में आई थी, जब कोरोना महामारी के चलते निवेशकों में घबराहट की स्थिति थी। हालांकि ये भी बताना जरूरी है कि ये स्मॉलकैप इंडेक्स बाद के महीनों में ठीक हो गया था और उस साल यह न सिर्फ हरे निशान में बंद हुआ, बल्कि इसने 21 फीसदी का शानदार रिटर्न भी दिया।

वैसे साल 2022 को छोड़ दे तो, पिछले 5 सालों में 4 बार निफ्टी स्मॉलकैप इंडेक्स ने दोहरे अंकों में रिटर्न दिया है। पिछले साल 2024 में इसने 23.94 फीसदी का शानदार रिटर्न दिया था। उससे भी पहले 2023 में तो इसने 55.62% का रिटर्न दिया था। वहीं 2021 में इसने 59.28% फीसदी का बंपर रिटर्न दिया था। जबकि 2020 में इंडेक्स 21.47% फीसदी चढ़ा था। हालांकि 2022 में इसमें गिरावट आई और उस साल इसने 13.80 फीसदी का नेगेटिव रिटर्न दिया था।

मार्केट एनालिस्ट्स का कहना है कि स्मॉलकैप शेयरों में गिरावट के पीछे कुल चार कारण हैं- कंपनियों के कमजोर नतीजे, ऊंचे वैल्यूएशन, कंज्मप्शन में सुस्ती और अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट। इसके अलावा विदेशी निवेशकों की बिकवाली ने भी आग में घी डालने का काम किया है।

इस बीच सेंसेक्स और निफ्टी भी अपने 7-महीने के निचले स्तर पर आ गए। निफ्टी तो आज 23,000 के भी नीचे जाकर बंद हुआ। रेलिगेयर ब्रोकिंग के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट रिसर्च, अजीत मिश्रा ने बताया कि निफ्टी का टेक्निकल चार्ट पर अभी गिरावट के लिए कमजोर है। हालांकि 22700 से 22900 का रेंज इसके लिए तत्काल सपोर्ट के रूप में काम कर सकता है। वहीं किसी भी तरह को उछाल को ऊपर 23,450-23,650 के जोन में मजबूत रेजिस्टेंस का सामना करना पड़ सकता है।

अजित मिश्रा ने कहा कि असली चिंता मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में हैं, जहां लगातार बड़ी गिरावट आ रही है और निकट भविष्य में भी इसके कम होने की संभावना नहीं है। फिलहाल शेयर बाजार पर तमाम ग्लोबल फैक्टर्स के चलते दबाव बना हुआ है। अमेरिक क 7 सबसे बड़ी टेक कंपनियों में 4 के नतीजे इसी हफ्ते आने वाले हैं। इस बीच चीन के एक स्टार्टअप, DeepSeek ने एक मुफ्त, ओपन-सोर्स AI मॉडल लॉन्च करके ग्लोबल मार्केट में हलचल मचा दी है।

यह मॉडल OpenAI के ChatGPT को टक्कर देने के लिए तैयार है। इस नए AI टूल के लॉन्च के बाद इसे ऐप स्टोर पर भारी मात्रा में डाउनलोड किया गया, जिससे अमेरिकी टेक दिग्गजों पर खतरा मंडराता हुआ दिख रहा है। इसके अलावा अमेरिका के फेडरल रिजर्व बैंक का आगामी 29 जनवरी को ब्याज दरों को लेकर बयान आने वाला है, जो बाजार की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभा सकता है। उम्मीद की जा रही है कि फेडरल रिजर्व ब्याज दरों को स्थिर रखेगा।

हालांकि भारतीय शेयर बाजार के लिए सबसे अहम इवेंट इस हफ्ते के आखिरी दिन शनिवार 1 फरवरी को आएगा। ध्यान रखें कि उस दिन शेयर बाजार भी खुला रहेगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को संसद में बज पेश करेंगी, जो शेयर बाजार और देश की इकोनॉमी दोनों के लिए बेहद अहम होगा। माना जा रहा है कि सरकार बजट में कंजम्पशन को बढ़ाने और इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च को बढ़ावा देने से जुड़े कुछ बड़े उपायों का ऐलान कर सकती है।

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