
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद साधु-संतों, संन्यासियों और महंतों की सबसे बड़ी संस्था है. इस संगठन के अध्यक्ष सभी ही सभी 13 अखाड़ों का संचालन करते हैं. अभी अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी हैं.

कुम्भ मेले जैसे विशाल धार्मिक आयोजनों के अवसर पर साधु-संतों के टकराव की बढ़ती घटनाओं को रोकने के लिए अखाड़ा परिषद की स्थापना हुई.

परंपरा के मुताबिक शैव, वैष्णव और उदासीन पंथ के संन्यासियों के मान्यता प्राप्त कुल 13 अखाड़े हैं. अखाड़ों का अपना एक अलग कानून होता है, जहां गलतियां करने वालों को अखाड़ों के कानून के तहत ही सजा मिलती है.

अखाड़ों के कानून को मानने की शपथ नागा बनने की प्रक्रिया के दौरान दिलाई जाती है. महाकुंभ में आए सभी 13 अखाड़े में जुर्म करने वाले साधुओं को अखाड़ा परिषद सजा देता है.

छोटी चूक के दोषी साधु को अखाड़े के कोतवाल के साथ गंगा में पांच से लेकर 108 डुबकी लगाने के लिए भेजा जाता है. डुबकी के बाद वह भीगे कपड़े में ही देवस्थान पर आकर अपनी गलती के लिए क्षमा मांगता है। फिर पुजारी पूजा स्थल पर रखा प्रसाद देकर उसे दोषमुक्त करते हैं.

विवाह, हत्या या दुष्कर्म जैसे मामलों में उसे अखाड़े से निष्कासित कर दिया जाता है. अखाड़े से निकल जाने के बाद ही इनपर भारतीय संविधान में वर्णित कानून लागू होता है.
Published at : 18 Jan 2025 10:15 AM (IST)
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