Union Health Minister JP Nadda says Health experts have clarified that the HMPV is not a new virus

भारत में अब तक HMPV के 6 मामले सामने आए हैं वहीं चीन के कई वीडियो और सोशल मीडिया पोस्ट वायरल हो रहे हैं जिसमें हॉस्पिटल में काफी ज्यादा भीड़भाड़ दिखाई दे रहे हैं. जिसे देखकर ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV)  को लेकर पूरी दुनिया में हल्ला मचा हुआ है. लेकिन भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसे लेकर एक बयान जारी करते हुए कहा है कि पैनिक होने की जरूरत नहीं है. क्योंकि यह 24 साल पुराना वायरस है. भारत में वायरस का आना कोई नई बात नहीं है. यह कई सालों से पूरी दुनिया में फैल रहा है. HMPV सांस के जरिए हवा के जरिए फैलता है. यह किसी भी उम्र के लोगों को अपना शिकार बना सकता है. देश की स्वास्थ्य प्रणाली और निगरानी नेटवर्क सतर्क हैं और चिंता की कोई बात नहीं है.

कोरोना वायरस की तरह यह भी फ्लू महीने भर में 5 देशों में फैल चुका है.चीन से लगे पड़ोसी देश में यह तेजी से फैल रही है. भारत में अब तक इसके 6 केसेस सामने आ चुके हैं. कर्नाटक से 2, गुजरात से 1 और कोलकाता से 1, और चेन्नई से 2 मामले सामने आए हैं. इसके लक्षण काफी ज्यादा कोरोना से मिलते हैं. 

24 साल पहले ही इस वायरस की हो गई थी खोज

HMPV की खोज पहली बार साल 2001 में हुई थी. 24 साल पहले पता लगने के बावजूद अब तक इसकी वैक्सीन नहीं बनी है. कर्नाटक चिकित्सा शिक्षा निदेशालय की न्यू गाइ़डलाइन में कहा गया है कि HMPV के लिए कोई स्पेशल एंटीवायरल इलाज या टीका नहीं है. क्यों ये नॉर्मल कोल्ड-कफ की तरह इसके लक्षण होते हैं. 

इस बीमारी को लेकर चीन ने क्या कहा?

चीनी रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (चीन CDC) ने यह भी उल्लेख किया है कि वर्तमान में HMPV के खिलाफ कोई टीका या दवा असरदार नहीं है. इस बीमारी के लक्षण भी पर्सन टू पर्सन अलग-अलग होते हैं. चीनी रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (CDC) के अनुसार डच विद्वानों ने पहली बार 2001 में नासॉफिरिन्जियल एस्पिरेट नमूनों में HMPV की खोज की थी. इस बीमारी के शुरुआती लक्षण सांस से जुड़ी बीमारी, बच्चों के गले के ऊपरी हिस्से में जमा बलगम या कफ जमा होना. 

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कितना खतरनाक है HMPV?

इस मामले में एबीपी लाइव ने पीसीआईआर चेयरमैन पल्मोनरी, क्रिटिकल केअर एंड स्लीप मेडिसिन डॉ. जीसी खिलनानी से बात की. उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के कहर को कोई नहीं भूल सकता है. दुनिया में उसकी तरह के हजारों-लाखों वायरस हैं. 2001 में एचएमपीवी को आइडेंटिफाई किया गया था. इसमें हल्का-फुल्का खांसी-जुकाम होता है. खासतौर पर पांच साल से छोटे बच्चे इसकी चपेट में जल्दी आते हैं और दो साल से छोटे बच्चों को खतरा काफी ज्यादा है. डॉ. जीसी खिलनानी के मुताबिक, इस वक्त चिंता इस बात की है कि अभी वायरस के म्यूटेशन का पता नहीं लग पाया है. यह कौन-सा म्यूटेशन है, यह भी नहीं कहा जा सकता है. इसके अलावा वायरस की गंभीरता की जानकारी भी नहीं है. अगर खराब म्यूटेट हुआ तो यह कोविड की तरह भी फैल सकता है. कुछ लोग कह रहे हैं कि यह नया वायरस है तो ऐसा नहीं है. 

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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