Mahatma Gandhi Was against Pentangular cricket tournament in Mumbai in 1940

Gandhi Jayanti Was Against Pentangular Cricket Tournament: भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) की आज 155वीं जयंती है. 02 अक्टूबर को भारत में गांधी जयंती मनाई जाती है. इस खास मौके पर हम आपको बताएंगे कि कैसे महात्मा गांधी में मुंबई में होने वाले एक क्रिकेट टूर्नामेंट का विरोध किया था. गांधी जी ने मुंबई में 1940 में खेले जाने वाले ‘पेंटेंगुलर’ टूर्नामेंट का विरोध इसलिए किया था क्योंकि उसमें टीमों को धर्म के आधार पर बांटा गया था. तो आइए जानते हैं कि पूरी कहानी क्या है. 

आपको बता दें कि पेंटेंगुलर टूर्नामेंट में हिस्सा लेने वाली ज्यादातर टीमें धर्म के आधार पर बंटी हुई थीं. टूर्नामेंट में हिंदू क्लब, मुस्लिम क्लब और पारसी इलेवन जैसी टीमें शामिल थीं. वहीं टूर्नामेंट में एक टीम यूरोपीय इलेवन नाम की भी थी. गांधी जी ने धर्म के अलावा दूसरे विश्व युद्ध के कारण भी इस टूर्नामेंट का विरोध किया था. राष्ट्रपिता ने कहा था कि युद्ध की वजह से शोक का माहौल है. बताते चलें कि दूसरा विश्व युद्ध 1939 से 1945 तक चला था. 

इस टूर्नामेंट को लोग खूब पसंद कर रहे थे. टूर्नामेंट से पहले होने वाले ट्रायल मैचों को देखने के लोग भारी तादात में पहुंच रहे थे. इसी बीच महात्मा गांधी दिसंबर, 1940 में वर्धा पहुंचे थे, जहां उन्होंने जिमखाना क्रिकेट क्लब के अध्यक्ष एसए शेटे, उपाध्यक्ष एमएम अमर्सी और मैनेजमेंट कमेटी के सदस्य जमनादास पीतांबर से मुलाकात की थी. गांधी जी की यह मुलाकात 06 दिसंबर, 1940 को हुई थी, जबकि टूर्नामेंट 14 दिसंबर से शुरू होना था.

प्रतिनिधिमंडल की मांगी राय पर गांधी जी ने कहा, “मेरा सहानुभूति उन लोगों के साथ है, जो इन मुकाबलों को रोकना चाहते हैं. युद्ध के कारण शोक का माहौल है. यूरोप में स्थिरता और उनके कल्चर पर खतरा है, एशिया भी इसकी चपेट में है. मैं आगे आने वाले मैचों की रोकने के लिए जारी आंदोलन को सपोर्ट करूंगा.”

इसके अलावा महात्मा गांधी ने धर्म के आधार पर टीमें बांटने पर कहा, “मैं चाहता हूं कि बंबई के लोग अपनी खेल संहित में संशोधन करे और उससे साम्प्रदायिकता को मिटा दे. मैं कॉलेज और संस्थानों के बीच प्रतियोगिता को समझ सकता हूं, लेकिन हिंदू, मुस्लिम और पारसी के बीच मुकाबले के कारणों को नहीं समझ पाया. खेल की भाषा और खेल के तौर तरीकों में इस तरह के बटवारे को वर्जित माना जाना चाहिए. क्या हमारी जिंदगी का कोई हिस्सा ऐसा नहीं हो सकता, जो सांप्रदायिकता से बचा रहे? इसलिए मैं चाहता हूं कि जिन लोगों का आंदोलन से लेना देना है, वो मैच को रोक दें और इस मुद्द को व्यापक बनाएं. इस पर अच्छे नजरिए के साथ विचार करते हुए खेल जगत से सांप्रदायिकता को दूर करने का फैसला करें.”

 

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