क्या है पोलारिस डॉन मिशन
कई महीनों की देरी के बाद 10 सितंबर को पोलारिस डॉन मिशन को लॉन्च किया गया। इसका मकसद अंतरिक्ष में एक प्राइवेट कमर्शल स्पेसवॉक को पूरा करना था। मिशन में चार लोग शामिल हुए। इसकी फंडिंग और कमांड जेरेड इसाकमैन (Jared Isaacman) के पास है। वह एक अरबपति बिजनेसमैन हैं। पायलट की जिम्मेदारी लेफ्टिनेंट कर्नल स्कॉट पोटेट ने निभाई। मिशन स्पेशलिस्ट के तौर पर सारा गिलिस और अन्ना मेनन शामिल हुईं, जो स्पेसएक्स में ऑपरेशंस इंजीनियर हैं।
EVA vs SEVA
EVA यानी एक्स्ट्रावेहिकुलर एक्टिविटी का मतलब है कि एक अंतरिक्ष यात्री ने स्पेस में अपने स्पेसक्राफ्ट को छोड़ा। वह पूरी तरह उससे बाहर निकला और अपना काम पूरा करके स्पेसक्राफ्ट में लौटा। इस दौरान वह स्पेसक्राफ्ट के बाहर स्पेस में टहलता है। EVA के दौरान आमतौर पर सैटेलाइट का मेंटनेंस जैसे काम पूरे किए जाते हैं।
इसके मुकाबले, ‘स्टैंड-अप एक्स्ट्रावेहिकुलर एक्टिविटी’ यानी SEVA में अंतरिक्ष यात्री पूरी तरह से स्पेसक्राफ्ट से बाहर नहीं निकलता। उसके शरीर का कुछ हिस्सा स्पेसक्राफ्ट से अटैच रहता है। पोलारिस डॉन मिशन में यही हुआ। जेरेड इसाकमैन और सारा गिलिस ने पूरी तरह से स्पेसक्राफ्ट को नहीं छोड़ा।
स्पेसडॉटकॉम की रिपोर्ट में भी बताया गया है कि प्राइवेट कमर्शल स्पेसवॉक के दौरान दोनों अंतरिक्ष यात्रियों ने स्पेसक्राफ्ट के बाहर चहलकदमी नहीं की। वह स्टैंड अप पोजिशन में थे। दिलचस्प यह कि अंतरिक्ष के इतिहास में यह 20वीं स्टैंड-अप एक्स्ट्रावेहिकुलर एक्टिविटी (SEVA) थी। EVA और SEVA के बीच फर्क 1966 में पहली बार सामने आया था, जब जेमिनी स्पेसक्राफ्ट अंतरिक्ष में पहुंचा था। तब नासा के एस्ट्रोनॉट माइकल कोलिन्स ने स्पेसक्राफ्ट से अपना शरीर बाहर निकालकर कुछ तस्वीरें ली थीं।
गुरुवार को एक बार फिर SEVA को दोहराया गया। इस दौरान इसाकमैन और गिलिस ने ड्रैगन कैप्सूल को कभी भी पूरी तरह से नहीं छोड़ा। उन्होंने अपने शरीर का कम से कम कुछ हिस्सा हर समय अंदर रखा। इस मिशन से पहले भी साल 2008 में SEVA किया गया था। दो चीनी एस्ट्रोनॉट अपने देश का राष्ट्रीय ध्वज लहराने के लिए स्पेसक्राफ्ट से थोड़ा बाहर निकले थे। बहरहाल, पोलारिस डॉन मिशन का SEVA करीब 1 घंटे 46 मिनट तक चला।
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