Shani rohini Shakat bhedan is disastrous know king Dasharatha katha and what will affected

Shani Dev: शनि देव (Shani Dev) न्याय प्रिय और कर्मप्रधान देवता के रूप में जाने जाते हैं. शनि देव विशेषकर साढ़ेसाती (Shani Sadesati) और ढैय्या (Dhaiya) के समय कष्टकारी साबित होते हैं. लेकिन शनि रोहिणी शकट भेदन इन सभी से अधिक विनाशकारी और दुखदायी होता है.

शनि रोहिणी शकट भेदन हजारों सालों में एक बार आता है. शनि रोहिणी शकट भेदन के संबंध में कहा गया है-

गवि नगकुलवे खगोस्य चेद्यमदिगिषु: खगशरांगुलाधि’क:।।
कभशकटमसौ भिनत्यसृक्क्षनिरुडुपो यदि चेज्जनक्षय:।।

यानी, अगर कोई ग्रह वृष राशि (Taurus) के 17 अंश में हो, रोहिणी तृतीया पाद में हो, उसका शर दक्षिण दिशा में हो, पांच अंगुल से ज्यादा यानी लगभग 2 डिग्री हो तब मंगल (Mangal), शनि और चंद्रमा में से किसी एक ग्रह का रोहिणी शकट भेदन होता है. इसके अलावा किसी अन्य ग्रहों के शकट भेदन की संभावना ज्योतिष (Jyotish) में नहीं बतलाई गई है.

लेकिन यह रोहिणी शकट भेदन बहुत विनाशकारी और लोको का नाश करने वाला होता है. इतना तक कि यह देवता-असुर के लिए भी विनाशकारी है. जब शनि रोहिणी शकट भेदन की स्थिति होती है तो पृथ्वी पर 12 वर्ष के लिए अत्यंत दुखदायी अकाल पड़ता है और युद्ध-विनाश की संभावना बढ़ जाती है.

कब बनता है शनि रोहिणी शकट भेदन का योग

शनि ग्रह जब रोहिणी का भेदन कर बढ़ जाता है, तब यह योग बनता है. यह योग हजारों वर्षों में एक बार आता है.  पौराणिक कथाओं के अनुसार ठीक ऐसा ही योग राजा दशरथ (Dasharatha) के काल में बनने वाला था.

शनि रोहिणी शकट भेदन की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार शनि रोहिणी शकट भेदन का योग राजा दशरथ के काल में आने वाला था. ज्योतिषियों (Astrologers) ने जब देखा कि शनि कृत्तिका नक्षत्र के अंतिम चरण में है. उन्होंने गणित करके दशरथ को इसकी जानकारी दी और कहा कि, शनि कृत्तिका नक्षत्र (Krittika Nakshatra) के अंतिम चरण में है और अब अवश्य ही रोहिणी नक्षत्र (Rohini Nakshatra) का भेदन कर जाएगा. यदि शनि रोहिणी शकट भेदन का योग आ जाएगा तो यह बहुत कष्टकारी रहेगा. प्रजा अन्न-जल के बगैर तड़प-तड़पकर मर जाएगी.

प्रजा को शनि रोहिणी शकट भेदन के कष्ट से बचाने के लिए राजा दशरथ अपने रथ पर सवार होकर नक्षत्र मंडल पहुंच गए और शनि देव को प्रणाम किया. इसके बाद क्षत्रिय धर्म के अनुसार शनि देव से युद्ध भी किया और उनपर संहारास्त्र का संधान भी किया. राजा दशरथ की तपस्या, पुरुषार्थ, कर्तव्यनिष्ठा और प्रजा के प्रति प्रेम देखकर महाराज शनि (Shani Maharaj) प्रसन्न हुए और दशरथ से वर मांगने के लिए कहा.

दशरथ ने शनि देव से वर मांगा कि, जब तक चंद्रमा, सूर्य (Surya), नदियां, सागर और पृथ्वी संसार में हैं, तब तक आप रोहिणी शकट भेदन कभी न करें. शनि देव ने राजा दशरथ को एवमस्तु (ऐसा ही होगा) कहकर संतुष्ट किया.

क्या सच में शनि रोहिणी शकट भेदन से हो जाएगा दुनिया का अंत!

प्राचीन हिंदू खगोलशास्त्रियों (Astronomers) के अनुसार, यदि शनि रोहिणी नक्षत्र (चौथे पाद) पर प्रवेश कर जाए तो दुनिया का अंत हो सकता है. वहीं आधुनिक खगोलीय तथ्यों से भी मालूम होता है कि शनि देव सामान्यत: कभी भी उक्त वृत्त में प्रवेश नहीं करेंगे. हाल ही में वृत्त से एक डिग्री के भीतर तक पहुंचने के बाद भी शनि ने इसमें प्रवेश नहीं किया. इससे यह पता चलता है कि आधुनिक के साथ ही हमारे प्राचीन खगोलशास्त्री और ज्योतिष काफी विद्वान थे.

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