मार्क मोबियस ने फंड मैनेजर के अपने सफर के बारे में बताया, निवेशकों को दी यह सलाह – veteran investor mark mobius shares his experiences as a fund manager suggests many things to investors

दिग्गज निवेशक मार्क मोबियस ने जनवरी 2025 में नया फंड लॉन्च करने का ऐलान किया है। हाल में अपना 88वां जन्मदिन मनाने वाले मोबियस ने अपने ब्लॉग में बतौर फंड मैनेजर अपने सफर के बारे में बताया है। 50 साल से ज्यादा उम्र में फंड मैनेजर का उनका सफर शुरू हुआ था। उन्होंने इस दौरान फाइनेंस की दुनिया में आए बदलाव के बारे में बताया है। उनका मानना है कि इनोवेशन की बदौलत आज मौके पहले से काफी ज्यादा हैं।

गलतियां की और उनसे सीखा

मोबियस (Mark Mobius) ने माना है कि करियर में उन्होंने कई गलतियां कीं। लेकिन इससे उन्हें काफी सीखने को मिला। उन्होंने लिखा है, “मुझे ऐसा लगता है कि दशकों के अनुभव के बाद यह नया फंड शुरू करने के लिए मेरे लिए सबसे अच्छा समय है। इस फंड को जनवरी 2025 में लॉन्च करने का प्लान है।” उन्होंने बताया कि जब वह पहली बार फंड मैनेजर (Fund Manager) बने तो कई लोगों को लगा कि उनका यह फैसला काफी ज्यादा महत्वाकांक्षा से प्रेरित है। इसकी वजह यह है कि ज्यादा उम्र में करियर में बदलाव के फैसले को लोग अच्छा नहीं मानते हैं।

जब पैसा हो तो वह निवेश का बेस्ट टाइम

दिग्गज फंड मैनेजर ने लिखा है, “इनसान के रूप में हम अक्सर एक दूसरे के लिए सीमा तय कर देते हैं। लेकिन, सच्चाई यह है कि आप अपनी जिंदगी को जैसा चाहे वैसा बीता सकते हैं।” मार्केट में उतारचढ़ाव के बारे में बात करते हुए उन्होंने सर जॉन टेंपलटन के बारे में बताया, जिनके साथ उन्हें फंड मैनेजर का अपना करियर शुरू किया था। उन्होंने कहा कि टेंपलटन ने कहा था कि जब आपके पास पैसा हो तो वह निवेश का बेस्ट टाइम है।

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इतिहास से सबक लेना चाहिए और नई चीजें सीखते रहना चाहिए

टेंपलटन के इस कोट का मतलब समझाते हुए मोबियस ने कहा कि आप किसी समय निवेश कर सकते हैं। बाजार के उतारचढ़ाव का असर आपके निवेश के फैसले पर नहीं पड़ना चाहिए। उन्होंने फाइनेंस की दुनिया में तेजी से आ रहे बदलाव के बारे में बताया। खासकर उन्होंने टेक्नोलॉजी और उभरते बाजारों के बारे में चर्चा की। आज इनोवेशन की वजह से नए मौके बन रहे हैं। उन्होंने कहा, “इनोवेशन का मतलब सिर्फ नई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल नहीं है, इसका संबंध माइंडसेट से भी है। हमें हमेशा सीखते रहना चाहिए। स्थितियों के मुताबिक खुद को ढालना चाहिए। इतिहास से सबक लेते हुए नई चीजों का स्वागत करना चाहिए।”

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