मार्केट में तेजी के दौर में जब लिक्विडिटी ज्यादा होती है तो निवेशक खराब प्रदर्शन की अनदेखी करते हैं। वे अच्छे और खराब शेयरों के बीच फर्क नहीं करते हैं। फंड मैनेजर्स ने मनीकंट्रोल म्यूचुअल फंड समिट में ये बातें कहीं। यह समिट 22 अगस्त को मुंबई में हुआ। उनका यह भी कहना था कि हाई वैल्यूएशन को देखते हुए निवेशकों को शेयरों से अच्छा रिटर्न कमाने के लिए निवेश की अवधि लंबी रखनी होगी। एचडीएफसी एएमएसी में सीनियर फंड मैनेजर रोशी जैन ने कहा कि लिक्विडिटी ज्यादा होने की वजह से कमजोर प्रदर्शन पर नजरें नहीं जा रही हैं। लेकिन, आंख मूंदकर निवेश करने की जगह कंपनियों के प्रदर्शन का आकलन करने के बाद निवेश का फैसला लेना चाहिए।
खराब और अच्छा के बीच फर्क नहीं कर पा रहे निवेशक
जैन ने कहा कि बाजार में तेजी के बीच निवेशक स्टॉक्स (Stocks) और उसके वैल्यूएशन (Valuation) पर गौर नहीं कर रहे हैं। एक सेक्टर की सभी कंपनियों को एक समान नजरिए से देखा जा रहा है। ज्यादा लिक्विडिटी की वजह से मजबूत और कमजोर कंपनी के बीच फर्क नहीं किया जा रहा है। आम तौर पर जब मार्केट फंडामेंटल्स की जगह सेंटिमेंट से चलता है तो उसमें बुलबुला बन जाता है। वैल्यूएशन काफी बढ़ जाती है।
ज्यादतर सेक्टर में शेयरों की वैल्यूएशन हाई
पराग पारिख म्यूचुअल फंड्स के चीफ इनवेस्टमेंट अफसर राजीव ठक्कर ने कहा कि अभी ज्यादातर सेक्टर में शेयरों की वैल्यूएशन ज्यादा है। ईवी, पुरानी ऑटो कंपनियों से लेकर रिटेल कंपनियों तक की वैल्यूएशन ज्यादा हो गई है। उन्होंने इसे बगैर अनुशासन वाले निवेश का सटीक उदाहरण बताया। उन्होंने कहा कि वैल्यूएशन बढ़ने का मतलब है कि भविष्य में रिटर्न कम रहेगा। स्टॉक मार्केट के प्रमुख सूचकांकों ने पिछले पांच साल में डबल डिजिट रिटर्न दिए हैं। सिर्फ 2022 एक अपवाद है, जब BSE500 के मुनाफे की ग्रोथ लगातार पांचवीं तिमाही 10 फीसदी से कम रही।
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अभी लंबी अवधि के लिहाज से निवेश करने में फायदा
ठक्कर ने कहा, “नए निवेशकों में अनुभव का अभाव है। उन्होंने सिर्फ ज्यादा रिटर्न वाला समय देखा है। बुल मार्केट से आकर्षित इन निवेशकों को लंबी गिरावट के दौर में दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है, जो मार्केट के लिए भी बड़ा रिस्क है।” ज्यादातर फंड मैनेजर्स का कहना था कि ज्यादा वैल्यूएशन को देखते हुए निवेशकों को लंबी अवधि का नजरिया रखना चाहिए। जैन ने कहा कि छोटी अवधि के लिहाज से वैल्यूएशन ज्यादा लगती है। लेकिन, लंबी अवधि में कंपनियों की अर्निंग्स में वृद्धि देखने को मिलेगी।
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