<p style="text-align: justify;">सन 1947. देश अभी तक दो हिस्सों में नहीं बंटा था. लेकिन अंग्रेजों को देश छोड़ने की बहुत जल्दी थी. आखिरी गवर्नर जनरल लार्ड मांउटबेटन चाहते थे कि किसी तरह से दोनों देशों का बंटवारा हो जाए. </p>
<p style="text-align: justify;">20 फरवरी 1947 को ब्रिटिश प्रधानमंत्री ‘एटली’ घोषणा करते हैं कि जून 1948 से पहले पहले ब्रिटिश हुकूमत भारत को सत्ता सौंप देंगे.</p>
<p style="text-align: justify;">23 मार्च 1947 को लॉर्ड माउंटबेटन का वाइसराय बनाकर भारत भेजा जाता है. इसी दिन मुस्लिम लीग ‘पाकिस्तान दिवस’ मनाती है. 3 जून 1947 को लार्ड माउंटबेटन भारत के विभाजन की घोषणा करते हैं.</p>
<p><br /><img style="display: block; margin-left: auto; margin-right: auto;" src="https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/08/16/ee75f5557f6421193935dbb4f642b92f1723814165382257_original.png" /></p>
<p style="text-align: justify;">लार्ड माउंटबेटन ने भारत और पाकिस्तान को 14 और 15 अगस्त में एक दिन आजादी की तिथि के रूप में निर्धारित करने को कहा. तो पाकिस्तान ने 14 अगस्त 1947 को अपनी स्वतंत्रता की औपचारिक घोषणा कर दी.</p>
<p style="text-align: justify;">जबकि भारत ने स्वतंत्रता दिवस के 15 अगस्त 1947 की मध्यरात्रि का समय निर्धारित किया. स्वतंत्रता दिवस के लिए ‘शुभ मुहूर्त’ निकालने के जिम्मेदारी भारत के पहले राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने उज्जैन के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित सूर्य नारायण व्यास को सौंपी.</p>
<p style="text-align: justify;">पंडित सूर्य नारायण व्यास ने ही स्वतंत्रता दिवस की तिथि और शुभ मुहूर्त निकाला था. ज्योतिषाचार्य ने जो समय निकाला, उसी मुहूर्त में अंग्रेजों ने पंडित जवाहरलाल नेहरू के हाथों में भारत का भाग्य सौंप दिया और ब्रिटिश सरकार ने भारतीय स्वतंत्रता एक्ट पर हस्ताक्षर कर दिए, तब उस दौरान रात के 12:00 बजे रहे थे.</p>
<p style="text-align: justify;">वहीं पाकिस्तान की बात करें तो जब भारत में 12 बज रहे थे, तब पाकिस्तान की घड़ियां 11.30 बजा रही थी. क्योंकि पाकिस्तान का स्टैंडर्ड टाइम भारत से 30 मिनट पीछे है. जब दोनों मुल्क गहरी नींद में सो रहे थे, तब उनकी किस्मत तय हो रही थी.</p>
<p><br /><img style="display: block; margin-left: auto; margin-right: auto;" src="https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/08/16/4ccfbb3795a83b693d2b5231969e7a651723816303117257_original.png" /></p>
<p style="text-align: justify;">पंडित सूर्य नारायण व्यास ज्योतिष शास्त्र के मर्मज्ञ थे, इसी वजह से उन्हें आजाद भारत की कुंडली बनाने की जिम्मेदारी दी गई. ज्योतिष शास्त्र के साथ-साथ वे साहित्यकार, इतिहासकार, स्वतंत्रता सैनानी व पत्रकार भी थे.</p>
<p style="text-align: justify;">पंडित सूर्य नारायण व्यास ने 1930 में ही भारत के आजाद होने की भविष्यवाणी कर दी थी. भारत सरकार ने पंडित सूर्य नारायण व्यास को 1958 में पद्मभूषण सम्मान प्रदान किया. पंडित सूर्य नारायण व्यास महात्मा गांधी, राजेंद्र प्रसाद, सरदार वल्लभभाई पटेल, जवाहर लाल नेहरू के ज्योतिष सलाहकार थे.</p>
<p style="text-align: justify;">बताते हैं कि पंडित सूर्य नारायण व्यास ने मोहम्मद अली जिन्ना को सलाह दी थी कि वे <a title="स्वतंत्रता दिवस" href="https://www.abplive.com/topic/independence-day-2024" data-type="interlinkingkeywords">स्वतंत्रता दिवस</a> के लिए 14 अगस्त की तारीख का चयन न करें. ये पाकिस्तान के लिए शुभ नहीं है.</p>
<p style="text-align: justify;">पंडित सूर्य नारायण व्यास का मानना था कि इस दिन स्थिर लग्न नहीं है. पंचांग अनुसार उस दिन मेष लग्न बन रहा था जो कि एक चर लग्न था. लोकतंत्र की मजबूती के लिए स्थिर लग्न को शुभ माना गया है. कहते हैं कि पंडित सूर्य नारायण व्यास ने यही सलाह मोहम्मद अली जिन्ना को दी थी. ज्योतिष ग्रंथों में चर लग्न वालों के लिए ग्यारवां भाव बाधक माना गया है. </p>
<p style="text-align: justify;">ज्योतिष ग्रंथों में 11वां भाव लाभ का भाव माना गया है. इससे आय, बड़े भाई-बहन, उपलब्धि, इच्छाओं की पूर्ति आदि का विचार किया जाता है. चर लग्न और ग्रह दोष के कारण पाकिस्तान में लोकतंत्र की स्थापना दूर का सपना रहेगा. </p>
<p style="text-align: justify;">पाकिस्तान जब से आजाद मुल्क बना है तभी से ही वहां पर सेना का हस्तक्षेप रहा है. आलम ये है कि वहां अबतक एक भी प्रधानमंत्री ढंग से अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया है.</p>
<p style="text-align: justify;">पंडित सूर्य नारायण व्यास ने कई भविष्यवाणी की थी, इसमें महात्मा गांधी की हत्या, भारत पर चीन का आक्रमण, लाल बहादुर शास्त्री का निधन को लेकर भी इनकी भविष्यवाणी सच साबित हुई.</p>
<p style="text-align: justify;">पंडित सूर्य नारायण व्यास ने 1924 में एक काशी यानि बनारस से प्रकाशित एक समाचार पत्र में एक लेख लिखा जिसमें उन्होने लिखा था कि गांधी मरेंगे नहीं, मारे जाएंगे.</p>
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