Shani Dev: शनि महाराज सूर्य देव (Surya Dev) के बड़े पुत्र हैं. इसलिए इन्हें सूर्यपुत्र कहा जाता है. ये अनुराधा नक्षत्र के स्वामी हैं. शनि देव ऐसे देवता हैं जो हर प्राणी, मनुष्य और यहां तक कि देवताओं के साथ भी उचित न्याय करते हैं.
शनि देव की ताकत कितनी है?
स्कन्द पुराण (Skanda Purana) के काशी खण्ड में वृतांत आता है, जिसमें शनि देव पिता सूर्य से कहते हैं “हे पिता! मैं ऐसा पद पाना चाहता हूं, जिसे आज तक किसी ने नहीं पाया. आपके मंडल से भी मेरा मंडल सात गुना बड़ा हो, मुझे आपसे सात गुना अधिक शक्ति प्राप्त हो, मेरे वेग का कोई सामना न कर पाए, चाहे वह देव, असुर, दानव या सिद्ध साधक ही क्यों न हो. आपके लोक से मेरा लोक सात गुना ऊंचा रहे. इसके बाद दूसरे वरदान मैं यह चाहता हूं कि मुझे मेरे आराध्य देव भगवान कृष्ण के दर्शन हों और मैं भक्ति, ज्ञान और विज्ञान से पूर्ण हो जाऊं.”
शनि की ऐसी बातें सुनकर सूर्य ने प्रसन्न होते हुए कहा- “पुत्र! मैं भी चाहता हूं कि तुम मुझसे से सात गुना अधिक शक्तिवान हो जाओ और मैं भी तुम्हारे प्रभाव को सहन न कर पाऊं. लेकिन इसके लिए तुम्हें काशी (Kashi) में तप करना होगा. वहां जाकर शिव (Lord Shiva) की तपस्या करो और शिवलिंग (Shivling) की स्थापना करों. इससे भगवान शिव प्रसन्न होकर अवश्य ही तुम्हें मनवांछित फल देंगे.
सूर्य के कहेनुसार, शनि देव ने ऐसा ही किया. उन्होंने शिवजी की कठोर तपस्या की और शिवलिंग की स्थापना की. यह शिवलिंग वर्तमान में काशी-विश्वनाथ (Kashi vishwanath) के नाम से प्रसिद्ध है. शिव जी शनि की तपस्या से प्रसन्न हुए और उन्होंने शिव से मनोवांछित फलों की प्राप्ति की.
साथ ही शिवजी ने शनि देव को ग्रहों में सर्वोपरि पद प्रदान किया. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शिव से ही शनि को न्याय के देवता का पद मिला है. शिवजी से ये आशीर्वाद और वरदान पाकर शनि शक्तिशाली हो गए.
शनि महात्म्य, श्लोक 138 के अनुसार
“कर्मच्या गति असति गहना, जे जे होनर ते कदा चुके ना,
ते ते भोगल्या विना सुतेना, देवाधिका सर्वंसी।”
अर्थ: कर्म की गति रत्नमय है, जो होना है वह होकर रहेगा,
अपने कर्म से कोई नहीं बच सकता, न मनुष्य, न पशु और न ही देवता.
क्या शनि देव से डरने की जरूरत है?
शनि देव को कर्मफलदाता (Karm ke devta) और दंडाधिकारी कहा जाता है, जोकि कर्मों के अनुसार फल देते हैं. शनि देव अच्छे कर्मो के लिए अच्छा फल देते हैं तो वहीं बुरे कर्मों के लिए दंडित भी करते हैं. ऐसे में जो लोग बुरे कर्म करते हैं, उन्हें अपने कर्मों का फल भी जरूर भुगतना पड़ता है. यही कारण है कि शनि देव से हर कोई भय रखता है.
लेकिन शनि देव से सभी को डरने की जरूरत नहीं है. बल्कि शनि देव से केवल उन्हें डरना चाहिए जो लोग बुरे कर्म करते हैं, दूसरों को सताते हैं, पशुओं को परेशान करते हैं, गरीब-मजदूरों का शोषण करते हैं, लूटपाट करते हैं, बुजुर्गों का अपमान करते हैं और बुरे कर्मों के लिप्त रहते हैं.
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