जीवन एक स्वाभाविक उम्र के साथ चलता है. जिस तरह बचपन के बाद जवानी आती है, उसी तरह जवानी के बाद बुढ़ापा (aging)आता है. जवानी में शरीर जितना हष्ट पुष्ट और तंदुरुस्त होता है, बुढ़ापा आते ही वह शरीर कमजोर होने लगता है और उसमें काफी बदलाव होने लगते हैं.
आमतौर पर चालीस साल की उम्र के बाद शरीर में परिवर्तन दिखने लगते हैं. हड्डियां कमजोर होना, मसल्स लॉस, विजन लॉस और दिमाग संबंधी कई तरह की परेशानियों के रिस्क बुढ़ापा आते ही डराने लगते हैं. चलिए आज जानते हैं कि बुढ़ापा शुरू होने पर शरीर में किस तरह के बदलाव होते हैं और किन बीमारियों का रिस्क बढ़ जाता है.
बुढ़ापे की दहलीज पर आने के बाद शरीर कुछ संकेत देने लगता है. हड्डियां कमजोर होने लगती है. थकान हावी रहती है. पाचन संबंधी परेशानियां शुरू हो जाती हैं क्योंकि बुढ़ापे में मेटाबॉलिज्म स्लो हो जाता है. हाई बीपी या लो बीपी की समस्या होने लगती है. रात को नींद की कमी होने लगती है. उम्र बढ़ने के साथ जोड़ों का कार्टिलेज घिस जाता है जिससे जोड़ों में दर्द होने लगता है और जोड़ कमजोर होने लगते हैं.
बुढ़ापे में बीपी का अस्थिर रहना आम बात है. एक उम्र के बाद बीपी हाई होना और लो होना रिस्की हो जाता है. इस समय हाई बीपी के मरीजों को दिल संबंधी बीमारियों का रिस्क बढ़ जाता है.
बुढ़ापे में आंखें कमजोर होना और मोतियाबिंद के रिस्क बढ़ जाते हैं. नजर कमजोर होना, मायोपिया , ग्लूकोमा और मोतियाबिंद जैसी बीमारियों के रिस्क बुढ़ापे के संकेत हैं.
मसल्स की कमजोरी भी बुढ़ापे में ही परेशान करती है. इस उम्र में अक्सर मसल्स लॉस होने लगता है. ऐसे में शरीर की मसल्स सिकुड़ने लगती हैं. मसल्स के टिश्यू डैमेज होने लगते हैं. इससे शरीर की फ्लेक्सिबिलिटी कम हो जाती है.
Published at : 23 Jul 2024 06:19 PM (IST)
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