FII Selling: विदेशी निवेशकों की नहीं रुकी बिकवाली, दिसंबर में अब तक ₹18,000 करोड़ के शेयर बेचे – fii selling continues foreign investors sell shares worth rs 18000 crore so far in december

FII Selling: दिसंबर महीने में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) ने एक बार फिर भारतीय शेयर बाजार से पैसा निकालना शुरू कर दिया है। महीने के शुरुआती नौ कारोबारी सत्रों में FPIs ने करीब ₹18,000 करोड़ के भारतीय शेयर बेच दिए हैं। इसके बावजूद बेंचमार्क इंडेक्सों पर इसका खास असर नहीं पड़ा, क्योंकि घरेलू संस्थागत निवेशकों (DIIs) ने इस बिकवाली को पूरी तरह से बैलेंस कर दिया है। आंकड़ों के मुताबिक, DIIs ने इस दौरान FPIs की बिकवाली से लगभग दोगुनी राशि के शेयर खरीदे हैं।

NSDL के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, दिसंबर के पहले नौ कारोबारी दिन में FPIs ने घरेलू शेयर मार्केट से 17,955 करोड़ रुपये की निकासी की। इसी अवधि में म्यूचुअल फंड्स समेत DIIs ने 36,101 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे। इसके साथ ही 2025 में DIIs का कुल निवेश बढ़कर रिकॉर्ड ₹7.44 लाख करोड़ तक पहुंच गया है, जो घरेलू निवेशकों की मजबूत भागीदारी को दिखाता है।

एक्सपर्ट्स के अनुसार, FPIs की ताजा बिकवाली के पीछे सबसे बड़ा कारण भारतीय रुपये में आई तेज गिरावट है। साल 2025 में अब तक रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले करीब 6 प्रतिशत कमजोर हो चुका है और 90.56 के स्तर तक फिसल गया है। यह गिरावट रुपये को एशियाई करेंसी में सबसे कमजोर प्रदर्शन करने वाली मुद्रा बना रही है।

रुपये पर दबाव की एक बड़ी वजह अमेरिका की ओर से भारतीय सामानों पर लगाए गए भारी टैरिफ हैं। भारतीय सामानों पर 50 प्रतिशत तक के टैरिफ से निर्यात पर असर पड़ा है, खासकर अमेरिका जैसे बड़े बाजार में। कमजोर रुपया सीधे तौर पर विदेशी निवेशकों के डॉलर रिटर्न को घटाता है और रिस्क सेंटीमेंट को बढ़ाता है, जिसके चलते FPIs सुरक्षित और स्थिर रिटर्न की तलाश में पूंजी बाहर निकालने लगते हैं।

अप्रैल में जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ग्लोबल टैरिफ की घोषणा की थी, उसके बाद भारत उन शुरुआती बड़े बाजारों में शामिल था, जहां तेजी से रिकवरी देखने को मिली थी। उस समय कई ग्लोबल निवेशकों ने भारत को ट्रेड टेंशन के बीच एक सुरक्षित ठिकाने के रूप में देखा। हालांकि, जहां कई देशों ने अमेरिका के साथ समझौते कर लिए हैं, वहीं भारत अभी भी व्हाइट हाउस के साथ अनुकूल व्यापार समझौते के लिए बातचीत कर रहा है, जिससे अनिश्चितता बनी हुई है।

NSDL के आंकड़े यह भी संकेत देते हैं कि 2025 भारतीय शेयर बाजार के लिए FPIs की सबसे खराब बिकवाली वाला साल साबित हो सकता है। मौजूदा साल में अब तक FPIs भारतीय शेयर मार्केट से शुद्ध रूप से ₹1.61 लाख करोड़ निकाल चुके हैं। पिछले 11 महीनों में FPIs केवल तीन महीनों- अप्रैल, मई और अक्टूबर में ही शुद्ध खरीदार रहे हैं, जबकि बाकी महीनों में उन्होंने बिकवाली की है।

इसके उलट, घरेलू संस्थागत निवेशकों ने पूरे साल बाजार को मजबूती से सहारा दिया है। जनवरी में DIIs ने आक्रामक खरीदारी करते हुए ₹86,591 करोड़ का निवेश किया था। इसके बाद के महीनों में भी निवेश का सिलसिला जारी रहा, हालांकि मार्च और अप्रैल में इसमें थोड़ी सुस्ती आई। मई और जून में फिर से तेजी देखने को मिली, जब क्रमशः ₹67,642 करोड़ और ₹72,673 करोड़ का निवेश हुआ। इस दौरान बड़ी संख्या में हुए ब्लॉक डील्स ने भी DII निवेश को मजबूती दी।

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