
ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म बैंक ऑफ अमेरिका (BofA) सिक्योरिटीज ने भारतीय शेयर बाजार को लेकर बड़ा अनुमान जताया है। ब्रोकरेज का मानना है कि नए साल 2026 में निफ्टी-50 इंडेक्स 29,000 के स्तर को पार कर सकता है। यह इसमें मौजूदा स्तरों से करीब 11.5 प्रतिशत तक बढ़त का अनुमान है। हालांकि, इस तेजी के साथ ही BofA ने चेतावनी भी दी है कि मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में तेज करेक्शन देखने को मिल सकता है। वहीं दूसरी ओर लार्जकैप शेयरों का प्रदर्शन इस साल भी बेहतर रह सकता है।
BofA का कहना है कि 2025 की तरह ही आने वाले साल में भी लार्जकैप शेयर मिडकैप और स्मॉलकैप से बेहतर रिटर्न दे सकते हैं। ब्रोकरेज के मुताबिक, भारतीय शेयर बाजार में वैल्यूएशन के और ज्यादा फैलाव की गुंजाइश सीमित है और आगे की तेजी का आधार मुख्य रूप से कंपनियों की कमाई यानी अर्निंग ग्रोथ ही होगी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि निफ्टी फिलहाल अपने एक साल के फॉरवर्ड अर्निंग्स के आधार पर करीब 21 गुना यानी +1 स्टैंडर्ड डिविएशन के स्तर पर ट्रेड कर रहा है। पिछले दो दशकों के आंकड़ों के विश्लेषण के आधार पर BofA का मानना है कि निफ्टी ऊंचे वैल्यूएशन को तभी लंबे समय तक बनाए रख पाता है, जब अर्निंग्स में मजबूत ग्रोथ या अपग्रेड देखने को मिलता है, जिसकी संभावना अगले साल सीमित नजर आ रही है।
मौजूदा अर्निंग साइकिल को देखते हुए निफ्टी के लिए 19.6 गुना के आसपास का लॉन्ग-टर्म एवरेज वैल्यूएशन ज्यादा उपयुक्त माना गया है, हालांकि मजबूत घरेलू निवेश प्रवाह के चलते मौजूदा ऊंचे स्तर कुछ समय तक टिक सकते हैं।
BofA का कहना है कि वैल्यूएशन में और विस्तार की सीमित गुंजाइश को देखते हुए निफ्टी का रिटर्न आने वाले समय में उसकी कमाई की रफ्तार के अनुरूप ही रहेगा। 2025 में निफ्टी की FY26 और FY27 की अर्निंग्स के कंसेंसस अनुमान में क्रमशः 11 प्रतिशत और 6 प्रतिशत की कटौती की गई है, जो BofA के अनुमानों के मुताबिक है।
ब्रोकरेज को उम्मीद है कि आगे चलकर इन कटौतियों की रफ्तार धीमी पड़ेगी, क्योंकि FY26 और FY27 के लिए कंसेंसस ग्रोथ अनुमान अब BofA के 7 प्रतिशत और 14 प्रतिशत के अनुमान के काफी करीब आ चुका है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि FY27 में ग्रोथ और बेहतर हो सकती है, जिसे फाइनेंशियल सेक्टर में लोन ग्रोथ, जीएसटी कटौती से बढ़ने वाला डिस्क्रेशनरी खर्च, टेलीकॉम टैरिफ में बढ़ोतरी, नॉन-फेरस मेटल्स की मजबूती और आईटी व स्टेपल्स सेक्टर में लो बेस का फायदा मिल सकता है। इन सेक्टर-विशेष कारणों से अर्निंग्स अपग्रेड की संभावना बनी हुई है, जो बाजार की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभाएगी।
हालांकि BofA ने आगाह किया है कि मिडकैप और स्मॉलकैप सेगमेंट में जोखिम ज्यादा बना हुआ है। ब्रोकरेज का कहना है कि अगर नकारात्मक जोखिम सामने आते हैं, तो सबसे पहले और सबसे ज्यादा मार SMID शेयरों पर पड़ सकती है। रुपये में तेज गिरावट, कच्चे तेल की कीमतों में उछाल, भारत-अमेरिका ट्रेड डील में देरी या अमेरिकी बाजारों में करेक्शन जैसे फैक्टर मिडकैप-स्मॉलकैप में तेज गिरावट का कारण बन सकते हैं।
इसके बावजूद, BofA का मानना है कि 2026 के लिए जोखिमों का पलड़ा फिलहाल तेजी की ओर झुका हुआ है। संभावित RBI और फेडरल रिजर्व की ब्याज दरों में कटौती, बड़े राज्यों में चुनावों की संख्या कम होना और वेतन आयोग रिपोर्ट से जुड़ी अनिश्चितता का खत्म होना बाजार के लिए सकारात्मक कारक हो सकते हैं। इसके अलावा, फेड की दर कटौती और कमजोर डॉलर के चलते विदेशी संस्थागत निवेशकों की बिकवाली थमने या रुख बदलने की संभावना भी जताई गई है। भारत में सुधारों की रफ्तार तेज होने पर बाजार को और सहारा मिल सकता है।
सेक्टर रणनीति की बात करें तो BofA को ब्याज दरों के प्रति संवेदनशील साइक्लिकल सेक्टर पसंद हैं, जिनमें फाइनेंशियल्स, रियल एस्टेट, पैसेंजर और कमर्शियल व्हीकल्स तथा रेगुलेटेड पावर यूटिलिटीज शामिल हैं। ब्रोकरेज का मानना है कि हाई-इनकम यानी संपन्न वर्ग से जुड़ा कंजम्प्शन, मास कंजम्प्शन से बेहतर प्रदर्शन करेगा। वहीं, केंद्र और राज्यों के पास सीमित फिस्कल स्पेस होने के चलते कैपेक्स ग्रोथ में सुस्ती आ सकती है, इसलिए BofA इंडस्ट्रियल्स और सीमेंट सेक्टर पर अंडरवेट है और केवल चुनिंदा कैपेक्स शेयरों को तरजीह दे रहा है।
ग्लोबल सेक्टर में BofA फार्मा और एल्युमिनियम को प्राथमिकता दे रहा है, जबकि आईटी, स्टील और एनर्जी पर इसका रुख सतर्क बना हुआ है। इसके अलावा टेलीकॉम और हॉस्पिटल्स जैसे डिफेंसिव सेक्टर भी ब्रोकरेज की पसंद में शामिल हैं।
कुल मिलाकर, BofA की रिपोर्ट यह संकेत देती है कि आने वाले समय में निफ्टी भले ही नई ऊंचाइयों की ओर बढ़े, लेकिन मिडकैप और स्मॉलकैप निवेशकों को ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत होगी।
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