कल्कि नाम के पीछे छिपा असली अर्थ, जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने बताया इसका आध्यात्मिक संदेश, देखे वायरल विडियो!

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Kalki Avatar Meaning: लोगों के मन में कल्कि अवतार का नाम सुनते ही अलग-अलग छवि बनने लग जाती हैं. किसी के मन में न्यायप्रिय, किसी के मन में तेजस्वी, तो किसी के मन में अंधकार को मिटाने वाली शक्ति की छवी उभरती है. हिंदू धर्मग्रंथों में कल्कि के अवतार को वह रूप माना गया है जो कलियुग के अंत में आकर हो रहें अन्याय को खतम करेगा.

देश के कई विद्वानों ने इस नाम के अर्थ और इसके स्रोत पर अपने अलग-अलग विचार रखे हैं. मगर जगतगुरु रामभद्राचार्य ने इस विषय को बेहद सरल और आसान शब्दों मे समझाया है. उनके मुताबिक कल्कि शब्द सिर्फ शब्द या किसी योद्धा की पहचान नहीं है, बल्कि यह वे शक्ति है जो पाप, छल और धोके के समय को बदलने की ताकत रखती है.

क्या है कल्कि शब्द का अर्थ?

जगतगुरु रामभद्राचार्य का कहना है कि कल्कि केवल एक शब्द मात्र नहीं है, बल्कि यह एक संदेश है. उनका समझाना है कि इस शब्द का संबंध संस्कृत से है. जहां कलि और कृणु धातु मिलकर इसका निर्माण करते हैं. कलि शब्द हमें उस युग का संकेत देते हैं, जिसमें छल, भ्रम, लालच और अन्य अंधियारी प्रवृत्तियां बढ़ जाएगी.

वहीं कृणु का अर्थ खत्म करना, मिटाना या नष्ट करना है. इन दोनों शब्दों को मिलाकर एक रूप बनाता है, जिसे कल्कि कहते हैं. वह शक्ति जो कलियुग में अन्याय और बुराइयों को नष्ट करेगी.

जगतगुरु ने बताया कल्कि का संदेश 

जगतगुरु के मुताबिक कई लोग ऐसे भी हैं जो कल्कि को एक योद्धा या दंड देने वाले रूप में देखते हैं, मगर यह शब्द हमें अपने अंदर बदलाव लाने का गहरा संदेश देता है. यह अव्यवस्था को मिटाकर न्यायपूर्ण दिशा देता है. यह रूप किसी युद्ध का संकेत नहीं, बल्कि सत्य और अच्छाई का प्रतीक भी है.

समय को देगा एक नई दिशा 

जगतगुरु रामभद्राचार्य के अनुसार, “कलि” शब्द के अंत में आने वाला “इ” जब हटता है, तभी “कल्कि” शब्द का निर्माण होता है. इस भाषायी परिवर्तन में ही एक गहरा संकेत छिपा माना जाता है, कि कल्कि वहीं शक्ति है जो कलियुग में फैले पाप, भ्रम और विकृत आचरण का अंत करने आती है.

इस दृष्टि से देखा जाए तो कल्कि अवतार केवल धर्म की रक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि वह समय को एक नई दिशा देने वाला तत्व भी है.

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कल्कि का उद्देश्य केवल विनाश करना नहीं, बल्कि समाज का शुद्धिकरण और सुधार करना है. जब अधर्म और अन्याय अपनी चरम सीमा पर पहुंच जाते हैं, तब ऐसी शक्ति प्रकट होती है जो सत्य को फिर से स्थापित करती है और अंधकार को दूर करती है.

इसी कारण “कल्कि” नाम को आशा, परिवर्तन और नवयुग की स्थापना का प्रतीक माना गया है.

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