Share Market: भारत की मीडियम-टर्म ग्रोथ स्टोरी है कंज्यूमर डिस्क्रिशनरी, इन सेक्टर में भी मिलेंगे मौके – share market consumer discretionary is india medium term growth story opportunities will also be available in these sectors

Share Market: पीएम मोदी और ट्रंप की फोन पर बातचीत ने शुक्रवार को बाजार में जोश भर दिया। सेंसेक्स- निफ्टी शानदार बढ़त के साथ बंद हुए। मिडकैप, स्मॉलकैप शेयरों में अच्छी खरीदारी रही। ऐसे में बाजार की आगे की चाल और केनरा रोबेको मल्टीकैप फंड की स्ट्रैटेजी पर बात करते हुए Canara Rob MF के इक्विटी हेड श्रीदत्त भंडवालदार (Shridatta Bhandwaldar) ने कहा कि पिछले 15–16 महीनों में ब्रॉडर मार्केट में बड़ा डैमेज हुआ। अर्निंग्स और वैल्युएशन दोनों प्रेशर में रहे। वैल्यूएशन महंगे थे, अर्निंग्स ने निराश किया । पिछले साल मार्केट हाई वैल्युएशन पर ट्रेड कर रहा था। लगातार 4 क्वार्टर अर्निंग्स उम्मीद से कमजोर रहा। अर्निंग्स की वजह से स्टॉक्स में गिरावट रही। इस क्वार्टर में अर्निंग्स में थोड़ा सुधार की उम्मीद है। FY27 में अर्निंग्स 15% ग्रोथ की उम्मीद है। बाजार के लिए कई पॉजिटिव संकेत दिए है। ग्लोबल अनिश्चितता अभी भी है।

उन्होंने आगे कहा कि ब्रॉडर मार्केट में भारी करेक्शन हुआ।BSE 500 की 150+ कंपनियां 20% से ज्यादा डाउन हुए। वैल्युएशन का एडजस्टमेंट चल रहा है। 15 महीने की सुस्ती के बाद मार्केट सेट हो रहा है। अर्निंग्स रिकवरी + वैल्युएशन सुधार = कंस्ट्रक्टिव आउटलुक होता है। अगले 18–24 महीनों का व्यू: सुधार की उम्मीद ज्यादा है।

कमजोर बाजार क्यों फायदेमंद?इस सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि कमजोर मार्केट में एवरेज-डाउन करने का मौका मिलता है। 18–24 महीनों के व्यू में रिटर्न की संभावना ज्यादा है। लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टर्स के लिए डिप्स हमेशा अच्छे रहते है। टैरिफ से जुड़े इवेंट्स अभी पूरी तरह साफ नहीं हुए। बाजार कंस्ट्रक्टिव लेकिन सावधानी जरूरी है। कई इवेंट्स धीरे-धीरे नॉर्मल होने वाले हैं। धीरे-धीरे इन्वेस्ट करने से रिस्क कम होता है। ब्रॉड सेक्टर की बजाय इंडिविजुअल स्टॉक्स में अवसर मिलेगा। फाइनेंशियल्स में अर्निंग्स मजबूत, वैल्युएशन आकर्षक है। कंज्यूमर डिस्क्रिशनरी भारत की मीडियम-टर्म ग्रोथ स्टोरी है।

किन सेक्टर में ओवरवेट

फाइनेंशियल्स स्पेस , सेलेक्टिव बैंक्स, NBFC , कंज्यूमर डिस्क्रिशनरी , टू व्हीलर, SUV सेगमेंट, ऑटो एंसीलरीज , प्लेटफॉर्म कंपनियां, रिटेल सेगमेंट, होटल स्पेस, हॉस्पिटल स्पेस, टेलीकॉम सेक्टर और फार्मा सेक्टर में ओवरवेट है।

वहीं ऑयल एंड गैस और मेटल सेक्टर में अंडरवेट नजरिया बना हुआ है।

(डिस्क्लेमर: मनीकंट्रोल.कॉम पर दिए गए विचार एक्सपर्ट के अपने निजी विचार होते हैं। वेबसाइट या मैनेजमेंट इसके लिए उत्तरदाई नहीं है। यूजर्स को मनी कंट्रोल की सलाह है कि कोई भी निवेश निर्णय लेने से पहले सार्टिफाइड एक्सपर्ट की सलाह लें।

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