‘स्वास्तिक’ नफरत नहीं आस्था है, कनाडा ने बदला कानून धार्मिक प्रतीक को नाजी नफरत से अलग किया गया

Show Quick Read

Key points generated by AI, verified by newsroom

कनाडा ने Bill C-9 में संशोधन कर ‘स्वास्तिक’ शब्द को पूरी तरह हटा दिया है. अब कानून केवल नाजी हकेनक्रॉइज जैसे घृणा प्रतीकों पर लागू होगा, धार्मिक स्वास्तिक पर नहीं.

कनाडा में स्वास्तिक को लेकर चल रहा विवाद अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुका है. देश की संसद की स्थायी समिति ने Bill C-9 में बड़ा संशोधन करते हुए Swastika शब्द को बिल के मसौदे से पूरी तरह हटा दिया है.

इसके साथ ही यह साफ कर दिया गया है कि कानून का निशाना केवल नाजी हकेनक्रॉइज जैसे घृणा-प्रेरित प्रतीक होंगे, न कि हिंदू, जैन या बौद्ध धर्म में प्रयुक्त धार्मिक स्वास्तिक. यह फैसला सिर्फ कानूनी नहीं, बल्कि धार्मिक स्वतंत्रता, सांस्कृतिक सम्मान और बहुसांस्कृतिक समझ से जुड़ा एक अहम कदम माना जा रहा है.

स्वास्तिक का धार्मिक महत्व क्या है?

स्वास्तिक हिंदू धर्म का सबसे प्राचीन और पवित्र प्रतीक है. संस्कृत में इसका अर्थ है ‘जहां शुभता हो.’ पूजा-पाठ, यज्ञ, विवाह, गृह प्रवेश और पर्वों की शुरुआत स्वास्तिक से होती है

यह चार दिशाओं, चार वेदों और चार पुरुषार्थों (धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष) का प्रतीक है. जैन और बौद्ध परंपराओं में भी स्वास्तिक शांति, कल्याण और सौभाग्य का संकेत माना जाता है. धार्मिक दृष्टि से स्वास्तिक का संबंध मंगल, सकारात्मकता और आध्यात्मिक ऊर्जा से है. इसका इतिहास हजारों वर्ष पुराना है, जो नाजी जर्मनी से बहुत पहले का है.

विवाद की शुरुआत कैसे हुई?

कनाडा में घृणा-विरोधी कानूनों को सख़्त बनाने के उद्देश्य से लाए गए Bill C-9 के शुरुआती मसौदे में ‘Swastika’ शब्द का उल्लेख किया गया था. पश्चिमी संदर्भ में स्वास्तिक को अक्सर नाजी जर्मनी के प्रतीक Hakenkreuz के समान मान लिया जाता है.

यहीं से विवाद खड़ा हुआ. इस पर हिंदू समुदाय ने सवाल उठाया कि क्या मंदिरों में बना स्वास्तिक नफ़रत का प्रतीक माना जाएगा? क्या धार्मिक पर्वों और पूजा-स्थलों पर कानूनी आपत्ति आ सकती है?

ताजा अपडेट के अनुसार Bill C-9 में क्या बदला?

10 दिसंबर 2025 को कनाडा की संसदीय समिति ने बड़ा फैसला लिया कि Bill C-9 के अंग्रेज़ी मसौदे से ‘Swastika’ शब्द पूरी तरह हटा दिया गया है. अब कानून में केवल नाजी Hakenkreuz जैसे प्रतीकों का उल्लेख रहेगा. धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संदर्भ में प्रयुक्त स्वास्तिक कानून के दायरे से बाहर रहेगा. इस बदलाव का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि नफरत के खिलाफ कानून धार्मिक आस्था को नुकसान न पहुंचाए.

यह बदलाव क्यों ज़रूरी था?

धार्मिक विशेषज्ञों और समुदायों का कहना था कि धार्मिक स्वास्तिक और नाजी प्रतीक के बीच ऐतिहासिक, वैचारिक और नैतिक रूप से कोई समानता नहीं है. प्रतीक को उसके संदर्भ से अलग करके देखना आस्था के साथ अन्याय है.

इस मुद्दे पर केवल हिंदू संगठनों ने ही नहीं, बल्कि जैन, बौद्ध और कई यहूदी मानवाधिकार समूहों ने भी समर्थन दिया. यह बहस धीरे-धीरे एक इंटरफेथ और बहुसांस्कृतिक सम्मान के आंदोलन में बदल गई.

Bill C-9 का असली उद्देश्य क्या है?

Bill C-9 का उद्देश्य केवल प्रतीकों पर प्रतिबंध लगाना नहीं है. इसका व्यापक लक्ष्य है कि घृणा-आधारित अपराधों की स्पष्ट परिभाषा तय करना. धार्मिक और सांस्कृतिक संस्थानों को डराने या निशाना बनाने को अपराध मानना. केवल उन्हीं प्रतीकों पर कार्रवाई करना जिनका इस्तेमाल नफ़रत फैलाने के इरादे से किया जाता है. इसी वजह से धार्मिक स्वास्तिक को इस कानून से अलग रखना ज़रूरी माना गया.

धार्मिक और सामाजिक प्रभाव

  • यह संशोधन हिंदू, जैन और बौद्ध समुदायों के लिए बड़ी राहत है
  • इससे यह संदेश गया कि कानून बनाते समय संस्कृति और इतिहास को समझना जरूरी है
  • कनाडा के बहुसांस्कृतिक ढांचे में धार्मिक प्रतीकों के सम्मान को मजबूती मिली

स्वास्तिक नफ़रत का प्रतीक नहीं है. यह आस्था, मंगल और शांति का चिन्ह है. कनाडा का यह ताज़ा फैसला यह साबित करता है कि लोकतंत्र में नफ़रत के खिलाफ लड़ाई और धार्मिक स्वतंत्रता, दोनों साथ-साथ चल सकती हैं, बशर्ते प्रतीकों को उनके सही ऐतिहासिक और धार्मिक अर्थ में समझा जाए.

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

Read More at www.abplive.com