
Share Market Prediction: कोटक सिक्योरिटीज ने भारतीय शेयर मार्केट को लेकर एक बड़ा अनुमान जारी किया है। ब्रोकरेज फर्म का कहना है कि निफ्टी अगले साल यानी 2026 के अंत तक 24 प्रतिशत तक की बड़ी छलांग लगा सकता है और सीधे 32,000 के पार पहुंच सकता है। यह अनुमान ऐसे समय आया है जब इस साल 2025 में शेयर मार्केट ज्यादातर समय एक सीमित दायरे में घूमता रहा और इस दौरान रिटर्न काफी मामूली रहे। अगर कोटक का यह अनुमान सच होता है, तो निवेशकों के लिए ये साल एक मेगा वेल्थ क्रिएशन का मौका बन सकता है। आइए जानते हैं कोटक ने यह बड़ा अनुमान क्यों लगाया, क्या हैं इसके पीछे की वजहें, और निवेशकों को अब क्या रणनीति अपनानी चाहिए?
2025 में बाजार का हाल
कोटक सिक्योरिटीज ने ‘मार्केट आउटलुक 2026’ नाम से एक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में उसने 2026 में शेयर मार्केट की चाल को लेकर अपना अनुमान बताया है। कोटक सिक्योरिटीज की रिपोर्ट कहती है कि 2025 का साल भारतीय शेयर बाजारों के लिए रिटर्न के मामले में काफी फीका रहा। पिछले 12 से 15 महीनों में निफ्टी ने कोई बड़ी तेजी नहीं दिखाई और बाजार लगभग फ्लैट रहा। इस दौरान भारत ने कई विकसित और इमर्जिंग देशों की तुलना में कमजोर प्रदर्शन किया।
रिपोर्ट में कहा गया कि पिछले एक साल के रिटर्न के बताते हैं कि निवेशकों को कुछ खास फायदा नहीं हुआ है। सबसे बड़ी चिंता की बात है कि विदेशी निवेशक यानी FPI लगातार भारतीय बाजार से पैसे निकाल रहे हैं। लेकिन एक अच्छी बात यह भी है कि घरेलू निवेशकों से बाजार को लगातार सपोर्ट मिल रहा है। चाहे म्यूचुअल फंड्स हों या बीमा कंपनियां, घरेलू संस्थागत निवेशकों ने बाजार में अच्छी खरीदारी जारी रखी है और रिटेल निवेशकों की दिलचस्पी भी बनी रही है।
पॉलिसीज और इकॉनमी से कैसे सुधर रहा है माहौल
कोटक ने कहा कि उसे नए साल 2026 में कई वजहों से शेयर बाजार में तेजी की उम्मीद है। सबसे बड़ी वजह यही है कि भारत की ग्रोथ स्टोरी मजबूत पॉलिसीज के चलते लगातार बेहतर होती जा रही है। सरकार की ओर से डिस्पोज़बल इनकम बढ़ाने, टैक्स का बोझ कम करने और रोजगार बढ़ाने की दिशा में उठाए गए कदम घरेलू मांग को और मजबूत कर रहे हैं। ब्रोकरेज का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2026 में भारत की रियल GDP ग्रोथ लगभग 7.8 प्रतिशत रह सकती है, जो ग्लोबल स्तर पर सबसे तेज ग्रोथ में शामिल होगी।
दूसरी ओर, ग्लोबल ट्रेड वॉर, जियोपॉलिटिकल चिंताएं और ब्याज दरों को लेकर अनिश्चितता जैसी चीजें 2026 के दौरान बाकी दुनिया की GDP को धीमा रख सकती हैं। लेकिन भारत मजबूत घरेलू मांग और रिफॉर्म्स की वजह से इस चुनौती को अच्छे से संभाल सकता है।
अर्निंग्स ग्रोथ में बड़े उछाल की उम्मीद
कोटक को भारतीय कंपनियों की अर्निंग्स ग्रोथ में अगले दो साल के दौरान तेजी से उछाल की अनुमान है। ब्रोकरेज ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि वित्त वर्ष 2025 में निफ्टी 50 कंपनियों का नेट प्रॉफिट 6.6 प्रतिशत बढ़ा था। लेकिन FY26 में इसके बढ़कर लगभग 8.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है। लेकिन असली मजा 2027 में है, जहां कोटक लगभग 17.6 प्रतिशत की जबरदस्त ग्रोथ का अनुमान लगाया है।
सबसे खास बात यह है कि यह ग्रोथ सिर्फ चुनिंदा सेक्टरों तक सीमित नहीं होगी, बल्कि बाजार के ज्यादातर सेक्टर्स इस रैली में योगदान देंगे। कोटक ने अपने पसंदीदा सेक्टर्स में BFSI, IT, हेल्थकेयर और हॉस्पिटैलिटी को रखा है।
निफ्टी का बेस, बुल और बियर केस टारगेट
कोटक को लगता है कि निफ्टी अपने बेस केस में दिसंबर 2026 तक 29,120 के स्तर तक पहुंच सकता है। यह मौजूदा स्तर से करीब 13 प्रतिशत की बढ़त है। ब्रोकरेज को कहना है कि उसके बेस में निफ्टी इंडेक्स में शामिल कंपनियों का प्रॉफिट ग्रोथ FY26 में 8.2 परसेंट, FY27 में 17.6 परसेंट और FY26 में 14.8 परसेंट तक रह सकता है। Kotak ने कहा कि उसने निफ्टी का वैल्यूएशन पिछले 10 साल के औसत PE रेशियो 20.0x पर लगाया है।
वहीं Kotak ने अपने बुल केस में निफ्टी 50 का वैल्यूएशन 10 साल के औसत PE से 10% प्रीमियम पर रखा है, और FY28 के अनुमानित EPS के आधार पर इसका टारगेट 32,032 अंक है। इसका मतलब है कि अगर बाजार तेजी दिखाए तो निफ्टी 2026 के अंत तक इस स्तर तक 32,000 के पार पहुंच सकता है, जो मौजूदा स्तर से 24 प्रतिशत की उछाल होगी।
Kotak के बेयर केस में निफ्टी का वैल्यूएशन 10 साल के औसत PE से 10% डिस्काउंट पर रखा गया है। इस स्थिति में निफ्टी का टारगेट 26,208 अंक है। इसका मतलब है कि अगर बाजार कमजोर रहे तो भी ब्रोकरेज को निफ्टी में किसी बड़ी गिरावट की आशंका नहीं है।
निवेशकों को क्या करना चाहिए?
कोटक की सलाह है कि निवेशकों को अच्छे क्वालिटी वाले स्टॉक्स पर फोकस करना चाहिए और हर गिरावट पर धीरे-धीरे खरीदारी बढ़ानी चाहिए। ब्रोकरेज ने कहा कि जियोपॉलिटिकल तनाव, ट्रेड से जुड़ी बाधाएं और करेंसी फ्लक्चुएशन जैसी चुनितियां अभी भी मौजूद है। ऐसे में निवेशकों को पोर्टफोलियो के डाइवर्सिफिकेशन पर फोकस करना चाहिए। ब्रोकरेज ने कहा कि भारतीय इकोनॉमी के मजबूत फंडामेंट, कंपनियों की अर्निंग ग्रोथ में तेजी की उम्मीद और अनुकूल पॉलिसी मिलकर एक मजबूत मंच तैयार कर रहे हैं जहां बाजार का लॉन्ग-टर्म आउटलुक काफी ब्राइट यानी अच्छा दिखता है।
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