PM मोदी ने की ‘हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ’ के टैग की आलोचना, कहा- ये गुलामी की मानसिकता का था प्रतिबिंब


6 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिंदुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट के 23वें संस्करण को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने पिछले शासन मॉडल और औपनिवेशिक मानसिकता की तीखी आलोचना की. उन्होंने कहा कि यह मानसिकता कई सालों तक भारत की प्रगति में बाधक बनी रही.

हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ का महत्व
PM मोदी ने कहा, ‘आज भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था है. कुछ लोग भारत को वैश्विक ग्रोथ इंजन कहते हैं. कुछ इसे ग्लोबल पावरहाउस कहते हैं. आज भारत के बारे में कोई शानदार बातें कही जा रही हैं. लेकिन आज भारत की ग्रोथ को देखते हुए, क्या आपने भी कहीं पढ़ा है या किसी को इसे हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ कहते सुना है? जब भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है, तो क्या अब कोई इस शब्द का इस्तेमाल करता है? हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ शब्द का इस्तेमाल तब किया गया था, जब भारत 2-3 प्रतिशत की ग्रोथ रेट के लिए संघर्ष कर रहा था.’

गुलामी की मानसिकता का प्रतिबिंब था
पीएम मोदी ने कहा कि यह गुलामी की मानसिकता का प्रतिबिंब था. एक पूरे समाज, एक पूरी परंपरा को गरीबी का पर्याय बना दिया गया. यानी यह सिद्ध करने का प्रयास किया गया कि भारत की धीमी विकास दर का कारण हमारी हिंदू सभ्यता और संस्कृति है. आज जो तथाकथित बुद्धिजीवी हर चीज में, हर बात में सांप्रदायिकता खोजते रहते हैं, उनको हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ में सांप्रदायिकता नजर नहीं आई. यह टर्म उनके दौर में किताबों का और रिसर्च पेपर्स का हिस्सा बना दिया गया.

भारत की यात्रा सिर्फ विकास की नहीं
PM मोदी ने कहा कि आज के भारत की यह यात्रा, सिर्फ विकास की नहीं है. यह सोच में बदलाव की भी यात्रा है, यह मनोवैज्ञानिक पुनर्जागरण, साइकोलॉजिकल रेनसां की भी यात्रा है. आप भी जानते हैं, कोई भी देश आत्मविश्वास के आगे नहीं बढ़ सकता है.

PM मोदी ने आगे कहा, ‘दुर्भाग्य से लंबी गुलामी ने भारत के इसी आत्मविश्वास को हिला दिया था और इशकी वजह थी गुलामी की मानसिकता. गुलामी की यह मानसिकता विकसित भारत के लक्ष्य की प्राप्ति में एक बहुत बड़ी रुकावट है और इसलिए आज का भारत गुलामी की मानसिकता से मुक्ति पाने के लिए काम कर रहा है.’

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