मुंधवा भूमि सौदे में बड़ा मोड़: गिरफ्तारी से पहले शीतल तेजवानी ने खड़गे समिति को सौंपे 1000 से अधिक दस्तावेज


विवादित मुंधवा जमीन डील मामले में गिरफ्तार होने से ठीक एक दिन पहले, शीतल तेजवानी की ओर से उनके वकीलों ने बुधवार को सरकारी नियुक्त खड़गे समिति के सामने 1,000 से अधिक पन्नों के दो जमा किए. यह मामला Amadea Enterprise से जुड़ा है, जो उप मुख्यमंत्री अजित पवार के बेटे पार्थ पवार से लिंक्ड बताई जाती है.

समिति के अधिकारियों ने पुष्टि की कि तेजवानी निजी रूप से उपस्थित नहीं हो सकीं, क्योंकि उसी दिन पुणे पुलिस की इकोनॉमिक ऑफेन्सेज विंग (EOW) ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था. उनकी अनुपस्थिति में उनकी लीगल टीम ने डॉक्यूमेंट सौंपे. एक अधिकारी ने बताया, “उनकी तरफ से एक वकील समिति के सामने आए और डाक्यूमेंट्स जमा किए. उनकी मुख्य वकील दीपाली केदार उपस्थित नहीं थीं, क्योंकि वे तेजवानी की गिरफ्तारी के बाद पुणे में उनके बचाव के लिए गई थीं. उनके जूनियर ने डाक्यूमेंट्स जमा किए हैं, जिनकी फिलहाल जांच की जा रही है.”

 हाईकोर्ट याचिका और 1955 के आदेश का हवाला

सूत्रों के अनुसार, गिरफ्तार तेजवानी और मुख्य वकील की गैरहाजिरी के चलते कोई मौखिक प्रस्तुति नहीं हो सकी. जमा किए गए 1,000 से अधिक डाक्यूमेंट्स में बड़ा हिस्सा तेजवानी की बॉम्बे हाईकोर्ट में दायर सिविल रिट याचिका के परिशिष्टों का है. अपनी याचिका में तेजवानी ने 1994 के उस आदेश पर भरोसा जताया है, जिसमें तत्कालीन राजस्व मंत्री विलासराव देशमुख ने सर्वे नंबर 64 की 1955 की पुनरुद्धार कार्रवाई को “कानूनन गलत” ठहराते हुए उसे वतन जमीन घोषित किया था और योग्य वतनदारों को पुनः अनुदान देने का निर्देश दिया था.

हालांकि अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि देशमुख का आदेश केवल सर्वे नंबर 64 से संबंधित है, सर्वे नंबर 88 पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता और वर्तमान विवाद इसी सर्वे नंबर 88 को लेकर है.

मृदा-वतन जमीन को लेकर तेजवानी का दावा

तेजवानी का दावा है कि सर्वे नंबर 88 “मृदा-वतन (Soil-Watan)” जमीन है, जिसे 1874 के हेरिडिटरी ऑफिसेज एक्ट के तहत दिया गया था और बाद में 1958 के वतन उन्मूलन अधिनियम के तहत पुनः अनुदान योग्य बनाया गया था. उनका कहना है कि “मृदा-वतन” का अर्थ जमीन के स्वामित्व से है, न कि केवल लगान वसूलने के अधिकार से.उन्होंने 13 सितंबर 1955 को प्रांत अधिकारी, पुणे द्वारा जारी उस ज्ञापन को भी चुनौती दी है, जिसमें सर्वे नंबर 88 को वतन श्रेणी से हटाकर सरकारी कब्जे में बताते हुए resumed माना गया था.

तेजवानी का आरोप है कि यह कार्रवाई बिना नोटिस, बिना जांच और बिना किसी कानूनी आधार के की गई, और इसमें शहरीकरण तथा जमीन की कीमत बढ़ने जैसे कारणों का हवाला दिया गया जो कानूनन स्वीकार्य नहीं थे.तेजवानी की गिरफ्तारी के बाद पुणे पुलिस ने कहा, “मुंधवा की 43 एकड़ जमीन की अवैध खरीद से जुड़े मामले में तेजवानी को गिरफ्तार किया गया है. यह जमीन राज्य सरकार द्वारा Botanical Survey of India (BSI) को लीज़ पर दी गई है. जांच में सामने आए साक्ष्यों के आधार पर उन्हें हिरासत में लिया गया है.

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