IVF Cost In India: IVF इलाज मतलब कर्ज! सरकारी रिपोर्ट का खुलासा, पढ़ें क्यों गरीब हो रहे इससे दूर


Why IVF Is Expensive In India: भारत में IVF का खर्च इतना ज्यादा हो गया है कि ज्यादातर दंपति इलाज कराते-कराते कर्ज में डूब रहे हैं. एक नई सरकारी रिपोर्ट बताती है कि IVF कराने वाले हर 10 में से 9 भारतीय दंपति ऐसी स्थिति में पहुंच जाते हैं जहां इलाज पर होने वाला खर्च उनकी सालाना आय के 10 प्रतिशत से भी ज्यादा हो जाता है. एक IVF साइकिल पर निजी अस्पतालों में करीब 2.3 लाख रुपये और सरकारी अस्पतालों में भी औसतन 1.1 लाख रुपये खर्च आ रहा है. यह बोझ किसी भी आम परिवार के लिए बेहद भारी है और यही इस रिपोर्ट की सबसे चौंकाने वाली बात है.

यह देश का पहला बड़ा स्टडी है जिसे ICMR–NIRRCH ने स्वास्थ्य मंत्रालय के लिए तैयार किया है. इसमें साफ दिखा है कि IVF सिर्फ महंगा नहीं, बल्कि कई परिवारों के लिए आर्थिक झटका साबित हो रहा है क्योंकि एक साइकिल में सफलता की गारंटी नहीं होती और अक्सर लोगों को कम से कम तीन बार कोशिश करनी पड़ती है. रिपोर्ट में WHO के आंकड़ों का हवाला भी है, जिनके मुताबिक भारत में 4 से 17 प्रतिशत दंपति इनफर्टिलिटी से जूझते हैं और इनमें से करीब 8 प्रतिशत को IVF जैसे एडवांस्ड इलाज की जरूरत पड़ती है.

क्यों महंगा होता है इलाज?

आईवीएफ की पूरी प्रक्रिया कई चरणों से गुजरती है, ओवेरियन स्टिम्युलेशन, एग रिट्रीवल, फर्टिलाइजेशन, एंब्रियो ट्रांसफर, और लगातार मॉनिटरिंग. यही कारण है कि ये इलाज तकनीकी रूप से मुश्किल भी है और आर्थिक रूप से भारी भी. आयुष्मान भारत योजना अभी कमजोर तबकों को 5 लाख रुपये तक की अस्पताल उपचार कवर देती है, लेकिन आईवीएफ इसमें शामिल नहीं है. रिपोर्ट साफ कहती है कि चूंकि आईवीएफ का ज्यादातर खर्च ओपीडी में होता है, इसलिए इसे पैकेज में जोड़ा जाना चाहिए. अगर योजना में शामिल किया जाता है तो एक आईवीएफ साइकिल की 81,332 हजार रुपये की लागत को सरकारी दर मानने की सिफारिश की गई है. देश में करीब 2.8 करोड़ दंपति इनफर्टिलिटी की समस्या झेल रहे हैं, जिनके लिए आईवीएफ ही आखिरी उम्मीद है, लेकिन इलाज की ऊंची लागत उनके लिए रास्ता रोक देती है.

स्टडी में ये भी सामने आया कि सभी सर्वे मरीजों में पीसीओएस बांझपन की सबसे आम वजह थी. निजी अस्पतालों में सीधे इलाज का खर्च ज्यादा होता है, जबकि सरकारी अस्पतालों में मरीजों को गैर-चिकित्सकीय खर्च, जैसे यात्रा, ठहरने का खर्च और काम से छुट्टी का नुकसान ज्यादा झेलना पड़ता है. आईवीएफ शुरू होने से पहले ही चार में से एक मरीज पर इतना खर्च हो चुका था कि वो इसे “catastrophic expenditure” की कैटेगरी में पहुंच गया. रिपोर्ट यह भी बताती है कि भारत के हेल्थ सिस्टम में इनफर्टिलिटी की समस्या को अभी भी बहुत कम प्राथमिकता मिलती है, जबकि इसके इलाज पर लगभग कोई आर्थिक सुरक्षा नहीं मिलती.

IVF इतना महंगा क्यों पड़ रहा है?

आईवीएफ की एक साइकिल का खर्च 50,000 से लेकर 2.5 रुपये लाख तक जा सकता है. इसमें दवाएं, टेस्ट, मॉनिटरिंग, एंब्रियो लैब, और कई बार बार-बार ट्राई करने का खर्च शामिल है. ऊपर से महंगाई ने दवाओं और टेस्ट की कीमत और बढ़ा दी है. मिडिल-क्लास परिवारों के लिए ये खर्च असहनीय है. हाउसहोल्ड कंजप्शन सर्वे के हिसाब से ग्रामीण परिवार हर महीने करीब 17,000 रुपये खर्च करते हैं. ऐसे में आईवीएफ का खर्च कई लोगों की पूरी सालाना आय से भी ज्यादा बैठ जाता है. 

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Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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