
एक्सपर्ट्स के अनुसार, 40 से 60 साल के लोगों को हर दिन अच्छे से 9 घंटे की नींद जरूरी होती है. क्योंकि इससे शरीर की रिपेयर प्रक्रिया और हार्मोन बैलेंस बना रहता है. 7 घंटे से कम सोने पर टाइप टू डायबिटीज का खतरा 9 प्रतिशत बढ़ जाता है. वहीं नींद की कमी पेट में फैट जमा करती है. इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है और शरीर जल्दी थक जाता है. ऐसे में उम्र बढ़ाने के साथ नींद को हल्के में नहीं लेना चाहिए.

40 की उम्र पार करने के बाद स्ट्रेंथ ट्रेनिंग को इग्नोर करना बंद कर देना चाहिए. 40 की उम्र के बाद शरीर हर दशक में 3 से 5 प्रतिशत मसल्स खोने लगता है. जिसे रोकने के लिए स्ट्रेंथ ट्रेनिंग जरूरी होती है. वहीं हफ्ते में दो बार की गई स्ट्रेंथ ट्रेनिंग बोन डेंसिटी बढ़ाती है, मेटाबॉलिज्म बेहतर करती है और हार्ट डिजीज का खतरा 17 प्रतिशत तक कम करती है.

40 की उम्र के बाद प्रोसेस्ड फूड खाना भी बंद करना चाहिए. चिप्स और सोडा जैसे हाईली प्रोसेस्ड फूड 40 के बाद मोटापे का बड़ा कारण बनते हैं. यह ब्लड शुगर स्पाइक करते हैं, इन्फ्लेमेशन बढ़ाते हैं और दिल की बीमारी का खतरा दोगुना कर देते हैं. इन स्नैक्स में फाइबर की कमी पेट और आंतों की सेहत खराब करती है और कोलन कैंसर का खतरा 20 प्रतिशत तक बढ़ा देती है.

40 के बाद बिना लक्षणों के भी नियमित ब्लड टेस्ट जरूरी होते हैं. क्योंकि शरीर कई छिपी समस्याएं इन्हीं टेस्ट से पकड़ता है. इन टेस्ट में हाई कोलेस्ट्रॉल, प्री डायबिटीज और थायराइड शामिल होते हैं. वहीं हर साल किए गए टेस्ट 30 प्रतिशत तक क्रॉनिक डिजीज को रोकने में मदद करते हैं.

इसके अलावा 40 की उम्र के बाद स्ट्रेस को जमा करना बंद करना चाहिए. लगातार स्ट्रेस शरीर में कॉर्टिसोल बढ़ता है, जिससे ब्लड प्रेशर और टाइप टू डायबिटीज का खतरा 45 प्रतिशत तक बढ़ जाता है. क्रोनिक स्ट्रेस दिमाग के उन हिस्सों को छोटा कर देता है जो मेमोरी संभालते हैं, जिससे एंग्जायटी दोगुनी हो सकती है और लाइफ स्पैन भी घट सकता है.
Published at : 04 Dec 2025 11:04 AM (IST)
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