
इंडसइंड बैंक की एसेट क्वालिटी को लेकर बार-बार एक्सिडेंट का इतिहास रहा है। आखिरी मामला 2025 में अकाउंटिंग में अनियमितता का था। इसके चलते बैंक की सीनियर लीडरशिप को बाहर जाना पड़ा। अब बैंक की कमान राजीव आनंद के हाथ में है। वह नई टीम बना रहे हैं। माइक्रो-फाइनेंस की एसेट क्वालिटी को लेकर चुनौतियां कम हो रही हैं। सवाल है कि क्या लंबी अवधि के लिए इंडसइंड बैंक के शेयरों में निवेश करना ठीक रहेगा?
बैंक MFI पोर्टफोलियो में बरत रहा सावधानी
IndusInd Bank के हेडलाइन एडवान्सेज में ग्रोथ की जगह 8.8 फीसदी गिरावट दिखी है। हालांकि, हालियां संकट को देखते हुए तिमाही दर तिमाही डेटा पर गौर करना होगा। इसमें 2.3 फीसदी की कमी (de-growth) रही है। इसकी बड़ी वजह माइक्रो-फाइनेंस पोर्टफोलियो (MFI) में गिरावट है। बैंक एमएफआई सेगमेंट को लेकर सावधानी बरत रहा है। उसने इनकम एसेसमेंट पर फोकस बढ़ाया है। वोटर आईडी के वेरिफिकेशन में अतिरिक्त सावधानी बरती जा रही है। रेगुलेटरी नॉर्म्स के मुकाबले ज्यादा अनुशासन बरता जा रहा है।
दूसरी छमाही में व्हीकल फाइनेंस में अच्छी ग्रोथ की उम्मीद
इंडसइंड बैंक को इस वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में व्हीकल फाइनेंस पोर्टफोलियो की ग्रोथ बढ़ने की उम्मीद है। इसमें जीएसटी रेट्स में कमी का हाथ होगा। व्हीकल और एमएफआई बैंक की ग्रोथ के लिए इंजन बने रहेंगे। साथ ही बैंक मिड और स्मॉल पर फोकस के साथ एमएसएमई कॉर्पोरेट्स लोन की ग्रोथ बढ़ाना चाहता है। होम लोन, एलएपी और गोल्ड लोन जैसे ट्रेडिशनल रिटेल एसेट बिजनेसेज में ग्रोथ की भारी संभावनाएं हैं।
CASA के मामले में बैंक को करना पड़ रहा संघर्ष
डिपॉजिट्स में साल दर साल आधार पर 5.5 फीसदी और तिमाही दर तिमाही आधार पर 1.9 फीसदी गिरावट आई है। बैंक जानबूझकर होलसेल डिपॉजिट्स में कमी लाना चाहता है। सितंबर तिमाही में सर्टिफिकेट्स ऑफ डिपॉजिट्स (CD) में तिमाही दर तिमाही आधार पर 1.2 फीसदी गिरावट आई। हालांकि, रिटेल डिपॉजिट स्टेबल रहा है। कुल डिपॉजिट में रिटेल डिपॉजिट की हिस्सेदारी 47 फीसदी बनी हुई है। हालांकि, बैंक को ‘करेंट अकाउंट एंड सेविंग्स अकाउंट’ (CASA) के मामले में संघर्ष करना पड़ रहा है। इसमें तिमाही दर तिमाही आधार पर 4.2 फीसदी गिरावट (de-growth) दिखी है। कुल डिपॉजिट में भी इसकी हिस्सेदारी कम हुई है।
दूसरी तिमाही में लॉस में आया इंडसइंड बैंक
इंडसइंड बैंक का क्रेडिट और डिपॉजिट रेशियो 84 फीसदी बना हुई है। इस वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में बैंक लॉस में आ गया। इसकी वजह MFI पोर्टफोलियो के लिए ज्यादा प्रोविजनिंग है। अगर एमएफआई को छोड़ दिया जाए तो स्लिपेज सिर्फ 36 बेसिस प्वाइंट्स रहा। यह जून तिमाही के मुकाबले थोड़ा कम है। बैंक ने स्टैंडर्ड पोर्टफोलियो पर क्रेडिट गारंटी कवर लिया है। अमेरिकी टैरिफ के बावजूद अब तक जेम्स एंड ज्वेलरी सेगमेंट में दबाव नहीं दिखा है।
आपको क्या करना चाहिए?
बैंक के नए मैनेजमेंट ने डायवर्सिफायड डी-रिस्क्ड एसेट बुक के साथ मजबूत बिजनेस बनाने की कोशिश कर रहा है। बैंक ने मीडियम टर्म में 1 फीसदी RoA का टारगेट रखा है। कंपनी की हेडलाइन वैल्यूएशन FY27 की अनुमानित बुक का एक गुना है। 1 फीसदी से कम RoA को देखते हुए यह सस्ता नहीं है। लेकिन, बैंक के बिजनेस में इम्प्रूवमेंट की उम्मीद है। इसके RoA में धीरे-धीरे इजाफा होगा। ऐसे में इनवेस्टर्स इस स्टॉक में निवेश बनाए रख सकते हैं।
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