
पिछले एक साल से स्मॉल और मिड-कैप स्टॉक्स दबाव में हैं। इससे निवेशकों में घबराहट बढ़ी है। CNBC-TV18 के Mutual Fund Corner में PGIM इंडिया एसेट मैनेजमेंट के अनिरुद्ध नाह और TBNG कैपिटल एडवाइजर्स के तरुण बिरानी ने बताया कि इस फेज को कैसे समझें और कैसे आगे बढ़ें। साथ ही, अब निवेशकों की रणनीति क्या हो।
क्या डर से बिकवाली कर रहे निवेशक?
अनिरुद्ध नाह के मुताबिक, मिड और स्मॉल-कैप में जो करेक्शन दिख रहा है, वह कंपनियों की असली स्थिति को नहीं दिखाता। पिछले 7-8 कमजोर क्वार्टर के बाद कमाई में सुधार दिख रहा है- मिड कैप ही नहीं, स्मॉल और माइक्रो कैप कंपनियों में भी। इसके बावजूद कई निवेशक डर की वजह से बेच रहे हैं। इससे कमाई की मजबूती और शेयर कीमतों में अंतर पैदा हो रहा है।
और मजबूत हो सकते हैं अगले दो क्वार्टर
नाह का कहना है कि आगे के दो क्वार्टर कमाई के लिहाज से और बेहतर दिख सकते हैं क्योंकि पिछला बेस कमजोर है। ऐसे समय में जो निवेशक पोर्टफोलियो बनाना शुरू कर रहे हैं, खासकर स्मॉल-कैप में, वे लगभग बॉटम के पास एंट्री कर रहे होंगे। मिड-कैप में वैल्यूएशन थोड़े ऊंचे हैं, इसलिए वहां कुछ और करेक्शन मुमकिन है। लेकिन, कुल मिलाकर अगले 6-9 महीने क्वालिटी स्टॉक्स जमा करने का अच्छा मौका हो सकते हैं।
मार्केट टाइमिंग नहीं, प्लानिंग ज्यादा जरूरी
तरुण बिरानी ने निवेश को मार्केट टाइमिंग की बजाय फाइनेंशियल प्लानिंग के नजरिए से देखने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि लंबी अवधि में अच्छे रिटर्न का सबसे बड़ा हिस्सा ठोस वित्तीय प्लान, सही एसेट एलोकेशन और वोलैटिलिटी में अनुशासन से आता है।
बिरानी के मुताबिक, पिछले एक साल की कमजोरी मिड और स्मॉल-कैप की दो साल की तेज रैली के बाद हुई सामान्य ‘mean reversion’ है। मतलब कि मार्केट हमेशा तेज नहीं भाग सकता। जहां तेज रैली हो चुकी होती है, वहां एक समय बाद ठहराव या गिरावट आना नॉर्मल है।
नया निवेश शुरू कर रहे हैं? पहले लक्ष्य स्पष्ट करें
बिरानी ने कहा कि नए निवेशकों को सबसे पहले यह तय करना चाहिए कि वे क्यों निवेश कर रहे हैं, उनके लक्ष्य क्या हैं और वे कितना जोखिम ले सकते हैं। जब यह स्पष्ट हो जाता है तो धीरे-धीरे निवेश करना वोलैटिलिटी से बचने का बेहतर तरीका है।
क्या स्मॉल-कैप में बॉटम बन चुका है?
इस पर नाह का कहना है कि मौजूदा कमजोरी को 2022-24 की असामान्य तेजी के संदर्भ में देखना चाहिए। इतनी तेज रैली के बाद बाजार को ठहराव की जरूरत थी। नाह का मानना है कि mean reversion का यह फेज अब अपने आखिरी चरण में है।
जो निवेशक अब एंट्री कर रहे हैं, वे स्मॉल-कैप में लगभग लो-लेवल के आसपास निवेश कर रहे हैं। मिड-कैप अभी भी थोड़े महंगे हैं। लेकिन नाह के मुताबिक, अच्छी क्वालिटी वाली स्मॉल-कैप कंपनियां अगले 3-5 साल में मजबूत वेल्थ बना सकती हैं।
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