
खीरे में फाइबर की मात्रा ज्यादा होती है. ज्यादा फाइबर कई लोगों के लिए भारी पड़ सकता है और इससे गैस, अपच, पेट फूलना या ऐंठन जैसी समस्या बढ़ सकती है. जिन लोगों का पाचन तंत्र कमजोर हो, जिनको पहले से एसिडिटी या ब्लोटिंग होती है उन्हें खीरा कम या बिल्कुल नहीं खाना चाहिए, क्योंकि इससे उनकी समस्या और बढ़ सकती है.

खीरे की तासीर ठंडी होती है. अगर किसी को पहले से कफ, सर्दी-जुकाम या गले में दर्द हो, तो खीरे का सेवन उनके लिए ठीक नहीं माना जाता है. ठंडी तासीर होने के कारण कफ और बढ़ सकता है और सर्दी देर तक रह सकती है इसलिए इस स्थिति में खीरा खाने से बचना बेहतर है.

कुछ लोगों को खीरा खाने के बाद एलर्जी होती है. इसके कई लक्षण हो सकते हैं. जैसे होंठ या गले में खुजली, सूजन, पेट दर्द और उल्टी जैसा महसूस होना. अगर कभी खीरा खाने के बाद ये लक्षण दिखें, तो जल्द से जल्द इसका सेवन बंद कर दें.

खीरा प्राकृतिक रूप से ड्यूरेटिक यानी पेशाब बढ़ाने वाला होता है. अगर किसी को पहले ही बार-बार पेशाब आने की समस्या रहती है, तो खीरा उनकी दिक्कत और बढ़ा सकता है. ऐसे लोग इसे बहुत सीमित मात्रा में ही खाएं या डॉक्टर से पूछकर खाएं.

खीरा शरीर का तापमान कम करने के साथ-साथ ब्लड प्रेशर को भी थोड़ा कम कर सकता है. अगर किसी को पहले से ही लो बीपी की समस्या है, तो खीरा ज्यादा खाने पर चक्कर, कमजोरी या थकान महसूस हो सकती है. इसलिए लो बीपी वाले लोग इसे हमेशा सीमित मात्रा में ही खाएं.

कुछ लोगों का शरीर जल्दी ठंड पकड़ लेता है. ऐसे लोगों को ठंडी तासीर वाले खाने जल्दी नुकसान पहुंचाते हैं. अगर आपका शरीर ठंड जल्दी पकड़ता है, हाथ-पैर ठंडे रहते हैं या पेट अक्सर ठंडा हो जाता है, तो खीरा आपके लिए सही नहीं है.
Published at : 01 Dec 2025 06:44 AM (IST)
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