रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 4 दिसंबर को 2 दिवसीय भारत दौरे पर आएंगे. पुतिन 23वीं भारत-रूस समिट में हिस्सा लेंगे. वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात भी करेंगे. लेकिन पुतिन का भारत दौरा 2 बड़ी वजहों से चर्चा में बना है. एक उनकी सिक्योरिटी, जो भारत से उनका यूरिन तक वापस रूस ले जाएगी और दूसरी वजह पुतिन के गिरफ्तार होने का डर. ABP एक्सप्लेनर में समझते हैं कि रूसी राष्ट्रपति की सिक्योरिटी खास क्यों है, क्या वह भारत में गिरफ्तार होंगे और उनके भारत आने से क्या फायदा होगा…
सवाल 1- रूस के राष्ट्रपति की सुरक्षा दुनिया के बाकी लीडर्स से अलग कैसे होती है?
जवाब- व्लादिमीर पुतिन की सुरक्षा की जिम्मेदारी प्रेसिडेंशियल सिक्योरिटी सर्विस (SBP) की होती है. यह फेडरल गार्ड सर्विस (FSO) का हिस्सा है, जिसमें 50 हजार लोग काम करते हैं. ये ट्रम्प की सुरक्षा में तैनात अमेरिका की सीक्रेट सर्विस से 6 गुना ज्यादा संख्या है.
- पुतिन को हमेशा 30 हथियारबंद गार्ड्स घेरे रहते हैं. इसके अलावा उनके आस-पास मौजूद सैकड़ों लोगों में भी FSO के लोग होते हैं. इसमें आइसक्रीम वेंडर से लेकर भीड़ में नारे लगाने वाला कोई भी हो सकता है.
- 2019 में कनाडा के पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो पुतिन के ज्यादा करीब आ गए. अचानक पुतिन का बॉडीगार्ड आगे लपका, तो पुतिन ने हाथ दिखाकर रोक दिया.
- पुतिन कहीं सफर करते हैं, तो उनके साथ पर्सनल शेफ और पोर्टेबल लैब भी जाती है. उनके खाने की हर चीज की पहले जांच होती है. 2019 में जापान में G20 समित के दौरान पुतिन अपने साथ रूसी शेफ और पानी की बोतलें लाए थे.
- पुतिन के बॉडीगार्ड्स के हाथ में 3 तरह के ब्रीफकेस होते हैं. पहला बुलेटप्रूफ शील्ड होती है. दूसरा पुतिन का बायोमैटीरियल कलेक्ट करने के लिए और तीसरा न्यूक्लियर ब्रीफकेस होता है.
- कहीं जाने पर पुतिन अपनी कोई निशानी नहीं छोड़ते. उनके गार्ड्स सारे फिंगरप्रिंट साफ करते हैं. यहां क कि उनके बाल और यूरिन तक कलेक्ट कर लेते हैं. ताकी इनके जरिए दुश्मन को पुतिन की बीमारी का पता न चल जाए और उसका डिप्लोमैटिक फायदा न उठाया जा सके. पुतिन कोई इलेक्ट्रिकल डिवाइस नहीं छूते. यानी खुद से लाइट स्विच भी ऑन नहीं करते हैं.
- पुतिन हमेशा बुलेटप्रूफ सूट पहनते हैं, जिसके वजह की वजह से उनकी चाल में झुकाव होता है. वह बुलेटप्रूफ लिमोजिन कार में सफर करते हैं. यह बम प्रूफ और गैस के हमलों से भी बच सकती है. पुतिन के ड्राइवर रिवर्स गाड़ी चलाते हुए भी एक हाथ से फायरिंग कर सकते हैं.
- वह संवेदनशील जगहों पर अपने बॉडी डबल्स का भी इस्तेमाल करते हैं. 2023 में यूक्रेनी खुफिया एजेंट ने दावा किया कि पुतिन के पास कम से कम तीन डबल्स हैं, जो उनकी शारीरिक बनावट और आवाज की नकल करते हैं.
सवाल 2- पुतिन के भारत आने पर सिक्योरिटी कैसी होगी?
जवाब- पुतिन जब भारत पहुंचेंगे तो उनके कॉन्वॉय फिक्स होगा. भारत में वह PM मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से कब मिलेंगे, कैसे मिलेंगे, दरवाजा कौन खोलेगा, कौन फूल देकर स्वागत करेगा और किसने कौन से कलर के कपड़े पहने होंगे, यह सब पहले से तय होगा. अगर किसी शख्स ने दूसरे रंग के कपड़े पहने, तो सिक्योरिटी अलर्ट हो जाएगी और पुतिन को सुरक्षित किया जाएगा.
पुतिन के साथ FSO की स्पेट्सनाज यूनिट यानी अल्फा ग्रुप और विमपेल जैसी स्पेशल फोर्स यूनिट तैयार रहेंगी. ये यूनिट्स रूसी सैन्य खुफिया एजेंसी GRU के साथ लगातार संपर्क में रहती हैं. कोई खतरा होने पर यह यूनिट्स पुतिन को किसी सुरक्षित जगह या उनके विमान IL-96 जेटलाइनर विमान तक एस्कॉर्ट करके ले जाती हैं.
IL-96 जेटलाइनर विमान एक उड़ता हुआ कमांड सेंटर है, जिसमें रडार से लेकर सभी जरूरी सिक्योरिटी फीचर्स मौजूद होते हैं. पुतिन के क्रेमलिन से बाहर रहने के दौरान रूसी खुफिया एजेंसी, साइबर टीम एक्टिव रहती हैं. दरअसल, पुतिन के रूस से बाहर जाने पर उनके गिरफ्तार होने का भी खतरा रहता है.
सवाल 3- रूस के राष्ट्रपति पुतिन को कौन और क्यों गिरफ्तार कर सकता है?
जवाब- 17 जुलाई 1998 को इटली के रोम में एक समझौता हुआ. इसमें दुनियाभर में अपराधों की जांच और मुकदमे के लिए एक इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट यानी ICC बनाई गई. फ्रांस, जर्मनी, इटली, स्पेन, स्विट्जरलैंड और स्वीडन जैसे 124 देश इसके सदस्य हैं. यानी ICC से सजा पाया कोई व्यक्ति इन 125 देशों में पकड़ा गया, तो उसे फौरन नीदरलैंड्स में ICC के हेडक्वार्टर भेज दिया जाएगा.
17 मार्च 2023 को ICC ने पुतिन के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया. उन पर यूक्रेन के बच्चों को अवैध रूप से रूस ले जाने का आरोप है. ICC इसे युद्ध अपराध मानता है. जुलाई 2025 में ब्राजील में हुए BRICS सम्मेलन में पुतिन नहीं गए, क्योंकि ब्राजील भी ICC का सदस्य है. वहां कोई गारंटी नहीं थी कि पुतिन को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा. पुतिन ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए BRICS में हिस्सा लिया. इसी तरह 2023 के साउथ अफ्रीका में हुए BRICS सम्मेलन में भी पुतिन नहीं गए.
15 अगस्त को पुतिन और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात अमेरिका के अलास्का में हुई थी. डोनाल्ड ट्रंप और पुतिन ने मुलाकात के लिए अलास्का को चुना, क्योंकि यह अमेरिका का स्टेट है और अमेरिका ICC का सदस्य देश नहीं है. अमेरिका ICC के अधिकार क्षेत्र को नहीं मानता. 31 दिसंबर 2000 को तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने आखिरी कार्यकाल में रोम संधि पर हस्ताक्षर किए. लेकिन इसके बाद अगले राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने इस समझौते को मानने से इनकार कर दिया था.
सवाल 4- तो क्या पुतिन भारत में गिरफ्तार हो सकते हैं?
जवाब- नहीं. पुतिन के भारत आने पर उन्हें गिरफ्तार करने का कोई कानूनी या व्यावहारिक आधार नहीं है. भारत ICC का सदस्य नहीं है. दरअसल, भारत ने 1998 के रोम स्टैट्यूट पर हस्ताक्षर ही नहीं किया था. इसलिए, भारत ICC वारंट के प्रति बाध्य नहीं है. अगर भारत ICC का सदस्य होता, फिर भी वह इसे मानने के लिए मजबूर नहीं होता, क्योंकि ICC का वारंट उसके सदस्य देशों के लिए एक सलाह होती है.
2015 में जब ICC ने सूडान के तत्कालीन राष्ट्रपति उमर अल-बशीर के खिलाफ वारंट जारी किया, तो भारत ने उनकी गिरफ्तारी नहीं की थी. तब ICC ने भारत से बशीर को गिरफ्तार करके उसे सौंपने के लिए कहा था, लेकिन भारत ने ऐसा कुछ नहीं किया था.
सवाल 5- पुतिन के भारत आने से क्या फायदा होगा?
जवाब- पुतिन 23वीं भारत-रूस समिट में भाग लेंगे. यह भारत और रूस के बीच होने वाली सालाना बैठक का हिस्सा है. हर साल दोनों देश बारी-बारी से इस बैठक की मेजबानी करते हैं. इस बार भारत की बारी है. पुतिन के भारत आने से भारत को रक्षा, ऊर्जा, व्यापार और कूटनीति जैसे क्षेत्रों में फायदा होगा. इससे हमारी ‘विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी’ मजबूत होगी और अमेरिकी दबाव के बावजूद रूस से सस्ता तेल-हथियार मिलते रहेंगे. एक्सपर्ट्स के मुताबिक-
- भारत की सेना का 46% हथियार रूस से आते हैं. पुतिन की यात्रा में S-400 एयर डिफेंस सिस्टम के 5 और स्क्वाड्रन (लगभग 5,000 करोड़ रुपए की डील) खरीदने पर चर्चा होगी. यह सिस्टम मई 2025 में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में पाकिस्तान के खिलाफ बहुत काम आया था.
- पांचवीं पीढ़ी के सुखोई-57 फाइटर जेट के 2-3 स्क्वाड्रन पर फैसला हो सकता है. यह अमेरिकी F-35 का सस्ता विकल्प बनेगा.
- पुराने T-72 टैंकों के लिए 1,000 हॉर्सपावर इंजन की डील टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के साथ हो सकती है, जो मार्च 2025 में साइन हुई थी. इसके जरिए भारत में ही प्रोडक्शन बढ़ेगा. इससे नौकरियां और ‘मेक इन इंडिया’ को बूस्ट मिलेगा.
- रूस भारत का सबसे बड़ा तेल सप्लायर है. 2025 की पहली छमाही में भारत ने रोज 1.6 मिलियन बैरल रूसी क्रूड तेल खरीदा, जो 2020 में सिर्फ 50,000 था. इससे तेल की कीमतें कम रहीं और भारत को सालाना अरबों डॉलर की बचत हुई थी.
- पुतिन की यात्रा में आर्कटिक शेल्फ और फार ईस्ट में जॉइंट प्रोजेक्ट्स जैसी नई एनर्जी डील्स होंगी. छोटे मॉड्यूलर न्यूक्लियर रिएक्टर (SMRs) महाराष्ट्र में बनाने का MoU आगे बढ़ेगा.
- ट्रंप ने रूसी तेल खरीदने पर 50% टैरिफ लगाया था, जिसका जवाब देने के लिए ‘स्पेशल मैकेनिज्म’ बनेगा, ताकि तेल सप्लाई बिना रुकावट चले.
- भारत की 40% तेल जरूरत रूस से पूरी होती रहेगी, जो महंगाई कंट्रोल करेगी. यह 2030 तक 100 बिलियन डॉलर ट्रेड टारगेट में एनर्जी बड़ा रोल निभाएगा.
- 2024-25 में भारत-रूस ट्रेड 68.7 बिलियन डॉलर रहा, जो 2022 से 6 गुना ज्यादा है. लेकिन भारत का डेफिसिट 59 बिलियन डॉलर है. पुतिन की यात्रा में इसे बैलेंस करने के लिए भारतीय निर्यात पर फोकस करके रूस में मार्केट एक्सेस बढ़ेगा.
- यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन (EAEU) के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) तेज होगा. अगस्त 2025 का 18-महीने प्लान MSMEs और किसानों के लिए रूस-बेलारूस मार्केट खोलेगा.
नेशनल करेंसी (रुपया-रुबल) में ट्रेड बढ़ेगा, डॉलर पर निर्भरता कम होगी. रूस से IT, एग्रीकल्चर और हेल्थकेयर में निवेश के लिए फोरम होगा.
इसके अलावा पुतिन की यात्रा से भारत की ‘स्ट्रैटेजिक ऑटोनॉमी’ मजबूत होगी. अमेरिकी टैरिफ के बावजूद रूस से डील्स जारी रख सकेंगे. यह अमेरिका को मैसेज देगा कि भारत अपना फैसला खुद लेगा. SCO और BRICS जैसे मंचों पर सहयोग बढ़ेगा. यूक्रेन, मिडिल ईस्ट जैसे मुद्दों पर बात होगी, जहां भारत शांति का मैसेज देगा. साइंस, टेक्नोलॉजी और कल्चर में MoUs साइन होंगे.
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