PoK के साथ क्रॉस-LOC ट्रेड पर J&K हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, GST के दायरे में आएंगे सभी पुराने सौदे


जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा है कि भारत और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) के बीच होने वाला क्रॉस-लाइन ऑफ कंट्रोल (LoC) ट्रेड GST कानून के हिसाब से इंट्रा-स्टेट ट्रेड माना जाएगा. कोर्ट का कहना है कि PoK कानूनी रूप से पहले के जम्मू-कश्मीर राज्य का ही हिस्सा है, इसलिए वहां की सप्लाई को राज्य के भीतर होने वाला व्यापार माना जाएगा.

यह फैसला उन ट्रेडर्स के लिए बड़ा झटका है, जो टैक्स डिमांड और टेरर फंडिंग मामलों की जांच का सामना कर रहे हैं और जिन्होंने इस मुद्दे पर शो-कॉज नोटिस को चुनौती दी थी.

पहली बार कोर्ट ने POK के स्टेटस पर की टिप्पणी

पिछले 75 साल में यह पहला मौका है जब किसी भारतीय कोर्ट ने J&K से जुड़े किसी सिविल या टैक्स मामले में PoK के कानूनी स्टेटस पर सीधी टिप्पणी की है. जस्टिस संजीव कुमार और जस्टिस संजय परिहार की डिवीजन बेंच इस मामले में कई ट्रेडर्स की पिटीशन पर सुनवाई कर रही थी.

ट्रेडर्स का तर्क था कि 2017 से 2019 के बीच उन्होंने PoK के लोगों के साथ बार्टर सिस्टम में ट्रेड किया था. उनका कहना था कि यह व्यापार ज़ीरो-रेटेड है और इस पर टैक्स नहीं लगना चाहिए.

पुलवामा हमले के बाद बंद हुआ LoC ट्रेड

2019 में पुलवामा हमले में 40 CRPF जवानों की शहादत के बाद केंद्र सरकार ने उरी-मुजफ्फराबाद और पुंछ-रावलकोट के LoC ट्रेड पॉइंट्स को बंद कर दिया था. बाद में NIA की जांच में सामने आया कि ट्रेडर्स का एक नेटवर्क इस बार्टर ट्रेड का इस्तेमाल कर रहा था और वही पैसा आगे चलकर टेरर फंडिंग में जा रहा था.

इसके बाद ED और इनकम टैक्स विभाग ने भी जांच शुरू की और इंपोर्ट कम दिखाना, एक्सपोर्ट ज्यादा दिखाना, अनडिक्लेयर्ड प्रॉफिट जैसी गड़बड़ियां सामने आईं. इन्हीं आधारों पर सेल्स टैक्स और GST के नोटिस भेजे गए.

कोर्ट ने क्यों माना इसे इंट्रा-स्टेट ट्रेड?

कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि PoK कानूनी रूप से भारत के जम्मू-कश्मीर राज्य का ही हिस्सा है. इसलिए सप्लाई की लोकेशन और सप्लाई का स्थान जम्मू-कश्मीर के भीतर ही माना जाएगा.  ऐसे में उस समय का क्रॉस-LoC ट्रेड इंट्रा-स्टेट ट्रेड ही होगा और इस पर GST लागू होगा. 

कोर्ट ने कहा कि पिटीशनर्स के पास CGST एक्ट 2017 के तहत वैकल्पिक कानूनी उपाय मौजूद हैं, इसलिए उनकी पिटीशन यहां स्वीकार नहीं की जा सकती.

ट्रेडर्स का तर्क खारिज

ट्रेडर्स का कहना था कि चक्कन-दा-बाग (पुंछ) से रावलकोट और उरी से मुज़फ्फराबाद के बीच होने वाला बार्टर ट्रेड भारत और पाकिस्तान के बीच आपसी समझौते के तहत चलता था. ऐसे ट्रेड पर न टैक्स लगता था और न करेंसी का लेन-देन होता था.

लेकिन कोर्ट ने इन दलीलों को नहीं माना और कहा कि व्यापार की प्रकृति चाहे जो हो, लोकेशन और सप्लाई की परिभाषा कानून से तय होती है, इसलिए GST लागू होगा.

हाई कोर्ट के इस फैसले के बाद GST विभाग के पुराने शो-कॉज नोटिस अब मजबूत हो गए. ट्रेडर्स को टैक्स डिमांड का सामना करना पड़ेगा.  PoK के स्टेटस को लेकर कोर्ट का यह अवलोकन आगे चलकर अन्य मामलों में भी अहम साबित हो सकता है.

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