Geeta Jayanti and Mokshada Ekadashi 2025: 1 दिसंबर को बन रहा है शुभ संयोग! जानें महत्व, पूजा विधि और लाभ

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गीता जयंती और मोक्षदा एकादशी 1 दिसंबर को मनाई जाएगी, अगहन (मार्गशीर्ष) मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि इस वर्ष 30 नवंबर को रात 9:29 बजे से प्रारंभ होकर 1 दिसंबर को शाम 7:01 बजे समाप्त होगी. उदयातिथि की परंपरा के अनुसार गीता जयंती और मोक्षदा एकादशी का पावन पर्व 1 दिसंबर को ही मनाया जाएगा. यह जानकारी श्री लक्ष्मीनारायण एस्ट्रो सॉल्यूशन, अजमेर की निदेशिका ज्योतिषाचार्या एवं टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने दी.

मोक्षदा एकादशी का महत्व: ज्योतिषाचार्या नीतिका शर्मा के अनुसार मोक्षदा एकादशी सभी एकादशियों में अत्यंत पुण्यदायी मानी जाती है. इसे विष्णुप्रिया एकादशी भी कहा गया है. मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर होते हैं और पितरों को मोक्ष प्राप्त होता है. जिन पितरों को अभी तक मुक्ति नहीं मिली, उनका तर्पण इस दिन करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है.

गीता जयंती का धार्मिक महत्व: नीतिका शर्मा ने बताया कि द्वापर युग में अगहन मास की शुक्ल पक्ष एकादशी के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत के युद्ध के दौरान अर्जुन को श्रीमद्भागवत गीता का उपदेश दिया था. इसी कारण इस तिथि को गीता जयंती के रूप में मनाया जाता है. गीता दुनिया का एकमात्र ऐसा ग्रंथ है जिसकी जयंती मनाई जाती है.
साल में सामान्यतः 24 एकादशियां होती हैं, लेकिन जिस वर्ष अधिकमास आता है, उस वर्ष इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है. इस वर्ष भी सावन मास में अधिकमास होने के कारण 26 एकादशियां रही हैं.

मोक्षदा एकादशी की तिथि

अगहन मास की शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि 30 नवंबर को रात 9:29 बजे शुरू होकर 1 दिसंबर को शाम 7:01 बजे समाप्त होगी. उदयातिथि होने के कारण यह पर्व 1 दिसंबर को मनाया जाएगा.

गीताजी की पूजा विधि:

नीतिका शर्मा ने बताया कि गीता जयंती के दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करें.

  • पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें.
  • चौकी पर साफ कपड़ा बिछाकर भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा और श्रीमद्भागवत गीता स्थापित करें.
  • भगवान को जल, अक्षत, पीले पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें.
  • श्रीमद्भागवत गीता का पाठ अवश्य करें.

गीतादान का विशेष महत्व

श्रीमद्भागवत गीता में ही बताया गया है कि इस परमज्ञान को दूसरों तक पहुंचाना चाहिए. ग्रंथों में ग्रंथदान को महादान कहा गया है. गीता का दान करने से अनेक पाप नष्ट हो जाते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है.

गीता उपदेश का ऐतिहासिक संदर्भ

महाभारत युद्ध प्रारंभ होने से पहले मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी को भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था. इसी कारण गीता में “श्रीभगवान उवाच” लिखा है, न कि “श्रीकृष्ण उवाच”. यह गीता की दिव्यता और सार्वभौमिकता को दर्शाता है.

गीता का आध्यात्मिक महत्व

नीतिका शर्मा ने बताया कि गीता में वेद, उपनिषद और पुराणों का सार है. इसमें कर्म, ज्ञान और भक्ति मार्ग की विस्तृत व्याख्या है. गीता के 18 अध्याय जीवन के हर क्षेत्र में मार्गदर्शन प्रदान करते हैं और मनुष्य की शंकाओं का समाधान करते हैं.

गीता से जीवन-शिक्षा

ग‌ीता हमें कर्म करते रहने का संदेश देती है. कर्म न करना भी एक कर्म माना जाता है, जिसका फल अवश्य मिलता है. इसलिए जीवन में निष्क्रियता नहीं, बल्कि सतत कर्म आवश्यक है.

मोक्षदा एकादशी की विशेष मान्यताएंछ

  • व्रत करने से मृत्यु के बाद मोक्ष मिलता है.
  • पितरों का उद्धार होता है.
  • पापों का नाश होता है और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है.
  • संतान, धन और विवाह संबंधी इच्छाएँ पूरी होती हैं.
  • गौसेवा, गीता दान और दान-पुण्य श्रेष्ठ माना जाता है.
  • मान्यता है कि इस व्रत से बैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है.

1 दिसंबर को पड़ने वाली गीता जयंती और मोक्षदा एकादशी भक्तों के लिए अत्यंत शुभ संयोग माना जा रहा है. व्रत, पूजा और गीता पाठ से विशेष पुण्य और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं.

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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