फल-फूल नहीं, बल्कि इस मंदिर में मां काली को लगता है मोमोज, नूडल्स और फ्राइड राइस का भोग

Chinese Kali Mandir in Kolkata भारत देश जो अपनी विभिन्न संस्कृति के लिए जाना जाता है. यहां अनेकों ऐसे मंदिर हैं, जहां की परंपरा और पूजा पद्धति काफी अलग है. ऐसे ही एक मंदिर पश्चिम बंगाल के कोलकाता में स्थित है, जिसका नाम प्रसिद्ध काली मंदिर है. इस मंदिर की मान्यताएं इनती ज्यादा हैं कि, आस-पास के लोग नियमित रूप से इस मंदिर में मां काली के दर्शन के लिए आते हैं.

Chinese Kali Mandir in Kolkata भारत देश जो अपनी विभिन्न संस्कृति के लिए जाना जाता है. यहां अनेकों ऐसे मंदिर हैं, जहां की परंपरा और पूजा पद्धति काफी अलग है. ऐसे ही एक मंदिर पश्चिम बंगाल के कोलकाता में स्थित है, जिसका नाम प्रसिद्ध काली मंदिर है. इस मंदिर की मान्यताएं इनती ज्यादा हैं कि, आस-पास के लोग नियमित रूप से इस मंदिर में मां काली के दर्शन के लिए आते हैं.

इस मंदिर की सबसे खास बात मां काली को चढ़ने वाला प्रसाद है. मां काली को यहां प्रसाद के रूप में लड्डू या फल नहीं बल्कि नूडल्स का भोग लगाया जाता है. यह बात सुनने में काफी अजीब लग सकती है, लेकिन यह सच है. आइए जनते हैं इसके पीछे का रहस्य?

इस मंदिर की सबसे खास बात मां काली को चढ़ने वाला प्रसाद है. मां काली को यहां प्रसाद के रूप में लड्डू या फल नहीं बल्कि नूडल्स का भोग लगाया जाता है. यह बात सुनने में काफी अजीब लग सकती है, लेकिन यह सच है. आइए जनते हैं इसके पीछे का रहस्य?

मां काली का यह मंदिर बंगाल की राजधानी कोलकाता के तांग्रा नामक जगह पर स्थित है, इसे चाइना टाउन के नाम से भी जाना जाता है. बता दें कि, चीन गृह युद्ध के दौरान यहां चीन के कई लोग शरणार्थी के रूप में आए थे, बाद में चीन की प्रथा की ही तरह स्थानीय लोग ने मंदिर में मां काली को नूडल्स चढ़ाना शुरू कर दिया है.

मां काली का यह मंदिर बंगाल की राजधानी कोलकाता के तांग्रा नामक जगह पर स्थित है, इसे चाइना टाउन के नाम से भी जाना जाता है. बता दें कि, चीन गृह युद्ध के दौरान यहां चीन के कई लोग शरणार्थी के रूप में आए थे, बाद में चीन की प्रथा की ही तरह स्थानीय लोग ने मंदिर में मां काली को नूडल्स चढ़ाना शुरू कर दिया है.

इसके बाद यह परंपरा आगे चलकर भोग के रूप में विकसित हो गई, जिसके कारण तब से लेकर आज तक मंदिर में मां काली को नूडल्स का भोग चढ़ाया जाता है. प्रसाद के रूप में नूडल्स चढ़ाने की यह प्रथा अब मां काली मंदिर का एक अहम हिस्सा बन गई है.

इसके बाद यह परंपरा आगे चलकर भोग के रूप में विकसित हो गई, जिसके कारण तब से लेकर आज तक मंदिर में मां काली को नूडल्स का भोग चढ़ाया जाता है. प्रसाद के रूप में नूडल्स चढ़ाने की यह प्रथा अब मां काली मंदिर का एक अहम हिस्सा बन गई है.

बता दें कि काली मंदिर में चाइनीज प्रसाद चढ़ाने की परंपरा आस्था और भक्ति की स्थायी शक्ति का प्रमाण है. मां काली के इस भोग को लेकर कहा जाता है कि, मां प्रेम की भूखी है, उन्हें प्रेम से कुछ भी भेंट किया जाए, तो वे इसे स्वीकार करती हैं. यही कारण हैं कि, आज भी इस मंदिर में इंडो-चाइनीज प्रसाद का चलन है, जिसमें माता रानी को नूडल्स, चॉप्सी और फ्राइड राइस और मोमोज शामिल हैं.

बता दें कि काली मंदिर में चाइनीज प्रसाद चढ़ाने की परंपरा आस्था और भक्ति की स्थायी शक्ति का प्रमाण है. मां काली के इस भोग को लेकर कहा जाता है कि, मां प्रेम की भूखी है, उन्हें प्रेम से कुछ भी भेंट किया जाए, तो वे इसे स्वीकार करती हैं. यही कारण हैं कि, आज भी इस मंदिर में इंडो-चाइनीज प्रसाद का चलन है, जिसमें माता रानी को नूडल्स, चॉप्सी और फ्राइड राइस और मोमोज शामिल हैं.

Published at : 28 Nov 2025 03:00 PM (IST)

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