
रेयर अर्थ मैगनेट्स मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने की स्कीम के ऐलान से 27 नवंबर को मिनरल कंपनियों के स्टॉक्स में तेजी दिखी। लेकिन, एनालिस्ट्स का कहना है कि इनवेस्टर्स को रेयर-अर्थ थीम को लेकर गुजरात मिनरल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (जीएमडीसी) और ऐसी दूसरी लिस्टेड कंपनियों से ज्यादा उम्मीद नहीं लगानी चाहिए। यूनियन कैबिनेट ने 26 नवंबर को रेयर अर्थ मैगनेट्स की देश में मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए एक स्कीम को मंजूरी दे दी।
जीएमडीसी के शेयरों में लगातार दूसरे दिन तेजी
GMDC के शेयरों में बीते दो सत्रों में तेजी दिखी है। इसकी वजह 7,300 करोड़ रुपये की सरकार की इनसेंटिव स्कीम को कैबिनेट से मंजूरी मिलने की उम्मीद हो सकती है। एनालिस्ट्स का कहना है कि अभी न तो जीएमडीसी और न ही किसी दूसरी घरेलू मिनरल कंपनी को रेयर अर्थ मैग्नेट वैल्यू चेन का फायदा होने जा रहा है। उनका यह भी कहना है कि इन शेयरों में दिख रही तेजी इन कंपनियों के बिजनेस फंडामेंटल्स से मैच नहीं करती।
जीएमडीसी हाई वैल्यू मिनरल की माइनिंग नहीं करती
मशहूर मार्केट एक्सपर्ट दिपन मेहता ने कहा कि जीएमडीसी ने रेयर अर्थ जैसे हाई-वैल्यू मिनरल्स बिजनेस में हाथ आजमाने की कोशिश की है। लेकिन, वह सफल नहीं हुई है। सीएनबीसी-टीवी18 को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि जीएमडीसी पिछले कई सालों में वॉल्यूम ज्यादा नहीं बढ़ा पाई है। उन्होंने यह भी कहा कि इनवेस्टर्स सिर्फ इस आधार पर जीएमडीसी के शेयर नहीं खरीद सकते कि इंडिया रेयर अर्थ मैगनेट्स की मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाना चाहता है या इसकी ज्यादा माइनिंग करना चाहता है।
इंडिया में सिर्फ एक कंपनी रेयर अर्थ की माइनिंग करती है
उन्होंने कहा कि इंडिया में शेयर बाजार में लिस्टेड ऐसी कोई कंपनी नहीं है, जो सीधे रेयर-अर्थ मैगनेट की थीम से जुड़ी हुई है। इंडिया में अभी सिर्फ एक कंपनी है, जो रेयर अर्थ एलिमेंट्स की माइनिंग और रिफाइनिंग करती है। इस कंपनी का नाम IREL है, जो डिपार्टमेंट ऑफ एटोमिक एनर्जी के तहत आती है। आईआरईएल ने सरकार को बताया है कि वह सालाना 500 टन से ज्यादा ऑक्साइड की सप्लाई नहीं कर सकती।
जीएमडीसी जैसी कंपनियों को स्कीम का फायदा नहीं
सरकार ने रेयर अर्थ मैगनेट्स की मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए जिस स्कीम को मंजूरी दी है उसके तहत 6,000 टन REPM का टारगेट रखा गया है। 6,000 टन REPM के लिए सालाना करीब 1,500 टन रेयर-अर्थ ऑक्साइड की जरूरत पड़ेगी। इसका मतलब है कि करीब 1,000 टन की कमी पूरी करने के लिए आयात पर निर्भर रहना पड़ेगा। इसका मतलब है कि जीएमडीसी जैसे घरेलू माइनिंग कंपनियों को शॉर्ट टर्म में सरकार की स्कीम से कोई फायदा नहीं होगा।
Read More at hindi.moneycontrol.com