Kurukshetra Gita Mahotsav 2025: हरियाणा के कुरुक्षेत्र में इन दिनों आध्यात्मिक वातावरण की ऊर्जा चरम पर है. 15 नवंबर 2025 को अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव का शुभारंभ होते ही देश-दुनिया से लाखों श्रद्धालु इस पवित्र भूमि पर पहुंच रहे हैं. बता दें कि 5 दिसंबर 2025 को इन महोत्सव का समापन हो जाएगा.
गीता उपदेश की जन्मभूमि है कुरुक्षेत्र
कुरुक्षेत्र को गीता उपदेश की जन्मभूमि कहा जाता है, क्योंकि इसी भूमि पर भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश (Gita Updesh) दिया था. इसलिए इस स्थान का धार्मिक, ऐतिहासिक और अध्यात्मिक महत्व इतना विशाल है कि यहां कदम रखते ही भक्त का मन स्वयं दिव्यता से भर उठता है. गीता महोत्सव का आयोजन इसी पवित्रता और अनंत ज्ञान को जन-जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से हर साल किया जाता है.
कुरुक्षेत्र में हर साल गीता महोत्सव का आयोजन 18 अध्याय के महाभारत (Mahabharat) और 18 दिनों तक चल महाभारत युद्ध के तर्ज पर 18 दिनों तक चलता था. लेकिन इस वर्ष इस महोत्सव की अवधि बढ़ाकर 21 दिनों तक कर दी गई है.
कुरुक्षेत्र की भूमि है तीर्थ समान
कुरुक्षेत्र की भूमि को धर्मभूमि या धर्मक्षेत्र भी कहा जाता है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, महाभारत युद्ध से ठीक पहले यहीं भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को श्रीमद् भगवद्गीता का उपदेश दिया था. इसी उपदेश के कारण अर्जुन का मोह भंग हुआ और वे युद्ध के लिए आगे बढ़े. गीता उपदेश आज भी मानवता को कर्म, धर्म, ज्ञान और भक्ति का अनंत संदेश देकर जीवन का पाठ पढ़ाता है.
शास्त्रों में कुरुक्षेत्र भूमि की मिट्टी को ‘पुण्यभूमि’ कहा जाता है. क्योंकि यह वह स्थान है, जहां स्वयं कृष्ण ने धर्म की स्थापना के लिए दिव्य मार्गदर्शन दिया था. साथ ही कुरुक्षेत्र में देवी-देवताओं के अनेक पवित्र सरोवर और मंदिर स्थित (ब्रह्म सरोवर, भीष्म कुंड, स्थानेश्वर महादेव मंदिर, ज्योतिसर, लक्ष्मी नारायण मंदिर आदि) हैं. ऐसी मान्यता है कि कुरुक्षेत्र में किया गए स्नान-दान जैसे कर्म तीर्थ समान ही फल देता है.
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