
केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम में स्थित आझिमाला शिव मंदिर एक प्रसिद्ध तटीय तीर्थस्थल है. यह मंदिर अपनी आध्यात्मिक ऊर्जा, शांत वातावरण और समुद्र के नज़ारों के लिए जाना जाता है. भक्त यहां भगवान शिव के दर्शन और समुद्र तट पर आध्यात्मिक शांति की तलाश में आते हैं.

यह मंदिर तिरुवनंतपुरम के पास अरब सागर के बिल्कुल किनारे चट्टानों के पास बना यह स्थान बेहद आकर्षक और प्राकृतिक सुंदरता से भरा है. इसकी समुद्र से जुड़ाव ही इसे विशेष और मनोहारी बनाता है.

आझिमाला शिव मंदिर देवस्वम ट्रस्ट के तहत है. यही ट्रस्ट मंदिर की दैनिक पूजा, साफ-सफाई, रखरखाव और त्योहारों की व्यवस्था संभालता है. मलयालम महीने मकरम में होने वाला वार्षिक उत्सव भी इसी ट्रस्ट द्वारा आयोजित किया जाता है.

मंदिर का निर्माण पारंपरिक द्रविड़ शैली में किया गया है. इसका डिजाइन तमिलनाडु के मंदिरों से मिलता-जुलता है. बाहरी दीवारों और गोपुरम पर गणेश, विष्णु, कार्तिकेय, अय्यप्पन और हनुमान जैसे देवताओं की रंगीन मूर्तियाँ बनी हैं. अंदर की दीवारों पर सुंदर भित्ति चित्र, नक्काशी और पारंपरिक कलाकारी देखने को मिलती है.

मंदिर का सबसे बड़ा आकर्षण 18 मीटर यानी 58 फीट ऊँची भगवान शिव की गंगाधरेश्वर रूपी विशाल मूर्ति है. इस मूर्ति का निर्माण आझिमाला के कलाकार पी.एस. देवदथन ने किया. इसका कार्य 2014 में शुरू हुआ और 2020 में पूरा होकर जनता के लिए खोल दिया गया. इसे भारत की सबसे ऊँची गंगाधरेश्वर मूर्ति माना जाता है.

समुद्र की लहरों की गूंज, शांत वातावरण और भगवान शिव की विशाल प्रतिमा यहां आने वाले हर व्यक्ति को गहरी आध्यात्मिक अनुभूति देती है. प्राकृतिक सौंदर्य और मंदिर की कला मिलकर इस स्थान को भक्तों और पर्यटकों के लिए एक यादगार आध्यात्मिक गंतव्य बनाती हैं.
Published at : 27 Nov 2025 07:30 AM (IST)
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