Bhavishya Purana Predictions: हिंदू धर्म के प्रमुख अठारह पुराणों में से एक भविष्य पुराण को भविष्य के संकेतों, युद्धों, धार्मिक परिवर्तन और सामाजिक उथल-पुथल के लिए जाना जाता है. भविष्य पुराण में हजारों वर्ष पहले ही भारतीय मनीषियों द्वारा नैतिक मूल्यों के पतन, व्यक्ति के चरित्र में परिवर्तन, आपदा आदि से जुड़ी भविष्यवाणियां कर दी गई थी, जोकि आज सौ प्रतिशत सच साबित हो रही है. इससे यह सिद्ध होता है कि, हमारे भारतीय मनीषी कितने आत्मज्ञानी और दूर दृष्टा थे.
भविष्य पुराण में वर्णित कई बातें आज के समय से चौंकाने वाली समानता रखती हैं. दुनियाभर में बढ़ता प्रदूषण, देशों के बीच तनाव व युद्ध, प्राकृतिक आपदाएं और धर्म के प्रति लोगों का बदलता व्यवहार इन भविष्यवाणियों को कहीं न कहीं सच होते हुए दिखाते हैं.
आच्छिन्नदारद्रविणा, यास्यन्ति गिरिकाननम।
शाकमूलामिषक्षौद्र: फल पुष्पाष्टिभोजना:॥
आर्थिक संकट को लेकर भविष्य पुराण में पहले ही ऐसा बताया गया है कि, वित्तीय व्यवस्था गड़बड़ा जाएगी. राजनीतिक लाभ के लिए किसी विशेष वर्ग पर सरकार सारे कार्य थोप देंगी. एक समय लोग नगर और शहर छोड़ फिर से जंगलों की ओर पलायन करने पर विवश हो जाएगा. सूखा और बाढ़ की ऐसी मार पड़ेगी कि लोग फिर से पत्ते, मांस, फूल और जंगली चीजें खाकर ही पेट भरने पर मजबूर हो जाएंगे.
क्षुत्तृड्भ्यां व्याधिभिश्चैव, संतप्स्यन्ते च चिन्तया।
त्रिंशद्विंशति वर्षाणि, परमायु: कलौ नृणाम।।
कलयुग में लोग अपने ही द्वारा किए कामों को लेकर चिंताओं से घिरे रहेंगे. बचपना भटकाव में बीतेगा और युवावस्था में व्यक्ति इतना तंग हो जाएगा कि उसकी आयु ही क्षीण हो जाएगी. इस तरह से एक समय ऐसा आएगा जब मनुष्य की आयु केवल 20-30 वर्ष हो जाएगी.
दाक्ष्यं कुटुंबभरणं यशोऽर्थे धर्मसेवनम् ।
एवं प्रजाभिर्दुष्टाभि: आकीर्णे क्षितिमण्डले ॥
भविष्य पुराण के अनुसार, कलयुग का समय केवल ढोंग और दिखावे का रहेगा. लोग दूसरो के सामने अच्छा दिखने का ढोंग करेंगे और दिखावे के लिए ही धर्म-कर्म का काम भी करेंगे. भ्रष्ट लोगों की संख्या इतनी बढ़ जाएगी कि लोग किसी को मारने या नुकसान पहुंचाने में भी पीछे नहीं हटेंगे. भौतिक सुख-सुविधाएं पाकर व्यक्ति आलस से घिर जाएगा.
अनावृष्ट्या विनङ्क्ष्यन्ति दुर्भिक्षकरपीडिता:।
शीतवातातपप्रावृड्यं हिमैरन्योन्यत: प्रजा:॥
कलयुग में लोग स्वार्थ के लिए प्रकृति और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने लगेंगे. इसलिए समय पर ना तो बारिश होगी और वातारण अनुकूल रहेगा. हर जगह सूखे की मार रहेगी. विचित्र मौसम लोगों की चिंता का विषय बनेगा. गर्मी में अत्यधिक गर्मी और ठंड में अधिक सर्दी से मानव का जीवन असहनीय हो जाएगा.
अनाढ्यतैव असाधुत्वे, साधुत्वे दंभ एव तु।
स्वीकार एव चोद्वाहे स्नानमेव प्रसाधनम्॥
कलयुग में केवल धनवान की ही पूछ रहेगी. बुद्धि और ज्ञान का कोई मोल नहीं रहेगा. जिस व्यक्ति के पास धन नहीं होगा उसे अपवित्र, अधर्मी और दरिद्र माना जाएगा. विवाह के नाम पर स्त्री-पुरुष के बीच केवल समझौते होंगे.
आज के परिवेश से मेल खाती है है ये भविष्यवाणियां
ज्ञान के नाम पर भ्रम: आज सोशल मीडिया के दौर में फेक न्यूज, अफवाहें और भ्रम फैलाने वाली सामग्री इसे सटीक रूप से दर्शाती है.
आपदाओं की वृद्धि: भविष्य पुराण में लिखा है कि भूमि फटेगी, सागर उग्र होंगे, भूकम्प बढ़ेंगे. आज के समय में बढ़ती प्राकृतिक आपदाएं और जलवायु संकट इसकी झलक है.
जनसंख्या विस्फोट: पानी, जमीन और रोजगार के लिए बढ़ती प्रतिस्पर्धा इस भविष्यवाणी से मेल खाती है.
रोगों का प्रकोप: भविष्य पुराण में अज्ञात रोगों और महामारी का प्रकोप बताया गया है. कोविड-19 जैसी महामारी, वायरल बीमारियों का बढ़ना और एंटीबायोटिक रेसिस्टेंस इसका आधुनिक संकेत माना जा सकता है.
नैतिकता का पतन: आज भ्रष्टाचार, आर्थिक अपराध, रिश्तों में विश्वास की कमी भविष्य पुराण की भविष्यवाणी को सत्य जैसा दर्शाते हैं.
धर्म में दिखावा बढ़ेगा: ग्रंथ के अनुसार, कलियुग में लोग धर्म करेंगे लेकिन दिखावे के लिए, भीतर आस्था कमजोर होगी. सोशल मीडिया के दौर में आज यही हो रहा है. लोग मंदिर और पूजा-पाठ की फोटो–वीडियो शेयर कर रहे हैं. लेकिन इससे श्रद्धा और ध्यान भंग हो रही है.
युद्धों की आग: भविष्य पुराण के अनुसार कलियुग में बड़े युद्ध होंगे, जिनसे करोड़ों लोग प्रभावित होंगे.
असामान्य मौसम: पुराण में कहा गया है कि ऋतु चक्र बिगड़ जाएगा. आज बेमौसम बारिश, भयंकर गर्मी, सूखा, ग्लेशियर का पिघलना आदि जैसे संकेत इस भविष्यवाणी से मेल खाते हैं.
धरती का विषाक्त हो जाना: भविष्य पुराण में वर्णन है कि कलियुग के अंतकाल में वायु, जल और भूमि सब दूषित हो जाएगी. आज के दौर में बढ़ता प्रदूषण, हवा में जहरीले कण, नदियों में कचरे और मिट्टी की उर्वरता नष्ट होना भी इस भविष्यवाणी की सत्यता को दर्शाता है.
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