खुफिया एजेंसियों ने जम्मू-कश्मीर में एक बड़ा अलर्ट जारी किया है, जिसमें इशारा किया गया है कि पाकिस्तान के कई ग्रुप सर्दियां पूरी तरह शुरू होने से पहले बड़े पैमाने पर आतंकी गतिविधियां फिर से शुरू कर देंगे. यह अलर्ट तब जारी किया गया है जब एजेंसियों को यह इंटेल मिला है कि जम्मू और कश्मीर में आम लोगों और सिक्योरिटी फोर्स को टारगेट करने के लिए मूविंग व्हीकल IED का इस्तेमाल कर दिल्ली स्टाइल में सुसाइड बम धमाके किए जा सकते हैं.
सिक्योरिटी अधिकारियों के मुताबिक, POK और पाकिस्तान के अंदर आतंकी कैंपों को तबाह करने के बाद उम्मीद के उलट पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बाद जम्मू कश्मीर में एक्टिव आतंकवादियों की संख्या बढ़ी है और यह संख्या बढ़कर 131 हो गई है. बदले हुए हालात में जहां जम्मू कश्मीर में सक्रिय आतंकियों में 122 पाकिस्तानी मूल के आतंकी हैं और सिर्फ 9 स्थानीय आतंकी हैं, जहां कश्मीर घाटी में स्थानीय आतंकियों की संख्या तीन है. ज्यादातर स्थानीय आतंकी जम्मू की चिनाब घाटी और पीर पंजाल के इलाकों में एक्टिव हैं.
पहलगाम हमले से पहले सिर्फ 59 PAK टेररिस्ट एक्टिव थे
खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल में पहलगाम हमले से पहले मार्च 2025 के आखिर तक जम्मू कश्मीर में सिर्फ 59 पाकिस्तानी आतंकवादी एक्टिव थे. इनमें से 21-21 जैश-ए-मोहम्मद (JeM) और लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के थे और 3 हिज़्ब-उल-मुजाहिदीन (HM) के थे और 14 दूसरे ग्रुप्स के थे. चिंता की बात यह है कि लगातार सिक्योरिटी ऑपरेशन और “ज़ीरो टेरर” पॉलिसी की वजह से लोकल टेररिस्ट की “ज़ीरो” रिक्रूटमेंट के बावजूद, लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद जैसे पाकिस्तानी आर्मी सपोर्टेड ग्रुप्स और TRF, PAFF जैसे उनके प्रॉक्सी ग्रुप्स भारतीय इलाके में लड़ाकों की घुसपैठ कराने में कामयाब रहे हैं.
नाम न बताने की शर्त पर एक सीनियर सिक्योरिटी अधिकारी ने कहा, “हमने कश्मीर घाटी में टेरर OGW नेटवर्क को पूरी तरह खत्म कर दिया है और सभी लोकल टेररिस्ट को खत्म कर दिया है, लेकिन अब यह खाली जगह नए अनजान रिक्रूटमेंट से भर गई है, जो अब तक हमारे रडार पर नहीं थी. कई कोऑर्डिनेटेड रेड और अरेस्ट के बावजूद विदेशी टेररिस्ट की बड़ी मौजूदगी और उनके OGWs का नया सिस्टम अभी भी हमारे लिए एक बड़ी चिंता का विषय बना हुआ है.”
2024 में 61 और 2023 में 60 टेररिस्ट मारे गए
सिक्योरिटी फोर्स के पास मौजूद डेटा से पता चलता है कि 2024 में 61 और 2023 में 60 टेररिस्ट मारे गए. जहां J&K के अंदर एनकाउंटर और ऑपरेशन में 45 टेररिस्ट मारे गए, वहीं लाइन ऑफ़ कंट्रोल (LoC) पर घुसपैठ की कोशिशों के दौरान 16 टेररिस्ट मारे गए. मारे गए टेररिस्ट में 21 पाकिस्तानी नागरिक थे, उसी दौरान 28 आम नागरिक और 16 सिक्योरिटी फोर्स के जवानों की भी जान गई.
सिक्योरिटी फोर्स के बहुत असरदार एंटी-टेरर ऑपरेशन और बेहतर टैक्टिक्स के साथ बनाए गए दबाव ने अब तक लोकल सपोर्ट को कम कर दिया था और इसे J&K में आतंक के खिलाफ जंग में एक बड़ी जीत के तौर पर देखा जा रहा था, लेकिन “व्हाइट कॉलर” जैश मॉड्यूल का भंडाफोड़ और लाल किला कार बम ब्लास्ट ने बैलेंस बदल दिया है.
नया व्हाइट कॉलर जैश मॉड्यूल कितना बड़ा?
पहलगाम हमले के बाद नए एंटी-टेरर ऑपरेशन के बाद सिक्योरिटी फोर्स ने 12 टॉप आतंकवादियों को खत्म कर दिया, जिनमें 6 पाकिस्तानी और 6 लोकल शामिल थे, लेकिन नई सच्चाई ये है कि J&K अब आतंकवादियों के एक नए ग्रुप का सामना कर रहा है जो आम लोगों में घुल-मिल गया है और सिस्टम में गहराई तक जड़ें जमा सकता है.
दिल्ली ब्लास्ट के बाद चार राज्यों J&K, दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में फैले आतंकवादियों की नई नस्ल पर कार्रवाई से कुछ फायदे हुए हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि इंटेलिजेंस एजेंसियां और पुलिस फोर्स अभी भी इस बात से अनजान हैं कि यह नया “व्हाइट कॉलर” जैश मॉड्यूल असल में कितना बड़ा है.
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