
कॉर्टिसोल डिटॉक्स का मतलब किसी खास डाइट या दवा से नहीं है, बल्कि ऐसे डेली लाइफस्टाइल के बदलावों से है जो धीरे-धीरे तनाव को कम करके शरीर को संतुलन में लाते हैं. यह तरीका तेज़ नतीजों का वादा नहीं करता, लेकिन लंबे समय में मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को मजबूत बनाता है.

NIH के स्टडी में पाया गया है कि हमारा लाइफस्टाइल, जैसे नींद, कैफीन, मूड, एक्सरसाइज और इमोशनल स्थिति कॉर्टिसोल पर सीधा असर डालता है. इसलिए छोटी आदतों में सुधार करना ही कॉर्टिसोल को स्वाभाविक रूप से कम करने का सबसे सरल रास्ता है.

सबसे पहले बात कैफीन की. ज्यादा कॉफी या एनर्जी ड्रिंक शरीर को तनाव की स्थिति में धकेलते हैं और कॉर्टिसोल बढ़ाते हैं. इसलिए इसे सीमित करना, खासकर सुबह के बाद, शरीर के हार्मोनल संतुलन को बेहतर बनाए रखता है.

हंसी कॉर्टिसोल कम करने का सबसे आसान तरीका है. दोस्तों के साथ समय बिताना, हल्की-फुल्की बातचीत या कुछ मजेदार देखना दिमाग में ऐसे केमिकल्स पैदा करता है जो तनाव को काफी घटा देते हैं और मूड को तुरंत हल्का कर देते हैं.

माइंडफुलनेस जैसे ध्यान, गहरी सांसें या कुछ मिनट योग नर्वस सिस्टम को शांत करते हैं. साइंटफिक रिसर्च बताते हैं कि रोजाना सिर्फ 10 से 15 मिनट का माइंडफुलनेस अभ्यास कॉर्टिसोल कम कर सकता है और भावनात्मक स्थिरता बढ़ा सकता है.

नियमित व्यायाम भी कॉर्टिसोल नियंत्रण में बड़ी भूमिका निभाता है. हल्की वॉक, साइक्लिंग, तैराकी या स्ट्रेंथ ट्रेनिंग शरीर में जमी टेंशन को कम कर देती है. इसके साथ 7से 8 घंटे की अच्छी और लगातार नींद जरूरी है, क्योंकि खराब नींद कॉर्टिसोल को रातभर बढ़ाए रखती है.

Psychoneuroendocrinology जैसी जर्नल्स में छपे स्टडी के मुताबिक, लगातार तनाव कम करने वाली आदतें कॉर्टिसोल को 30 प्रतिशत तक घटा सकती हैं. इससे दिल की बीमारी, मोटापा, टाइप-2 डायबिटीज और डिप्रेशन बीमारियों का खतरा भी कम हो जाता है. यानी ये साधारण बदलाव ही लंबे समय में मानसिक और शारीरिक सेहत को मजबूत बनाते हैं.
Published at : 21 Nov 2025 10:28 AM (IST)
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