बिहार की नई सरकार में उपेंद्र कुशवाहा के बेटे दीपक प्रकाश को मंत्री बनाए जाने के बाद उठ रहे सवालों पर अब खुद कुशवाहा ने चुप्पी तोड़ी है. सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे को लेकर चर्चा तेज है.
एबीपी न्यूज से खास बातचीच में उपेंद्र कुशवाहा ने साफ कहा कि बेटे दीपक प्रकाश को मंत्री बनाने का फैसला सिर्फ परिवारवाद से जुड़ा नहीं है, बल्कि इसके पीछे पार्टी की मजबूती से जुड़ा एक बड़ा कारण भी है.
बेटे दीपक प्रकाश के बिहार सरकार में मंत्री बनने पर उठ रहे सवालों को लेकर उपेंद्र कुशवाहा ने चुप्पी तोड़ी है, उन्होंने बताया कि दीपक को मंत्री बनाने के पीछे एक बड़ी वजह विधायकों का एक पार्टी से दूसरी पार्टी में जाना भी है. उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि “ऐसी नौबत न आए कि हमारे लोग… pic.twitter.com/AqrvuDIn68
— ABP News (@ABPNews) November 20, 2025
‘पलटी प्रवृत्ति ने RLM को पहुंचाया बहुत नुकसान’
उपेंद्र कुशवाहा ने बयान दिया कि उनकी पार्टी पहले भी विधायकों और सांसदों की टूट-फूट से कमजोर हुई है. उन्होंने याद दिलाया कि 2014 के लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी के तीन सांसद जीते थे, लेकिन बाद में दो सांसद दूसरी पार्टी में चले गए. इससे पार्टी की ताकत और विश्वसनीयता पर गहरा असर पड़ा. इसी तरह 2015 के विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी के दो विधायक जीते थे, लेकिन दोनों बाद में पार्टी छोड़कर अन्य दलों में शामिल हो गए. कुशवाहा ने कहा कि ऐसी घटनाओं ने कार्यकर्ताओं का मनोबल तोड़ा और संगठन को कमजोर कर दिया.
‘ऐसी नौबत फिर न आए, इसके लिए स्थिरता जरूरी’
उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि बार-बार राजनीतिक पलटियों के कारण पार्टी को स्थिरता देने की जरूरत थी. उन्होंने कहा कि ऐसी नौबत दोबारा न आए कि हमारे लोग जीते और फिर दूसरी पार्टी में चले जाएं. इससे पार्टी टूटती है और विश्वास कमजोर पड़ता है.
कुशवाहा ने इस संदर्भ में यह भी स्पष्ट किया कि किसी भरोसेमंद सदस्य को सत्ता की जिम्मेदारी मिलने से पार्टी में स्थिरता आती है और संगठन मजबूत होता है. उनका इशारा साफ था कि परिवार का एक विश्वसनीय सदस्य सरकार का हिस्सा हो, तो टूट-फूट की संभावना कम होती है.
‘दीपक प्रकाश को योग्यता के आधार पर मिली जिम्मेदारी’
उपेंद्र कुशवाहा ने यह भी जोर देकर कहा कि दीपक प्रकाश को मंत्री बनाना सिर्फ राजनीतिक रणनीति नहीं, बल्कि उनकी योग्यता का परिणाम भी है. उन्होंने कहा कि दीपक को उनकी क्षमता और काम करने की योग्यता को देखते हुए यह जिम्मेदारी दी गई है. यह फैसला केवल परिवार होने के आधार पर नहीं लिया गया. उन्होंने आगे कहा कि राजनीति में स्थिरता और मजबूती जरूरी है और दीपक से उम्मीद है कि वह इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाएंगे.
यह बयान साफ करता है कि बिहार की राजनीति में उठे परिवारवाद के सवालों के बीच उपेंद्र कुशवाहा अपनी रणनीति और मजबूरियों को खुलकर सामने रख रहे हैं. उनका दावा है कि दीपक की नियुक्ति पार्टी की स्थिरता और भविष्य को सुरक्षित करने की दिशा में एक सोचा-समझा कदम है.
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