Malala Yousafzai Motivational Story: मलाला यूसुफजई पाकिस्तान की स्वात घाटी में जन्मीं एक साधारण सी लड़की जिसने तालिबान की बंदूकों को अपने इस वाक्य से हरा दिया कि, लड़कियों को पढ़ने का पूरा अधिकार है.
जिसके बाद उनपर हमला हुआ, मौत के मुंह से वापस लौटकर उन्होंने जो किया, वो केवल बहादुरी ही नहीं, बल्कि सिस्टम को एक खुली चुनौती भी थी. मलाला की कहानी सच्ची प्रेरणा से कम नहीं हैं.
मलाला यूसुफजई कौन थी?
मलाला का जन्म 12 जुलाई 1997 में पाकिस्तान स्थित मिंगोरा में हुआ था. पाकिस्तान में एक बच्ची का होना कभी भी उत्सव की नजर से नहीं देखा जाता था. लेकिन उनके पिता जियाउद्दीन युसूफजई जिन्होंने मलाला को वो हर मौका दिया जो एक लड़के को मिलता है.
मलाला के पिता एक शिक्षक थे और अपने गांव में ही छोटा सा स्कूल चलाते थे. लेकिन कुछ समय बाद स्वात घाटी पर तालिबान का कब्जा हो गया. उन्होंने कई चीजों पर प्रतिबंध लगा दिए, जैसे कि टीवी रखना, संगीत सुनना और उनके आदेशों को न मानने वालों को कठोर दंड से गुजरना पड़ता था. तालिबानियों ने लड़कियों के स्कूल जाने पर भी प्रतिबंध लगा दिया.
साल 2009 में जब मलाला मात्र 11 साल की थी, उन्होंने अपने सहपाठियों को अलविदा कह दिया, यह न जानते हुए कि, अब वो उनसे कभी मिल भी पाएगी या नहीं.
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने दिया अंतर्राष्ट्रीय बाल शांति पुरस्कार
एक कार्यकर्ता के रूप में उन्होंने सार्वजानिक रूप से लड़कियों की हक की आवाजे उठाई और बीबीसी ऊर्दू पर अपने अनुभवों को लोगों के साथ शेयर किया. जिस वजह से वो कई लोगों के निशाने पर आ चुकी थी.
साल 2011 में उन्हें अंतर्राष्ट्रीय बाल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया. उसी साल उनकी मुलाकात ततकालीन प्रधानमंत्री से हुई, जिन्होंने मलाला की बहादुरी के सम्मान में उन्हें राष्ट्रीय शांति पुरस्कार से नवाजा.
2012 में तालिबानी आतंकी ने मलाला के सिर में मारी गोली
साल 2012 में स्कूल से घर लौटते वक्त एक तालिबानी उनकी स्कूल बस में चढ़ा और पूछा कि, मलाला कौन है? इसके बाद बंदूकधारी तालिबानी ने मलाला के सिर के बायीं ओर गोली मारी.
घटना के 10 दिन बाद इंग्लैंड के बर्मिंघम के अस्पताल मलाला को होश आया तो डॉक्टरों और नर्सों ने उन्हें घटना की पूरी जानकारी दी. महीनों की सर्जरी के बाद मलाला ठीक हो गई.
12 जुलाई मलाला दिवस
साल 2013 अपने 16वें जन्मदिन के मौके पर उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में भाषण देते हुए सभी लड़कियों को शिक्षा देने की बात कही. इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र ने 12 जुलाई को मलाला दिवस के रूप में मान्यता दी.
अपने पिता के सहयोग और प्रेरणा से उन्होंने मलाला फंड की स्थापना की, जो हर लड़की को पढ़ने, कुछ सीखने और अपना भविष्य खुद चुनने की अजादी देता है.
साल 2014 में मलाला युसूफजई को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया, जिसके साथ वो सबसे कम उम्र में नोबेल शांति पुरस्कार विजेता बन गई.
साल 2017 में उन्होंने Oxford यूनिवर्सिटी से दर्शनशास्त्र, राजनीति और अर्थशास्त्र की पढ़ाई शुरू की, वह हर दिन प्रयास करती कि, सभी लड़कियों को 12 साल की शिक्षा जरूर मिले.
साल 2021 में असर मलिक से किया निकाह
इसके लिए उन्होंने ब्राजील से लेकर नाइजीरिया और इराक के कई देशों की यात्रा कि, ताकि गरीबी, युद्ध, विवाह और लैंगिक भेदभाव की दशा झेल रही लड़कियों को उनका हक मिल सकें और वो स्कूल जा सकें. साल 2020 में उन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से स्नातक की उपाधि प्राप्त की.
साल 2021 में उन्होंने असर मलिक से शादी कर अपने जीवन में एक नए चैप्टर को शुरुआत किया. साल 2024 में उनके द्वारा स्थापिक मलाला फंड के 10 साल पूरा होने पर उन्होंने जश्न मनाया.
मलाला यूसुफजई की कहानी से क्या सीख सकते हैं?
मलाला यूसुफजई की कहानी किसी दया या संघर्ष से भरी कहानी नहीं, बल्कि उस समाज के खिलाफ थी, जो लड़कियों से उनकी बुनियादी हक शिक्षा भी छीनने की चाह रखता है. एक गोली से डरने की बजाए उन्होंने उसी डर को हथियार की तरह इस्तेमाल किया और समाज का एजेंडा ही बदलकर रख दिया.
तालिबानियों की धमकियों से लेकर संयुक्त राष्ट्र में सबसे कम उम्र में नोबेल शांति पुरस्कार पाने तक मलाला ने साबित किया कि, आवाज बेशक छोटी हो सकती है, लेकिन इरादे पहाड़ की तरह थे.आज मलाला फंड के जरिए करोड़ों लड़कियों की भविष्य की नींव को तैयार करने क काम किया जा रहा है.
मलाला यूसुफजई की कहानी यह सीख देती है कि, बदलाव किसी सरकार के जरिए नहीं बल्कि एक जिद, हिम्मत और सही आवाज से शुरू होती है.
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