दिल्ली की एक अदालत ने बुधवार (19 नवंबर) को अल फलाह ग्रुप के अध्यक्ष जव्वाद अहमद सिद्दीकी को 13 दिनों के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की हिरासत में भेज दिया. वही, एजेंसी ने अदालत को बताया कि सिद्दीकी के पास भारत से भागने के कई कारण हैं, क्योंकि उसके परिवार के करीबी सदस्य खाड़ी देशों में बसे हुए हैं.
सिद्दीकी को संघीय जांच एजेंसी ने मंगलवार रात फरीदाबाद स्थित अल फलाह विश्वविद्यालय समूह के खिलाफ दिनभर की छापेमारी के बाद गिरफ्तार किया था. यह विश्वविद्यालय 10 नवंबर को लाल किले के निकट हुए विस्फोट की जांच के केंद्र में है, जिसमें 15 लोग मारे गए थे और कई अन्य घायल हुए थे. ईडी ने अदालत को बताया कि सिद्दीकी ने अपने ट्रस्ट के जरिए संचालित हो रहे शैक्षणिक संस्थानों के छात्रों के साथ बेईमानी से कम से कम 415 करोड़ रुपये की आय अर्जित की.
सिद्दीकी को मंगलवार-बुधवार की मध्यरात्रि अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश शीतल चौधरी प्रधान के आवास पर पेश किया गया. कार्यवाही रात करीब एक बजे तक चली. एजेंसी ने हिरासत में पूछताछ के लिए सिद्दीकी की 14 दिन की रिमांड मांगी. अदालत ने उसे एक दिसंबर तक 13 दिन की ईडी की हिरासत में भेज दिया.
न्यायाधीश ने कहा, ”दलीलों पर ध्यानपूर्वक विचार करने के बाद मेरी राय है कि पीएमएलए (धन शोधन निवारण अधिनियम) की धारा 19 के तहत पूरी तरह अनुपालन किया गया है. अपराध की गंभीरता और जांच के प्रारंभिक चरण को देखते हुए, मैं यह उचित समझती हूं कि आरोपी को 13 दिन की अवधि के लिए ईडी की हिरासत में भेज दिया जाए.”
व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल में क्या है यूनिवर्सिटी की भूमिका
विश्वविद्यालय की भूमिका एक व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल की जांच के दौरान सामने आई, जिसमें तीन डॉक्टरों सहित 10 लोगों को एनआईए और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने गिरफ्तार किया है. विश्वविद्यालय-सह-अस्पताल के एक डॉक्टर उमर नबी पर आरोप है कि उसने 10 नवंबर को विस्फोटकों से लदी एक कार चलाते हुए आत्मघाती हमलावर की भूमिका निभाई थी, जिसमें लाल किले के पास विस्फोट हुआ था.
ईडी ने कोर्ट को क्या-क्या बताया
एजेंसी ने अदालत को बताया कि सिद्दीकी के निर्देशन में विश्वविद्यालय और उसके नियंत्रक ट्रस्ट ने झूठे मान्यता दावों के आधार पर छात्रों और अभिभावकों को धन देने के लिए प्रेरित करके 415.10 करोड़ रुपये की आपराधिक आय अर्जित की. सिद्दीकी के वकील ने अदालत को बताया कि उनके मुवक्किल को इस मामले में झूठा फंसाया गया है और दिल्ली पुलिस की दोनों प्राथमिकी झूठी और मनगढ़ंत हैं.
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