आस्था के बदलते दौर 80s में साई, फिर शनिदेव अब खाटू श्याम की लहर, जानिए बदलते ट्रेंड की वजह!

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Rise of Khatu Shyam Devotion: शहरों में आस्था का पैटर्न कभी भी एक जैसा नहीं रहता है, जिस तरह से फैशन और लाइफस्टाइल के ट्रेंड समय-समय पर बदलते रहते हैं, ठीक उसी तरह भक्ति के केंद्र भी समय-समय पर शिफ्ट होते रहे हैं.

कभी साई बाबा के मंदिरों की बढ़ती संख्या दिखाई दी, कभी शनि देव की भक्ति का ऐसा दौर चला कि हर इलाके में एक नया शनि मंदिर खड़ा हो गया. अब पिछले कई सालों से खाटू श्याम बाबा की लहर बनी हुई है.

भोपाल जैसे शहर इसका ताजा उदाहरण हैं, जहां एक छोटे मंदिर से शुरू हुई भक्ति की लहर आज कई बड़े केंद्रों में बदल चुकी है. आस्था का यह बदलाव केवल एक शहर तक सीमित नहीं है, बल्कि देशभर में उभरते धार्मिक ट्रेंड का हिस्सा बन चुके हैं.

युवा भारत के देवता खाटू श्याम

मीडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार खाटू श्याम मंदिर युवा भारत का नया देवता बनकर उभरा है और सोशल मीडिया (इंस्टाग्राम, रील्स) ने उनकी लोकप्रियता को घर-घर तक पहुंचाने का काम किया है. रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि, अकेले 4 खाटू श्याम मंदिर बरेली उत्तर प्रदेश में बन चुके हैं.

बीते कई वर्षों में खाटू श्याम की लोकप्रियता में काफी तेज उछाल देखने को मिला है. एक रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान स्थित खाटू श्याम धाम में वर्ष 2023-24 के बीच साल भर में भक्तों की संख्या करोड़ों तक पहुंच गई. 2024 में यह आंकड़े बढ़कर 2.36 करोड़ तक पहुंच गया.

भोपाल जैसे शहरों में बदला आस्था का ट्रेंड

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपल के बरखेड़ी में शनिदेव की पहली प्रतिमा आज से 100 पहले स्थापित की गई थी. फिर दो दशक के बाद शनि मंदिर बनाने का सिलसिला कुछ इस कदर शुरू हुआ कि, इनकी संख्या 50 तक जा पहुंची है.

इसी तरह शहरा का पहला साई मंदिर 1100 क्वार्टर में 1985-87 के बीच बना था. समय बीतने के साथ शहर के अलग अलग हिस्सों में साई मंदिर की संख्या 40 तक जा पहुंची. अब बीते 3 वर्षों से आस्था की लहर खाटू श्याम पर शिफ्ट हो चुकी है.

भोपाल शहर में तीन साल में उनके मंदिरों की संख्या 10 हो चुकी है. और अनुमान लगाया जाता है कि, शहरभर में खाटू श्याम के भक्तों की संख्या 1 लाख के पार जा पहुंची हैं.

शहर का पहला खाटू श्याम मंदिर सर्वधर्म कोलार में

सर्वधर्म कोलार जहां प्राचीन हनुमान मंदिर में वर्ष 2002 में खाटू श्याम का छोटा सा मंदिर बनाया गया था. तीन वर्ष पहले तक शहर का ये इकलौता खाटू श्याम मंदिर था, अब यह शहर का सबसे बड़ा खाटू श्याम मंदिर बन चुका है.

आस्था कभी भी एक जैसी नहीं रहती है, वह समाज, समय और सांस्कृतियों के प्रभाव से हमेशा बदलती रहती है. साई बाबा से लेकर शनिदेव और अब खाटू श्याम की लोकप्रियता काफी तेजी से बढ़ रही है. भोपास जैसे शहर केवल उदाहरण मात्र हीं हैं, असल वजह ये है कि, देशभर में आस्था का नक्शा बदल रहा है.

यह बदलाव किसी एक देवता के बढ़ने या घटने का संकेत नहीं, बल्कि इस बात का प्रमाण है कि, आधुनिक भारत में भक्ति का प्रवाह स्थिर नहीं, लगातार बदलता रहता है.

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