10 नवंबर की शाम करीब 6:52 बजे दिल्ली में लाल किले के पास सफेद i20 कार में धमाका हुआ, तो जमीन के 40 फीट नीचे मेट्रो स्टेशन तक कंपन हुई. 8 लोगों की मौत और 25 घायलों के साथ खबरें आना शुरू हुईं, जो 10 दिन बाद बढ़कर 15 मौतें और 20 से ज्यादा घायल तक पहुंची. ABP एक्सप्लेनर में दिल्ली धमाके के बीते 10 दिनों की कारगुजारी को समझते हैं…
सवाल 1- दिल्ली कार ब्लास्ट में अब तक कितनी मौतें हुईं और कितने घायल हैं?
जवाब- पुलिस के मुताबिक, 19 नवंबर तक दिल्ली धमाके में 15 लोगों की मौत हो चुकी है और 20 से ज्यादा लोग घायल हैं. 18 नवंबर को 2 और लोगों की मौत हुई, जिनमें विनय पाठक और लुकमान शामिल हैं.
जब 10 नवंबर को धमाका हुआ था तो 8 लोगों की मौत और 25 घायलों के साथ खबरें शुरू हुईं, जो 10, 13 और अब 15 मौतें हो गईं. घायलों को दिल्ली के LNJP अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां अभी भी इलाज चल रहा है. धमाका इतना भयंकर था कि आसपास खड़ी करीब एक दर्जन गाड़ियां तबाह हो गईं और लोगों के शवों के टुकड़े सड़क से बटोरे गए.
सवाल 2- दिल्ली कार ब्लास्ट का मकसद क्या था और यह कितना कामयाब हुआ?
जवाब- पुलिस और जांच एजेंसियों ने जांच और पूछताछ में पाया कि आतंकी बाबरी मस्जिद का बदला लेना चाहते थे. इस मामले में फरीदाबाद से डॉ. शाहीन को गिरफ्तार किया गया था, जो जैश-ए-मोहम्मद के खुफिया नेटवर्क से जुड़ी है. शाहीन की डायरी और नोट्स जब्त किए गए, जिनमें मिशन ‘D-6’ का जिक्र है. आतंकी 6 दिसंबर को बाबरी मस्जिद ढहाए जाने की बरसी के दिन दिल्ली समेत कई जगह धमाके करना चाहते थे. इसके लिए उन्होंने 32 कारों का इंतजाम किया था.
इन कारों में बम और विस्फोटक सामग्री भरकर धमाके किए जाने थे. इनमें ब्रेजा, स्विफ्ट डिजायर, इकोस्पोर्ट और i20 जैसी गाड़ियां शामिल थीं. नेशनल इन्वेस्टिगेश एजेंसी (NIA) के मुताबिक, डॉ. उमर ने जिस i20 में ब्लास्ट किया, वो OLX के जरिए खरीदी थी. फरीदाबाद के रॉयल कार जोन के मालिक अमित पटेल बताया था कि कार खरीदने के लिए जो ID दी गई, उनमें पता पुलवामा का था. कार खरीदार आमिर रशीद के साथ एक और व्यक्ति था, उसका नाम नहीं पता. कार नाम कराने के लिए दिए समय से पहले ही उसमें ब्लास्ट कर दिया गया.
सवाल 3- ब्लास्ट के 10 दिन पूरे होने तक कितनी गिरफ्तारियां हुईं और कितनों की तलाश जारी है?
जवाब- 18 नवंबर तक 20 से ज्यादा गिरफ्तारियां हो चुकी हैं…
- 9 नवंबर को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा का रहने वाला डॉ. मुजम्मिल शकील की गिरफ्तारी फरीदाबाद से हुई. वह फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी में टीचर था. ब्लास्ट से एक दिन पहले 2,900 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट और हथियार बरामद हुए थे, तभी डॉ. मुजम्मिल भी गिरफ्तार हुआ. यह विस्फोटक जमा करने औऱ रेडिकलाइजेशन में शामिल था. इसकी गिरफ्तारी के बाद ही डॉ. उमर नबी घबरा गया और जल्दबाजी में ब्लास्ट कर दिया.
- डॉ. अदील मजीद राथर की गिरफ्तार उत्तर प्रदेश के सहारनपुर से हुई. उसके पास से AK-56 राइफल और गोला-बारूद मिला. वह मॉड्यूल में हथियार सप्लाई और रैकी का काम करता था.
- डॉ. शाहीन सईद की गिरफ्तार लखनऊ से हुई. वह जैश की महिला विंग बनाने की जिम्मेदारी संभाल रही थी. ब्लास्ट से ठीक पहले फरीदाबाद मॉड्यूल से लिंक के कारण पकड़ी गई. शाहीन की गाड़ी से AK-47 भी बरामद हुई.
- जम्मू-कश्मीर के शोपियां के मौलवी इरफान अहमद वाघे को गिरफ्तार किया. वह मॉड्यूल को रेडिकलाइज करने और जैश के पोस्टर्स लगाने में शामिल था.
जमीर अहमद को जम्मू-कश्मीर के वकुरा से गिरफ्तार किया. वह रेडिक्लाइजेशन में मदद कर रहा था. - आमिर राशिद अली को दिल्ली से गिरफ्तार किया. ब्लास्ट वाली कार उसके नाम पर रजिस्टर्ड थी. उमर के साथ साजिश रची और दिल्ली में कार खरीदने-सप्लाई करने में मदद की. NIA ने उसे 10 दिन कस्टडी में लिया.
- जसीर बिलाल वानी उर्फ दानिश को श्रीनगर से गिरफ्तार किया. उमर का करीबी साथी, ड्रोन मोडिफाई करके बम अटैक और रॉकेट बनाने में टेक्निकल सपोर्ट दे रहा था. हमास स्टाइल अटैक की प्लानिंग थी, जिसमें यह भी शामिल था.
- जवाद अहमद सिद्दीकी को गिरफ्तार किया, जो अल-फलाह यूनिवर्सिटी के चेयरमैन हैं. यूनिवर्सिटी में आतंक को बढ़ावा देने के आरोप हैं. यूनिवर्सिटी ने झूठा दावा किया कि उसे नेशनल असेसमेंट एड एक्रेडिटेशन काउंसिल (NAAC) से मान्यता मिली हुई है, जबकि ऐसा कुछ नहीं था.
- जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में काउंटर इंटेलिजेंस कश्मीर (CIK) ने डॉ. उमर फारूक भट और उसकी पत्नी शाहजादा अख्तर को कथित गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में हिरासत में लिया है. इनके पास से आपत्तिजनक सामग्री भी जब्त की गई है.
- डॉ. आदिल अहमद, डॉ. सज्जाद अहमद और डॉ. परवेज अंसारी की भी गिरफ्तारी हुई है. यह लोग इस मॉड्यूल में शामिल डॉक्टर्स हैं.
- कानपुर से 9 संदिग्ध को भी गिरफ्तार किया. यह लोकल सप्लायर्स या मॉड्यूल के सहयोगी थे, जो विस्फोटक या लॉजिस्टिक्स में मदद कर रहे थे. नाम सार्वजनिक नहीं हुए, लेकिन NIA की कस्टडी में हैं.
- फरीदाबाद और हरियाणा से कुछ और डॉक्टर और स्टूडेंट्स को भी हिरासत में लिया गया. असम में 17 लोगों को सोशल मीडिया पर ब्लास्ट की तारीफ करने के लिए अलग से गिरफ्तार किया.
पुलिस ने आतंकी डॉ. उमर के दो भाईयों, मां और पिता को भी हिरासत में लिया था. उनसे पूछताछ जारी है. उमर के भाई जहूर ने पूछताछ में माना कि उसी ने उमर का फोन पानी में फेंका था, ऐसा उमर के कहने पर ही किया था.
जहूर इलाही के मुताबिक 26 से 29 अक्टूबर तक उमर कश्मीर में ही था. उसने जहूर को अपना मोबाइल थमाते हुए कहा था कि अगर मेरे बारे में कोई भी खबर आए तो इस मोबाइल को नष्ट करके पानी में फेंक देना. श्रीनगर एसपी जी वी संदीप चक्रवर्ती ने बताया कि जहूर ने उस जगह की भी जानकारी दी, जहां मोबाइल फेंका गया था. इसके बाद मोबाइल को निकाला गया, उसे बुरी तरह से तोड़ा गया था. बाद में एक्सपर्ट्स ने मोबाइल से डेटा रिकवर किया.
सवाल 4- कहां-कहां छापे मारे गए और क्या-क्या बरामद हुआ?
जवाब- बीते 10 दिनों में कई जगह छापेमारी हुई. यह छापे छापे मुख्य रूप से जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े ‘व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल’ को तोड़ने के लिए थे, जो अल-फलाह यूनिवर्सिटी को बेस बनाकर चल रहा था. सबसे पहली छापेमारी-
- 9 नवंबर को हुई, जब जम्मू-कश्मीर पुलिस और हरियाणा पुलिस ने फरीदाबाद के धौज गांव में एक किराए के मकान पर छापा मारा. यहां से 350 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट आधारित विस्फोटक, असॉल्ट राइफल्स (AK सीरीज), हैंडगन्स, टाइमिंग डिवाइस और विस्फोटक सामग्री मिली. मकान मुजम्मिल अहमद गनी ने किराए पर लिया था. इसी छापे के कुछ घंटे बाद दिल्ली में ब्लास्ट हुआ.
- 10 नवंबर को फरीदाबाद में ही दूसरे मकान पर छापा मारा, जहां से 2563 किलोग्राम अतिरिक्त विस्फोटक (कुल मिलाकर 2913 किलोग्राम से ज्यादा), केमिकल्स, रिएजेंट्स, ज्वलनशील सामग्री और इलेक्ट्रॉनिक सर्किट्स का सामान मिला.
- इसके अलावा जम्मू-कश्मीर के शोपियां, पुलवामा, गांदरबल, अनंतनाग और कुलगाम में छापे मारे. यहां से हथियार, गोला-बारूद और IED सामग्री बरामद हुई. मौलवी इरफान अहमद वाघे (शोपियां) और जमीर अहमद (गंदरबल) जैसे लोग पकड़े गए.
- 13 नवंबर को अल-फलाह यूनिवर्सिटी कैंपस में छापा मारा, जहां एक संदिग्ध ब्रेजा कार मिली, जिसकी जांच जम्मू-कश्मीर पुलिस और बॉम्ब डिस्पोजल स्क्वॉड ने की. यूनिवर्सिटी में बम स्क्वॉड और स्निफर डॉग्स भी लगाए गए.
- 14 नवंबर को पुलवामा के क्विल गांव में मुख्य आरोपी उमर नबी के घर को सेना ने डेमोलिश कर दिया.
- 16-18 नवंबर को NIA ने श्रीनगर और अनंतनाग में छापे मारे, जहां जसीर बिलाल वानी उर्फ दानिश को गिरफ्तार किया गया.
इसके अलावा सहारनपुर, लखनऊ, कानपुर, वजीरपुर इंडस्ट्रियल एरिया, मेवात, असम, पंजाब, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में छापेमारी हुई.
सवाल 5- 10 दिनों के भीतर कितने और कौन से सबूत मिले?
जवाब- 10 से 19 नवंबर के बीच पुलिस को कई सबूत मिले, जिनमें CCTV फुटेज, डिजिटल डेटा, गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ और उमर की वीडियो शामिल है…
- 12 नवंबर 2025: ब्लास्ट का सबसे क्लियर CCTV फुटेज रिलीज हुआ. इसमें लाल किला क्रॉसिंग पर रेड लाइट पर कार रुकती है और अचानक लाल फायरबॉल बनता है. सुनहरी मस्जिद पार्किंग का फुटेज मिला, जिसमें कार दोपहर 3:19 बजे एंटर करती है और शाम 6:48 बजे तक पार्क रहती है. उमर मस्जिद में गया, बाहर आकर डेटोनेटर को जोड़ा और कार लेकर निकल गया, फिर धमाका किया.
- 13 नवंबर 2025: मेवात टोल (नूह, हरियाणा) का फुटेज मिला, जिसमें उमर सुबह जल्दी कार ड्राइव करता दिखा. फैज-ए-इलाही मस्जिद (तुर्कमान गेट) का CCTV मिला, जिसमें उमर ब्लास्ट से कुछ घंटे पहले मस्जिद के पास पैदल घूमता और प्रेयर करता नजर आया. आसिफ अली रोड का फुटेज मिला, जिसमें उमर बिना मास्क पैदल चलता दिखा. अल-फलाह यूनिवर्सिटी कैंपस का पुराना फुटेज मिला, जिसमें कार 29 अक्टूबर से 10 नवंबर तक पार्क थी. कुल 50+ CCTV से उमर का 24 घंटे का रूट मैप बना.
- 14 नवंबर 2025: उमर के घर (पुलवामा) की तलाशी में डिजिटल डिवाइस मिले, जिनसे रेडिकलाइजेशन कंटेंट निकला.
- 16 नवंबर 2025: NIA ने उमर के साथी आमिर राशिद अली को गिरफ्तार किया, उसके फोन से कार खरीदने के चैट्स मिले. 40 कैमरों से उमर का दिल्ली में पूरा रूट ट्रेस हुआ.
- 17-18 नवंबर 2025: उमर नबी का सबसे बड़ा सबूत उसका खुद का रिकॉर्ड किया हुआ अनडेटेड वीडियो (डिजिटल डिवाइस से रिकवर) मिला, जिसमें वह टूटी-फूटी अंग्रेजी में बोलता है कि एक बात जो नहीं समझी गई कि यह शहीद होने के लिए ऑपरेशन (मार्टरडम ऑपरेशन) है, न कि सुसाइड हमला. इसको लेकर कई विरोधाभास हैं. दरअसल मार्टरडम ऑपरेशन के लिए माना जाता है कि कोई व्यक्ति निश्चित रूप से किसी जगह पर निश्चित समय पर जान देता है.
इसके अलावा डॉ. शाहीन की डायरी, नोट्स, आमिर राशिद अली का बयान, दानिश का बयान और जहूर के बयान भी शामिल हैं.
सवाल 6- दिल्ली में जिस जगह धमाका हुआ, वहां अब क्या हालात हैं?
जवाब- ब्लास्ट साइट को कॉर्डन ऑफ कर दिया गया था और लाल किला मेट्रो स्टेशन 15 नवंबर तक बंद रहा, लेकिन अब खुल गया है. हालांकि सुरक्षा बढ़ा दी गई है. पूरे देश में हाई अलर्ट है और साइट पर पुलिस, NSG की टीमें तैनात हैं.
सवाल 7- आखिर इस पूरे धमाके में पुलिस से कहां चूक हुई?
जवाब- इस पूरी साजिश में पुलिस से 8 जगहों पर चूक हुई…
1. 2900 किलोग्राम विस्फोटक मिलने के बावजूद ढिलाई: फरीदाबाद में मिले अमोनियम नाइट्रेट की यह इतनी बड़ी मात्रा थी कि पूरे पूरे दिल्ली-NCR में बड़े हमले हो सकते थे, लेकिन इसके बावजूद दिल्ली पुलिस या IB ने कोई हाई अलर्ट नहीं जारी किया. उमर 10 नवंबर की सुबह फरीदाबाद से दिल्ली में घुस गया, लेकिन कोई चेकिंग नहीं हुई.
2. उमर को VVIP जोन में घूमने दिया गया: उमर 10 नवंबर को सुबह से शाम तक इंडिया गेट, कॉन्स्टीट्यूशन क्लब, संसद मार्ग, लाल किला और जामा मस्जिद जैसे सबसे संवेदनशील इलाकों में बेखौफ घूमता रहा. 1300 से ज्यादा CCTV में उसका पूरा रूट ट्रेस हुआ है, लेकिन एक भी जगह उसे रोका या पहचाना नहीं गया.
3. अल-फलाह यूनिवर्सिटी पर एक्शन नहीं: इस यूनिवर्सिटी को पहले से रेडिकलाइजेशन का हब माना जा रहा था. कई टीचर्स और स्टूडेंट्स पर पुराने केस थे, लेकिन लोकल इंटेलिजेंस या हरियाणा पुलिस ने कोई सख्त निगरानी नहीं रखी.
4. विस्फोटक की सप्लाई चेन पर कोई निगरानी नहीं: अमोनियम नाइट्रेट मेवात के डीलर्स से खरीदा गया था. इतनी बड़ी मात्रा बिना किसी लाइसेंस या चेक के कैसे पहुंची? खरीद-बिक्री का रिकॉर्ड था, लेकिन कोई अलर्ट नहीं लगा.
5. जम्मू-कश्मीर पुलिस की इनपुट को नजरअंदाज किया: जम्मू-कश्मीर पुलिस को पहले से इस मॉड्यूल की जानकारी थी क्योंकि अक्टूबर में कई गिरफ्तारियां हुई थीं, लेकिन यह इनपुट दिल्ली पुलिस या IB तक ठीक से शेयर नहीं हुआ या उस पर एक्शन नहीं लिया गया.
6. ब्लास्ट वाली कार का मूवमेंट ट्रैक नहीं किया: सफेद i20 कार आमिर राशिद अली के नाम पर रजिस्टर्ड थी. कार फरीदाबाद से दिल्ली आई, कई टोल पार किए, लेकिन FASTag या नंबर प्लेट से कोई अलर्ट नहीं लगा. दिल्ली में घुसते ही इसे ट्रैक किया जा सकता था.
7. हाई थ्रेट पीरियड में लैप्स: दिवाली के ठीक बाद और 26/11 की बरसी से पहले का समय था. मूल प्लान 6 दिसंबर (बाबरी विध्वंस की बरसी) का था. इतने हाई थ्रेट पीरियड में भी दिल्ली के सेंट्रल इलाके में नाकेबंदी या व्हीकल चेकिंग कम थी.
8. रेडिकलाइज्ड डॉक्टर्स की मॉनिटरिंग जीरो: यह पहला मौका था जब इतने पढ़े-लिखे डॉक्टर आतंकी मॉड्यूल में शामिल थे. इंटेलिजेंस का फोकस हमेशा मदरसों या गरीब इलाकों पर रहता था, ‘व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल’ की कोई तैयारी नहीं थी.
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