Swami Vivekananda: स्वामी विवेकानंद कहते थे जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते, तब तक आप भगवान पर विश्वास नहीं कर सकते. यह वचन हमें भीतर झांकने की प्रेरणा देता है. हममें से अधिकतर लोग ईश्वर को बाहर खोजते है. मंदिरों में, ग्रंथों में या कर्मकांडों में खोजते हैं.
विवेकानंद हमें बताते हैं कि ईश्वर कहीं बाहर नहीं, बल्कि हमारे भीतर है. हर आत्मा में ईश्वर का अंश है. जब हम इस सत्य को पहचान लेते हैं, तब आत्मविश्वास ही भक्ति का रूप बन जाता है.
अपनी ताकत पहचानों, डर को छोड़ो
स्वामी विवेकानंद के अनुसार खुद पर भरोसा करना ही ईश्वर की सच्ची आराधना है, क्योंकि जो अपने भीतर के बल को जानता है. वही सृजन और परिवर्तन का पात्र बनता है. वे कहते थे अपने भीतर की शक्ति को पहचानो, डर को छोड़ो. खुद को कमजोर समझना सबसे बड़ा पाप है.
कमज़ोरी मनुष्य को पीछे धकेलती है, जबकि आत्मविश्वास उसे आगे बढ़ाता है. उनके अनुसार जीवन में सफलता पाने का मार्ग तभी खुलता है जब हम अपनी भीतरी शक्ति को पहचानते हैं. जब मनुष्य को यह अनुभव होता है कि उसके भीतर असीम सामर्थ्य है, तो भय, संदेह और असफलता स्वतः समाप्त हो जाते हैं.
स्वामी विवेकानंद का प्रेरक संदेश
विवेकानंद का मानना था कि शक्ति जीवन है, निर्बलता मृत्यु है. प्रेम जीवन है, द्वेष मृत्यु है. ईश्वर उन्हीं के साथ है जो अपने कर्म और विचारों से आगे बढ़ने का साहस रखते हैं. उनका सबसे महत्वपूर्ण उपदेश जो आज भी युवाओं को प्रेरित करता है.
वे उस समय युवाओं को प्रेरित कर कहते थे कि उठो, जागो और अपने भाग्य के निर्माता बनो. स्वामी विवेकानंद ने कहा-उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए. यह संदेश केवल युवाओं के लिए नहीं, हर उस व्यक्ति के लिए है जो जीवन में ठहर गया है.
अंदरूनी ईश्वर और सच्ची भक्ति
उनके अनुसार हम जो बोते हैं, वही काटते हैं. इसलिए हमें कर्म, विश्वास और आत्मचिंतन के बीज बोने चाहिए. जो अपने भीतर के ईश्वर को पहचान लेता है. वह अपने जीवन का निर्माता बन जाता है. विवेकानंद का यह संदेश आज भी हर दिल को प्रेरित करता है. यही सच्ची भक्ति है, यही जीवन का धर्म है, यही ईश्वर का साक्षात्कार है.
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