बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) ने मानवता के खिलाफ अपराधों का दोषी ठहराते हुए मौत की सजा सुनाई है. भारत में निर्वासन में रह रहीं हसीना को 5 में से दो मामलों में फांसी और बाकी मामलों में आजीवन कारावास मिला है. उन्होंने फैसले को राजनीतिक साजिश बताते हुए इसे ‘फर्जी अदालत’ का निर्णय कहा है. इसी फैसले के बाद अब कई विशेषज्ञ इसे बांग्लादेश की राजनीति नहीं, बल्कि ‘अंतरराष्ट्रीय गेम’ का हिस्सा बता रहे हैं.
क्या है शेख हसीना का मामला?
ICT ने 2024 के छात्र आंदोलन के दौरान हुई हिंसा, मौतों और दमन के लिए सीधे शेख हसीना को जिम्मेदार माना. कोर्ट का कहना है कि उस समय ड्रोन, हेलिकॉप्टर और घातक हथियारों का इस्तेमाल उनके निर्देश पर हुआ, जिससे 1,400 लोगों की मौत और करीब 24,000 लोग घायल हुए. अदालत ने हसीना को इन घटनाओं का ‘मास्टरमाइंड’ कहकर फांसी की सजा सुनाई.
एक्सपर्ट्स बोले- यह फैसला ‘राजनीतिक बदला’
कई विशेषज्ञों और पूर्व राजनयिकों ने फैसले पर गंभीर सवाल उठाए हैं. उनका मानना है कि यह पूरी प्रक्रिया राजनीतिक रूप से प्रभावित है और हसीना को सफाई का मौका भी नहीं दिया गया. रक्षा विश्लेषक डॉ. ब्रह्म चेलानी ने ICT को ‘कंगारू कोर्ट’ करार देते हुए कहा कि यह फैसला न्याय नहीं, बल्कि राजनीतिक प्रतिशोध है. उन्होंने कहा कि अवामी लीग को पहले ही बैन किया गया है और अंतरिम सरकार अपने राजनीतिक विरोधियों को खत्म करने के लिए न्यायिक व्यवस्था का इस्तेमाल कर रही है.
Bangladesh’s Kangaroo Court: The ICT’s death sentence against ousted Prime Minister Sheikh Hasina surprises no one. The unelected interim regime and its patrons have weaponized the legal process to eliminate their strongest political adversaries. This verdict is not a judicial…
— Dr. Brahma Chellaney (@Chellaney) November 17, 2025
भारत के खिलाफ अमेरिका-पाकिस्तान का गेम?
रिटायर्ड मेजर जनरल और रक्षा विशेषज्ञ संजय मेस्टन ने दावा किया कि इस पूरे घटनाक्रम के पीछे अमेरिका और पाकिस्तान का एजेंडा काम कर रहा है. उनके मुताबिक, ये दोनों देश बांग्लादेश को भारत-विरोधी इस्लामिक ढांचे में ढालना चाहते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि बांग्लादेश में लोकतंत्र को योजनाबद्ध रूप से कमजोर किया जा रहा है.
पूर्व राजनयिकों ने भी फैसले पर उठाए सवाल
बांग्लादेश में भारत की पूर्व उच्चायुक्त वीना सीकरी ने भी कोर्ट के फैसले को अवैध बताया. उनका कहना है कि 1,400 मौतों के आंकड़े का कोई आधिकारिक आधार नहीं दिया गया और न ही पीड़ितों की पहचान बताई गई. उन्होंने कहा कि यह फैसला इतनी जल्दी सुनाया गया कि यह न्यायिक प्रक्रिया से अधिक राजनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित लगता है. पूर्व राजदूत अशोक सज्जनहार ने भी कहा कि यह फैसला पहले से तय था क्योंकि ट्रिब्यूनल के सभी सदस्य वर्तमान अंतरिम सरकार के भरोसेमंद लोग हैं.
भारत की पूर्व हाई कमिश्नर रीवा गांगुली दास ने कहा कि हालात को बेहद सावधानी से देखने की जरूरत है. उन्होंने बताया कि फैसले के बाद दो बुलडोजर ढाका के 32 धनमंडी की ओर बढ़ते दिखे, जहां शेख मुजीबुर रहमान की हत्या हुई थी. उन्होंने सवाल उठाया कि ये बुलडोज़र कौन लोग ला रहे हैं और क्यों उस जगह को निशाना बनाया जा रहा है.उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दिनों से लगातार हिंसा और आगजनी की घटनाएं बढ़ रही हैं, जिससे हालात बहुत खतरनाक हो गए हैं. भारत को अपने पड़ोस की इस स्थिति पर कड़ी नजर रखनी होगी.
#WATCH | Sheikh Hasina death penalty | On being asked about India’s position with regard to the verdict, Riva Ganguly Das, Former Indian High Commissioner to Bangladesh, says, “We have to watch the situation very carefully. You would have seen that since the verdict was… pic.twitter.com/BNiMsIumOo
— ANI (@ANI) November 17, 2025
यूनुस भी तो वही काम कर रहे!
फैसले से पहले ही ढाका में हिंसा, क्रूड बम हमलों और तनाव की स्थिति बनी हुई थी. इसके बीच अंतरिम सरकार ने सुरक्षा बलों को ‘देखते ही गोली मारने’ के आदेश दिए, जिसे लेकर भी सवाल उठ रहे हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि जिस आरोप में हसीना को सजा दी गई, वही कार्रवाई अभी की सरकार खुद कर रही है.
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